13.10.09

LuckiRam-part 5

ब्रह्म ===== असत्य |अधर्म   का नाश अगर सतयुग में हो चुका होता तो आप कभी दूसरी बार भगवन क्रिशन का अवतार नहीं लेते
विष्णु ==== त त तब तो हमने पाप का नाश करना था --पापी कंस को मारकर \
ब्रह्म[हंसते हैं]= आहा!रावण को मारकर ,अधर्म का नाश हो गया /कंस को मारकर पाप का नाश हो गया |आप नहीं जानते यह कलयुग है कलयुग -पाप ऑर अधर्म तो यहाँ कदम कदम पर हैं ही |घात-प्रतिघात ,इर्ष्या -द्वेष ,छल -कपट भी हर घर में फल फूल रहें हैं |हर पेड़ की डाल पर पनप रहें हैं ..डाली डाली शूल खिला है ..चड्डी पहनकर पाप चला है
विष्णु ==== आप तो पोथा बांचने  बैठ गए |इतनी लम्बी कथा पढेंगे तो कौशल्या माता अहिल्या बन जाएँगी |महेश जी आप कुछ कहें |
महेश जी=== विष्णु देव हम क्या कहें |हम तो वैसे ही तहस -नहस में विश्वास करते हैं |कहो तो तांडव शुरू करें (तांडव की आरंभिक मुद्रा बनाते हुए )
विष्णु ===== बस !खुल गई आप की तीसरी आँख |जरा सी विपदा आई नहीं कि तांडव शुरू |जरा सी विपदा जब तक विध्वंस का रूप न लेले ,आपको स्वाद नहीं आता |
महेशजी==== अब हम क्या करें |हमारा मिजाज ही कुछ ऐसा है |वैसे यह विपदा कोन है ?विध्वंस इनका कोन लगता है ?
विष्णु ===== विपदा माता कौशल्या है ऑर उनके आते ही विध्वंस यहाँ होगा -हमारे ब्रह्माण्ड में
ब्रह्म ====== जी
महेशजी === असंभव ..हम अभी तांडव शुरू करते हैं |न विपदा आएगी ,न ही उनके आने पर विध्वंस  आएगा |
ब्रह्म ====== तब विनाश आएगा |प्रलय आएगी \
महेशजी === अब यह विनाश-प्रलय कौन हैं ..सभी साथ आयेंगे या अलग अलग |
विष्णु ===== आगे पीछे ही आएंगे |
महेश जी === फिर तो भिड़ा जा सकता है |इकठे आते तो दिक्कत होती |तांडव हथियार कांम करता या नहीं --पता नहीं
विष्णु ===== यह सब आपके तांडव के बाद ही आयेंगे |इसलिए आप अब चुप ही रहेंगे |खामोश |
ब्रह्म(विचलित)=विष्णु देव कुछ कीजिये |नीचे भगवान् राम चिंतित नजर आ रहें हैं |देखो !कितनी भीड़ नजर आ रही है | सब माता कौशल्या के साथ हैं |राम अकेले हैं |
विष्णु ====== पर हम करें क्या ?
ब्रह्म (अधीर )== आप को एक बार फिर मानव रूप धारण करना होगा |फिर भगवन बनकर धरती पर जाना होगा |
विष्णु ====== असंभव !कदापि नहीं |
ब्रह्म ======= क्यों ?
विष्णु ====== समस्या विकत है |
ब्रह्म ======= अगर आप किसी समस्या का समाधान नहीं ,तो आप खुद ही एक समस्या  है |
विष्णु ====== गुरुवर!आप समझते क्यों नहीं |कलयुग वालों का समाधान हम सतयुग वालों के पास नहीं है ..सुना नहीं ,अभी तो घात प्रतिघात ,इर्ष्या द्वेष ...
ब्रह्म ======== सुना क्या वो तो कहा ही हम्ने  था|
विष्णु ======= ...वगरह वगरह --इतनी तो बीमारियाँ फैल चुकी हैं |हमसे तो पाप ऑर अधर्म ही न संभले कभी |एक रावण क्या मार दिया हमने ,स्वयं को भगवान् समझ लिया |एक कंस क्या मारा कि किशन कन्हैया बन गए |अब --वहां तो घर घर में रावण है ,कंस है ..
ब्रह्म ======== महिषासुर है \जरासंध भी है और -दुर्योधन तो कुकुरमुत्ते की तरह हर गली ,कोने में पड़ा है और ...
विष्णु ======= वगरह वगेरह  भी हैं |हम जानते हैं ..जानते हैं ..आप कृपा कर हमें ऑर न डराएँ ..बस इतना जान ले किसतयुग का सिक्का अब कलयुग में नहीं चल सकता |
ब्रह्म ========= तो फिर करें क्या \हाथ पर हाथ धरके बैठें रहें |
महेशजी ====== मेरा ख्याल है हमें माता विपदा ....
विष्णु ======== माता कौशल्या !कौशल्या०००
महेश जी ====== जी जी वही वही |हमें माता वि ..कौशल्या  का यहीं इंतजार करना चाहिए |चिंता की इस बेला में शायद माता ही मुक्ति का कोई मार्ग सुझाएँ ..
विष्णु ======== वो यहाँ थोडी न आ रहीं हैं |अभी तो उनकी आकाशवाणी ही आई है |
महेशजी ======तो फिर!
ब्रह्म ========= मेरी मनो तो सब कुछ राम पर ही छोड़ दो |राम की बातें राम ही जाने |
विष्णु =======  हम भी वही सोच रहें हैं|
महेशजी ====== मैं भी |आओ चोसर खेलें
विष्णु ======== खामोश
महेशजी ====== मैं तो वैसे ही कम बोलता हूँ |न के बराबर बोलता हूँ |फिर भी जब बोलता हूँ तो ...खा ००मो ०० श श श
विष्णु ======== अब आप खामोश रह कर ही बोलेंगे |
ब्रह्म =========  तुम फिर बहस बाजी में पड़ गए \राम को होशियार करो --उन्हें कहो कि कौशल्या जी से मिलें \
विष्णु =======   पर कैसे ?
ब्रह्म =========  अरे !अपने प्राण राम कि मूर्ती में फूंको \मूर्ती बोल पड़ेगी |
विष्णु =======   और माता सीते--वो भी तो साथ खड़ी हैं |राम बोलें और सीता ना बोलीं तो राम जी से तो झगडा करेंगी |
महेशजी ======  जब सीते जी बोलेंगी ही नहीं तो झगडा कहाँ से करेंगी |
ब्रह्म =========  तो सीता जी के लिए आप लक्ष्मी जी कि मदद लें |लक्ष्मी जी के प्राण सीते जी में फूँके ...
महेशजी ======  ऑर आप दोनों बिना प्राण के पुतले बन कर खड़े हो जाएँ |
विष्णु ========  चट[चुटकी बजाते हुए ]..यह ठीक रहेगा ..हम अभी आते हैं |
            [विष्णुजी लक्ष्मीजी  को मनाने निकाल पड़ते हैं ]
महेशजी ======  आइये भगवन !भांग -धतूरा खाते हैं ,थोडी थोडी ताड़ी भी ..
ब्रह्म =========  खामोश ००
महेशजी======लगता है हमारी तीसरी आँख का डर नहीं रहा अब ...तांडव करना ही पड़ेगा |
            तभी आकाश लोक से दो प्रकाश पुंज आत्माओं के रूप में धरती कि तरफ निकलते हैं ऑर मंदिर में खड़ी राम सीता की मूर्ती में प्रविष्ट होतें हैं |
           पूरा मंदिर रोशन हो उठता है  |धरती डोलने लगती है |घड़ियाल बज उठते हैं
           बाहर खड़ी मम्मी की गर्दन मूर्ती की तरफ घूमती है |
           भक्तों की  भीड़ इस अद्भुत दृश्य को देख चकाचोंध हो जाती है
           तभी राम सीता की मूर्तियों में हलचल सी होती है

LUCKI RAM Part 4

माँ जी =बेटा आ रहा है ..कोई नहीं कोई नहीं ..अभी देर है ...मैं खड़ी हूँ ,खड़ी हूँ बेटा ..take your own time
भक्त ==माँ जी [वो जेब से ५०० की गड्डी निकालता है ]मेरे साथ चलिए \मैं भी आपका बेटा ही हूँ \
माजी =बेटा पैसा तो बहुत है \बेटे भी बहुत हैं \पैसे वाले बेटे भी बहुत हैं ..पर हर मर्ज़ की पैसा दवा नहीं
युवक =माँ जी आज की दुनिया में पैसा संकट मोचन है \दुःख भंजन है [पैसे देता वो माँ को कहता है ]
माँ जी ==बेटा[ नोटों की गड्डी देखते हुए ]इसका काम तो खरीदना  है ..फिर भी हर कोई इसके हाथों बिका है \ बिके जा रहा है \
युवक =माँ जी आप लक्ष्मी का अपमान कर रहीं हैं ..पैसा सब कुछ कर सकता है \
माँ जी =बेटा तेरे पास बहुत पैसा है ?[गड्डी लोटाते हुए ]
युवक = सब आपकी ही मेहर है ..आपकी दया से सब कुछ है \
माँ जी =फिर तो कोई दुःख भी न होगा ?
युवक = व व व वो वो ००
माँ जी =तेरी आवाज़ ही बता रही है कि तेरे दुःख में तेरा पैसा काम न आया \आया तो बस राम का नाम ही काम आया \
युवक = माँ जी /इश्वर आस्था का प्रतीक है \हमारी आत्मा का साबुन है \इश्वर का नाम लेकर हम अपने कुकर्मों को धो सकते हैं
माँ जी = चुप चुप \ज्यादा बातें मत कर \भगवान हमारे अंदर है हमारे अंदर मंदिर है ..वो अभी आयेंगे ..उस मंदिर से निकलकर इस मंदिर में आयेंगे ..हमारे रोम रोम में समायेंगे ..तेरे तन में राम मान में राम.. रोम रोम में रामरे..
युवक = माँ जी कब तक ये किताबी बातें करती रहेंगी \
माँ जी = बेटे मेरे [उसकी ठुड्डी पुचकारते हुए ]मैं तो चार कदम चल भी नहीं सकती \फिर भी इतने दिनों से यहाँ खड़ी हूँ -क्यों
युवक = वववो वो ००
माँ जी = मुझे तो यह भी नहीं पता मैं यहाँ पहुंची कैसे \किसने पहुँचाया -फिर भी मैं पहुंची \क्यों ?
अयुवक = अ अ अब इस बारे में मैं क्या बताऊँ \
माँ जी =शुगर मुझे है ,ब्लड preessure मुझे है ..हार्ट पे शुंट मैं ..जोड़ों का दर्द मुझे ..ऑर भी सो बीमारियाँ \मडिकल साइंस वाले मुझे बीमारियों का encyclooedia कहते हैं \फिर भी मैं यहाँ खड़ी हूँ -क्यों ?
युवक = अब मैं क्या बताऊँ [पसीना पोंछते हुए ]
माँ जी =चल मेरी छोड़ -अपनी बता \तेरी गाड़ी बाहर रोड पर खड़ी है ..तू पिछले ७२ घंटों से बजना खाए पिए यहाँ पड़ा है ..ततैये कि तरह  मेरे आगे पीछे भिन भिना रहा है ..क्या देखने के लिए खडा है ..ये बुडिया मरती कब है ,गिरती कब है
युवक ==नो नो \सच बात तो यह है कि आपको देखकर पता नहीं कहाँ से हिम्मत आ गई \सच पूछिए तो न ही भूख का पता पड़ा ,न ही प्यास को मालूम चला \
माँ जी =क्यों ?
युवक == कोई तो ताकत है  जिसकी बदौलत आप खड़ी है / कोई तो शक्ति है जिसकी बदौलत आप अडी है क्योंकि...
माँ जी =वही तो हस्ती है जो मंदिर में खड़ी है \मूर्ती बन कर जडी है \पर कभी तो ...आज नहीं तो कल   कल नहीं तो अगले
 साल ..साल नहीं तो अगले काल ..कभी तो वो पिघलेगा \माँ कि ममता के आँचल में कभी तो आकर घुलेगा \
सभीभक्त=माँ माँ !हम आपके साथ हैं \
       तीन चार लोग ऑर आतें हैं ऑर भक्तों कि भीड़ में जुड़ जाते हैं \
      अगले दो दिनों में भीड़ ऑर बाद जाती है \
       पंडित शुक्राचार्य के मुताबिक ३१ भक्तों की भीड़ जरूरी थी \
       ऑर दो दिन बाद ---
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माँ जी = सुनो! उनसे पूछ कर आना ,अहिल्या को जानते हैं ?
युवक ==अहिल्या !
माँ जी = जाओ पूछो \देखना जरूर चौक  जायेंगे \फिर दोडे दोडे आयेंगे \
         [एक भक्त भागता हुआ मंदिर में जाता है \दंडवत होकर प्रभु से पूछता है ...
भक्त == भगवन!व व वो पूछ रहीं हैं -क क क्या आप अहिल्या को जानते हैं ?
श्री राम=भगवान् कोई जवाब नहीं देते \
         तभी दूसरा भक्त आकर दंडवत होकर पूछता है ..
भक्त २ =प प प्रभु !वो जानना चाहतीं हैं ,आप ही हैं न वो ,जिन्होंने अहिल्या में प्राण फूंके थे !उ उ उसे पत्थर की शिला से स्त्री बनाया था ?
श्री राम=प्रभु राम फिर कोई जवाब नहीं देते \
भक्त ३= व व वो कह रहीं हैं अ अ अगर कोशल्या अहिल्या बन कर दिखाए तो ,फिर तो पहचान लेंगे न आप ?
          टन..टन ..मंदिर में घंटा बज उठता है \मूर्ती डोल उठती है\
भक्त ४= प्रभु !कुछ कीजिये ..वो देखिये ..कौशल्या बनी शिला ..कौशल्या बनी अहिल्या १
        कड़ाक...badamm ..गर्जना ..बिजली चमकती है ऑर "कौशल्या बनी अहिल्या" की प्रतिध्वनि ध्वनित होती आकाश लोक में पहुँचती है ..
       मंदिर में चारों तरफ घंटे -घड़ियाल स्वतः ही बज उठते हैं
       भक्तगण हर्षनाद कर उठते हैं \
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          आकाश लोक में ब्रह्म विष्णु महेश चिंतित नजर आते हैं \
विष्णु (अचंभित )= ब्रह्मदेव !मृत्यु लोक डोल क्यों रहा है ?लगता है आपकी सृष्टि पर घोर विपदा आने वाली है \
ब्रह्म                 =  विष्णुदेव ..वो घोर विपदा आपके राम के ऊपर आ रही है \माता कौशल्या अहिल्या बनने जा रही है \
विष्णु               = नहीं ०० !राम ऑर कौशल्या अब कहाँ ..सतयुग में राम का चोला तो हमने ही धारण किया था ताकि अधर्म का नाश कर सकें \नाम के तो लाखों राम हैं जहाँ में .
ब्रह्म                  =   क्या अधर्म का नाश हो चूका था?
विष्णु               = निः संदेह |

LUCKI RAM Part 3

मीरा == तुम्हे लगता है ज्योतिषी की बातों में कोई सचाई है ...लक्की बचो !![एकाएक मीरा चीत्कार करती है ]
      [लक्ष्मन की गाड़ी एकाएक बाएं लेन से हाई वे की तरफ मुडती है कि आगे जाता ट्रक अपना लेन बदलता है \ट्रक के पीछे सरिये लदे हैं जो पीछे से काफी बाहर निकल रहें हैं \लक्ष्मन काफी हद गाड़ी कण्ट्रोल करने की कोशिश करता है मगर ...
            नो ०० !छनाक...विंड स्क्रीन टूट जाती है ..शीशे के टुकड़े उसकी आँखों में जा घुसते हैं \दो तीन सरिये भी बॉडी में घुसते हैं
कुछ सरिये छत में जा गड़ते हैं \मीरा को खरोंच भी नहीं आती क्योंकि दूसरी तरफ के सरिये पैसेंजर डोर को बाहर ही बाहर से छूते चले जाते हैं \गाड़ी का अगला बोनेट ट्रक के नीचे जा घुसता है \
मीरा ==हेल्प !हेल्प !...[मीरा भरे गले से चीत्कार करती है \फिर कैट्स [एंबुलेंस ] का नंबर मिलाती है ]
मीरा ==ओ गोड !ज्योतिषी ने ठीक कहा था !पर उसने तो कहा था लक्ष्मन की हत्या में करूंगी ..पर ये तो एक्सीडेंट ..कहीं ऐसा तो नहीं मेरे हाथों फिर कभी इसकी हत्या हो ..नहीं ००० !
              [दस मिनट बाद लक्ष्मन हॉस्पिटल ले जाया जा रहा होता है \
          हॉस्पिटल में लक्ष्मन को amaर gency में ले जाया जाता है \मीरा फोन पर हरीदार निकली मम्मी को खबर करती है \
लक्ष्मन के भाई अनुज ऑर बहन दिव्या को खबर करती है \
         आधे घंटे बाद ----
डॉक्टर =आई ऍम सॉरी मम !बहुत दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि पेशट की आँखें टोटल डैमेज हो गयी हैं \एक सरिया दिल को छीलता गुजरा है \खून काफी बह गया है \बचना मुश्किल है ऑर देखना-- नामुमकिन \भगवान ही बचाए तो बचाए \
मीरा ==नो ०० गोड !तुम इतने पत्थर नहीं हो सकते \
        फिर तमाम रिश्तेदार पहुँचने लगते हैं \लक्ष्मन का भाई अनुज पहुँचता है \बहन दिव्या पहुँचती है \
        कुछ देर बाद लक्ष्मन कोमा में चला जाता है \उसकी सांसें गुम होने लगती हैं \डोक्टोर्स उसे वेंतिलटर पर छोड़ देते हैं \
        दवा बेकार है दुआ जरूरी है \
        दो घंटे  तक मम्मी वहां नहीं पहुँचती \
        दो दिन तक भी मम्मी वहां नहीं पहुँचती \
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      [आकाश में एकाएक बिजली कड़कती है \हाईवे पर एक छोटा सा मंदिर रोशन नजर आता है \उसी रौशनी में ही एक बूडी औरत छड़ी के सहआरे खड़ी नजर आती है \उसके गिर्द चार छह श्रद्धालू डेरा लगाए बैठें हैं \बोदी ओरत बेहद रहस्यमयी आँखों से मंदिर में खड़ी राम ऑर सीता की मूर्ती देख रही है यद्यपि इतने अँधेरे में उसे नजर कुछ नहीं आता ,पर रह रह कर कड़कती
बिजली के दोरान ही वो राम सीता की झलक पा लेती है ऑर हलके से मुस्कराकर चेहरा फेर लेती है \कहती कुछ नहीं \
      तभी एक भक्त उसके पास पहुँचता है \
भक्त ==माँ जी ,पिछले तीन दिनों से आप इस छड़ी के सहारे भगवान राम के सामने खड़ी हैं -आखिर बात क्या है ?
माँ जी =हं हं ०० वो सब जानते हैं \आप उन्हें जानते हैं ?
भक्त ==उन्हें कौन नहीं जानता \वो भगवान राम हैं \उन्हें सब जानते हैं
माँ जी =उन्हें सब जानते हैं तो वो भी सब जानते हैं \देखना --वो एक न एक दिन जरूर बाहर आयेंगे \
भक्त ==बाहर आयेंगे !मंदिर से निकलकर !!
भक्त २ =तब तक आप खड़ी रहेंगी \तीन दिन हो गए \कितने दिन खड़ी रहेंगी आप ?
        सभी भक्त उठकर माँ जी को घेर लेते हैं ऑर हैरत भरी नजरों से निहारते हैं
भक्त ३=अम्मा कितने दिन खड़ी हो लेगी तू ?
माँ जी = मास दो मास..साल दो साल ..युग दो युग ..युगों युगों तक \
भक्त ==अम्मा तू पागल है \तू मर जावेगी !
माँ जी =यही तो देखना है बेटा कब तक अपनी माँ को खडा रखता है \
भक्त १२=बेटा =कोन बेटा !?
माँ जी =वो राम ..वो मेरा बेटा है\
भक्त ==ऑर आप ?
माँ जी =मैं-मैं उसकी माँ -कौशल्या खन्ना
       [सब अलग अलग बोलते हैं ..लगता है बुडिया बौरा गई है ..शायद इस कौशल्या का कोई बेटा नहीं तभी राम को अपना बेटा मान बैठी है ..चलो भाई घर चलें खामखा इस माता के चकर में यहीं पड़े रहे ..न प्रॉब्लम बताती है न ही कोई मदद लेती है
दो तीन सुर =माँ जी माजी  कुछ तो बोलो शायद हम आपकी कुछ मदद कर सकें ?
       [तभी बिजली कड़कती है \माँ की आँखों में हॉस्पिटल का दृश्य नाचता है जहाँ लक्ष्मन कोमा में पड़ा है \उसकी आँखों में बम विस्फोट के स्प्लिंतेर्स(टुकड़े ) घुसे हैं \आँखें पूरी तरह अपनी रौशनी खो बैठी हैं \डॉक्टरों ने जवाब दे दिया है \वो एक्सीडेंट को बम विस्फोट समझती है \
माँ जी ==हं हं [माँ रहस्यमयि हंसी हंसती पुनः राम की तरफ देखती है ]