16.10.09

LUCKI RAM--part 12

श्री राम  = अब मैं चलूँ लक्ष्मन \
लक्ष्मन  = कहाँ ?
श्री राम  = सीते अकेलीं हैं ...
लक्ष्मन  = ओ ०० !क्षमा प्रभु क्षमा ..मैं और मम्मी अपने स्वार्थों में इस कदर डूबे कि भाभी माँ का स्मरण ही न रहा ...
श्री राम  = होता है \चलता है \चलता हूँ \
लक्ष्मन  = प्लीज ,मेरी ओर से भाभी माँ के पाँव छूकर क्षमा मांग लीजियेगा \
श्री राम  = तुम्हारी जगह सीते के पाँव मैं छूउं\
लक्ष्मन  = ओफ्फ्फो !..[लक्ष्मन दांतों तल्ले जीभ दबाता है ,सर पर हाथ रखता है ]गलती हो गई भैया ..
श्री राम  = नहीं --सीते से क्षमा मांगने का तरीका सुझा दिया मुझे \
लक्ष्मन  = व्हाट !
श्री राम = हं ०० !सतयुग में कुछ गलतियाँ ,कुछ पाप हमसे भी हुए थे ,जिनकी सजा सीते जी को भुगतनी पड़ी थी \इसी बहाने शायद हमें भी प्रायश्चित करने का अवसर मिल जाये ,तभी तो कहा था अभी कि मुझे भी कलयुग में रहने की सजा मिली है
लक्ष्मन  = भाई !भैया ..
        लक्ष्मन राम के गले जा लगता है और सिसक सिसक कर रोने लगता है \ उसे दिलासा देते राम , अपनी आंख का आंसू पोंछते कहते हैं -
श्री राम  = लक्ष्मन ,पाप का बोझ कभी पीछा नहीं छोड़ता \युगों युगों तक आत्मा कचोटती रहती है ..सीते ने कभी मुझसे शिकायत नहीं की ..पर शायद तुम्हारे बहाने आज मुझे भी क्षमादान मिल जाये \शायद ०० ?
लक्ष्मन  = तभी आपको  मुझ जैसे पापी के भीतर रहने की सजा मिली है
श्री राम  = शायद ! सीते ने ही रास्ता दिखाया कि जाओ माँ के पास जाओ ..सतयुग में दुनिया के लिए पत्नी को त्यागा था ..इस युग में दुनिया के लिए पत्नी तुम्हे त्यागती है \
लक्ष्मन  = ऐसा कहतीं हैं वो ?
श्री राम  = मुख से तो कुछ नहीं बोलीं परन्तु ऑंखें उनकी स्पष्ट कह रहीं थीं कि इस युग में अग्नि परीक्षा राम को देनी होगी \उस युग में लक्ष्मन के रथ पर बन में भेजा था ,इस युग में मैं तुम्हे लक्ष्मन रुपी रथ में भेज रहीं हूँ \यह बनवास आपको बिन सीते ही भोगना होगा \
लक्ष्मन  = भाई प्लीज चुप हो जाइये ..प्लीज प्लीज [हाथ जोड़ता ,रोता लक्ष्मन राम के सीने में मुंह छिपाता है ]
श्री राम  = आज बोलने दो लक्ष्मन ..युगों के पश्चाताप ने आज गुबार बन बहना है ..उस युग से युगों युगों तक 'सीते वियोग ' ही सहना है ...
लक्ष्मन  = सॉरी भाई सॉरी ..आज जाना कि आपके दुःख के आगे मेरा दुःख कुछ नहीं \मैं सात जन्मों से अपनी मीरा को पाने की छह में भटक रहा हूँ जबकि आप युगों युगों से मैया सीता से क्षमादान पाने को तरस रहें हैं ..मैं भ्पूल गया था भैया कि माता सीता मंदिरों ,कैलेंडरों में आपके साथ नजर जरूर  आती हैं पर वो हकीकत में आपके साथ नहीं हैं   आपसे प्यासा कोई नर नहीं यहाँ ..राम से प्यासा कोई वर नहीं यहाँ   आपके चरणों की सोगंध भैया ..मैं बदलूँगा ..दुनिया बदलेगी ..जो नहीं बदलेगा उसकी दुनिया बदल दी जायेगी ..हर घर में राम होगा ,घर घर में राम होगा ,हर नर में राम होगा ,नर नर में राम होगा ..भैया भैया ...[लक्ष्मन एकाएक भावुकता के भंवर से बाहर निकलता ,राम को पुकारता है ]
       पर श्री राम आलोप हो चुके होतें हैं !
लक्ष्मन  = काश !पत्नी प्रेम की यह दास्तान हमारे बच्चे समझ पाते ..पर उन्हें तो affairs ,one night stand,live-in रिलेशनशिप ही हैं भाते \सात फेरों के बंधन ,सात जन्मों के वचन क्या हम हैं निभाते \हम तो बस जरा जरा सी बात पर तलाक तक हैं पहुँच जाते ..हैं ०० भैया ,आपने गौर नहीं किया मैं बदल गया ..मैं बदलना शुरू हो गया \मैंने काफी टाइम से आयेला ,गयेला भी नहीं किया \क्यों न बदलूँ..जिसके भीतर जब हो राम ..तो मेरा तेरा का क्या अब काम ..पर भाई .दुनिया के लिए मैं अभी भी आयेला ,गयेला ही रहेगा ..बम्बई का टपोरी   ताकि उन्हें लगे जब एक टपोरी के अंदर राम रह सकतें  हैं तो उनमे क्यों नहीं \
        तभी राम्लुभावन खाना लेकर आता है ओर लक्ष्मन की तंद्रा टूटती है \
रामलुभावन = खाना \गरमागरम खाना \
       फिर वो खिचडी की प्लेट टेबल पर रखता है \
राम लुभावन =सर १खन खा लीजिये \आधे घंटे में बत्ती बुझ जायेगी \
लक्ष्मन  = बत्ती तो अब जाकर जली ..इदर दिमाग में ..इदर सीने में ..[कहता लक्ष्मन वो जहरीली खिचडी खाने बैठता है ]
                                                                                                                         ..... TO BE CONTINUED

lucki Ram part 11

        लक्ष्मन भुन भुनाता हुआ बाहर निकलता है \पीछे पीछे श्री राम भी प्रकाश पुंज के रूप में बाहर आते हैं
        बाहर लक्ष्मन मुंह फुलाए खडा है \राम उसके कंधे पर हाथ रखते हैं \
श्री राम  = जो तुमने देखा लक्ष्मन ...वो मैंने भी तो देखा ..ऑंखें तो मेरी ही हैं \
लक्ष्मन  =  वो सब मैं जानता भाई ..पण मेरे कू भी तो बताइए कि मैं अपनी मुंडी कब देखेगा ...मैं जब जब mirror देखेगा लोगां के पाप दिखेगा    different different सांप दिखेगा
श्री राम  =  मुझे भी यही दिखेगा \क्या तुम चाहते हो कि भैया राम भी यह सब गन्दगी देखें \
लक्ष्मन  =  नो नो !नेवर !मैं कबी नहीं चाहेगा कि भगवान् राम ये सब गन्दगी देखें ..पण मैं क्या करूं   कोई रास्ता भी तो सुझाइए
श्री राम   = रास्ता है \
लक्ष्मन  =  आईला १
श्री राम =   जब जब तुम्हे पाप नजर आये ,जहाँ जहाँ तुम्हे सांप नजर आये तुम उसे मिटाते जाओ \
लक्ष्मन  =  यू मीन मर्डर !
श्री राम  = वध ...
लक्ष्मन  = वध-- ओ के दिस  इज नोट मर्डर ..वध बोले तो हत्या ,कत्ल .खून ,बट नोट मर्डर ...यू नो ब्रदर दिस इज नोट कलयुग ...इदर आई० पी ०सी ० [इंडियन पीनल कोड] के किसी भी सेक्शन में वध वाला क्लॉज़ नहीं है ...एक वध की सजा १४ साल की सजा या फिर ऐ०००० [लक्ष्मन जीभ बाहर निकाल कर दिखाता है ]फांसी ०० !टू बी hanged टिल डेथ \समझे ?
श्री राम  = समझूं तो तब जब तुम कुछ कहने दो...मैं कहने जा रहा था वध किसी समस्या का हल नहीं   तुम्हे लोगों को बदलना है .. किसी को उसके किये की सजा दिलवानी है तो किसी का मन बदलना हैउसकी आत्मा बदलनी है ताकि वो पुनः पाप के मार्ग पर न जाये \
लक्ष्मन  = आप क्या सोचता वो लोग मेरे कू छोड़े गा जो अपनी अपनी dokumentary मेरी आँखों में देखेगा ?
श्री राम = यही तो मैं चाहता हूँ कि पापी घबराकर तुम्हारे पास आये \अपने किये का पश्चाताप करें \अगर वो न आ पायें तो तुम उनके पास जाओ    उन्हें सजा दिलवाओ \
लक्ष्मन  = ऐ भाई ...दिस इज इंडिया !इदर् हर तीस मिनट में रेप होता और एवरेज ५ साल में रपिस्ट को सजा मिलता \इदर हर साठ मिनट में मर्डर होता और १३ साल में murderer को सजा मिलता वो भी तब जब मामला हाई प्रोफाइल हो \मीडिया पीपुल पीछे पड़ा हो -otherwise तो मामला पेंडिंग ही लटक जाता ..या विक्टिम चला जाता या accused ..और आप कहतें हैं ऐसे लोगां को मैं कानून के हाथों सजा दिलवाए ..आप देखिये गा अबी दोनों डॉ ० मेरे कू सजा देने के वास्ते पहुँचता ही होएंगा ,बस रास्ते में ही होएंगा ,यू नो ये मेरा इंडिया ..मेरा भारत महान ,सो में नब्बे बईमान \
श्री राम  = मुझे दुःख है कि मेरे लक्ष्मन की भी वही सोच है जो एक आम आदनी की सोच है
लक्ष्मन  = तो आप क्या चाहता ?
श्री राम  = मैं जानता हूँ अब तक तुम नाकामयाब रहे हो ..आजीविका कमाने के लिए किसी भी काम में तुम्हारा दिल नहीं लगा ..तुम कई बार कहते रहे हो कि लक्ष्मन सतयुग का आदमी है जो गलती से कलयुग में पैदा हो गया ...तुमसे जिया नहीं जा रहा इस दुनिया में ...
लक्ष्मन  = भाई ,आप क्या चाहता ?
श्री राम  = ...तुम्हे अपने कार्य से संतुष्टि नहीं थी वो क्या कहते थे अंग्रेजी में
लक्ष्मन  = ज ज जॉब satisfaction [इन्ही शब्दों के साथ ही लक्ष्मन सोच्मगन हो उठता है ]
श्री राम  = ...तुम दुनिया के लिए कुछ karnaa चाहते थे \तुम्हे dharti पर पाप ,दुराचार ,अत्याचार ,भ्रष्टआचार और शुक्राचार्य ..
लक्ष्मन  = व्हाट !आप जानता उस मदारी ...
श्री राम  = चुप्प ...बहुत महान व्यक्तित्व है वो ...और भविष्य में तुम उनके लिए कोई अपमानजनक शब्द नहीं बोलोगे \वो धरती पर तुम्हारी ही कहानी लिखने आये हैं \
लक्ष्मन  = जैसे बाल्मीकी जी ने आपकी लिखी थी\
श्री राम  = ...और उनके पूर्वजों ने ही तुम्हारे पूर्व जन्मों  की कहानियां लिखी ...
लक्ष्मन  =  आईला १मेरे लिए कोई ग्रन्थ लिखेला ..बोले तो अगले किसी युग में मैं भी पूजा जायेगा \
श्री राम  = इस जनम में वो तुम्हारे ही कुकर्मों की कहानी लिखने आये हैं \तुम जरूर जाने जाओगे बशर्ते की अपने पूर्व जन्मों के पापों से बाहर निकलो
लक्ष्मन  = आप जानते वो मेरे को क्या बोले ?
श्री राम  = वो बोले क्या ...वो तो होना भी शुरू हो गया ..उसके लिए तो हमने धरती पर जनम भी ले लिया और लक्ष्मन के रूप में चोला भी धारण कर लिया \
लक्ष्मन  = इट मीन्स मेरे पर जो भी मुसीबतें आएँगी ,,जो भी दुःख आयेंगे ..
श्री राम  =वो राम भोगेगा \
लक्ष्मन  = व्हाट ![लक्ष्मन उछलता  है ]यू नो वो मदारी ..सॉरी..वो शुक्र चरया मेरे कू बोले कि मीरा ऑर मैं जनम जनम के दुश्मन ..कबी मीरा मेरे कू मारा..कबी मैं मीरा कू मारा ..मीन्स ..आप मुझे बचायेंगे इस सबसे ?
श्री राम  = मैं वो भी भोगूँगा \
लक्ष्मन  = मतलब भगवान् होकर भी आप, मुझे बचायेंगे  नहीं --भोगेंगे \
श्री राम  = मैं भोगने आया हूँ ,बचाने नहीं \मैं बदलने आया हूँ बनाने नहीं
लक्ष्मन  = मतलब ?
श्री राम  =हर किसी को बचाने की ताकत मुझमे नहीं \न ही हर किसी को बनाने की ताकत मुझमे है \हर कोई धरती पर बचने लगे तो धरती पर कोई मरेगा नहीं और धरती पर बोझ बढता जायेगा \ हर कोई 'बनने ' लगे तो जो बनना [development] है वो कब बनेगा ?कोन बनाएगा ?
लक्ष्मन  = समझ गया भाई !लक्ष्मन आपकी नजर में हर कोई ही है \हर किसी ही है हं ०० काहे का मैं लक्की ,काहे का मैं लक्ष्मन \
श्री राम  = लक्ष्मन विषय का मर्म समझो ...मुझे कलयुग में रहने की सजा मिली है =अगर चाहते हो कि मैं तुम्हारी अनकहीं से पाप न देखूं तो पाप मिटाओ ..अगर चाहते हो ,मैं तुम्हारे पूर्व जन्मों के कुकर्म नो भोगूँ, तो अपने कर्म बनाओ ..और मुझे
बचाओ ..बेकार की बहस न बढाओ\मनुष्यों की लडाई मनुष्य बनकर ही लड़ी जा सकती है और वो मनुष्य तुम हो-- तुम \
लक्ष्मन  = सार्री भैया ..मैं भूल गया था कि प्रभु से बहस नहीं की जाती [लक्ष्मन पहली बार संजीदा होता है ]उनका तो सिर्फ हुकम माना जाता है ..मुझे क्या करना होगा ?
श्री राम  = पहले तुम बदलो ..उसके बाद लोगों को बदलो \
लक्ष्मन  = जो न बदले ...जो मुझे बदलना चाहे ...जो बदला लेना चाहे ?
श्री राम  = उसकी दुनिया बदल डालो ..फिर भी न माने तो ,उसका लोक बदल डालो \प्रेम और युद्घ में सब जायज है \
लक्ष्मन  = यू मीन --वध!नोट मर्डर बट वध
श्री राम  = वध आखिरी हथियार है   वो भी तब ..जब कोई चारा न रहे \कोई और चारा न बचे ..कोई और सहारा न बचे \
लक्ष्मन  = आपकी आज्ञा सर आँखों पर ...आज के बाद लक्ष्मन का सबसे बड़ा यही है अरमान ,जब कोई कहे ,मेरा भारत महान ,पर तब ,जब सो में नब्बे राम !

15.10.09

LUCKI RAM--part 10

चीं ००० [दरवाजा खुलता है ऑर एक नर्से भीतर घुसती है ]
नर्स        = दो ० देवा \डीन आपको बुला रहें है \
डॉ० देवा  = मारिया \ दरवाजा बंद कर दों\
मारिया   = क क क्यों !
डॉ०देव   =  बोला न ...शाट द डोर ...एक important बात करनी है \
मारिया   = ज ज जी [नर्स हकलाते हुए दरवाजा बंद करती है ]
डॉ ० देवा  = नॉव पुट ऑफ यौर क्लोथ्स
मारिया   =  व्हाट !
डॉ ० देवा  = अपने सारे कपडे उतारो \
मारिया  =   बट व्हाई
डॉ ० देवा  = मुझे भूख लगी है ...बीवी है नहीं    सो मैं कहाँ जाऊँ, क्या खाऊँ
मारिया   = नो ००...नेवर !
डॉ ०देवअ = तुम चाहती हो न तुम्हे हेड नर्स बनाया जाये \तुम चाहती हो न नैना की प्रमोशन न हो ...सो मैं डीन के पास जा रहा हूँ \तुम्हारी सिफारिश कर दूंगा \
मारिया   =  नो ...मैं ऐसा नहीं कर सकती
डॉ ० देवा  =पर नैना ऐसा करती है
मारिया   = तो उसी की ही प्रमोशन करिए ...
डॉ ० देवा = वो मछली क्या जो आसानी से फंस जाये ..उसका मजा अलग ही है जो इन्तजार करवाए
मारिया   = मैं मछली नहीं सो चलती हूँ [नर्स दरवाजे की तरफ बड़ती है ]
डॉ ० देवा  = तुम्हे घर ठीक करवाने के लिए लोन भी तो लेना है ...मैं दिलवा दूंगा \
मारिया   = इज्जत बेचकर पैसा कमाया तो क्या कमाया [वो दरवाजा खोलती है ]...गेट लोस्ट यूं बास्टर्ड ..
डॉ देवा   = तुम्हारे ५ साल के बेटे के दिल में छेद भी तो है ,उसका ऑपरेशन भी तो होना है ...पैसा नहीं है न ,नहीं तो ऑपरेशन कब का हो जाता ...मैं करवा दूंगा ...
        तब तक नर्स बाहर जा चुकी थी ऑर दरवाजा धीरे धीरे बंद हो रहा था कि नर्स का चेहरा दरवाजे पर चमका ..
मारिया = सच !![उसकी ऑंखें छल छला उठती हैं ऑर वो भीतेर पहुँच चुकी होती है ]
डॉ ० देवा = या! नॉव स्ट्रिप ऑफ ...पूरे कपडे उतारो [डॉ ० खडा होकर अपना कोट उतरता है ]
मारिया   = ओलाद के लिए इज्जत न बेचीं तो क्या कमाया [नर्स उसी पल अपने कपडे उतारने लगती है ]
लक्ष्मन  =  अब हटो भी [तभी लक्ष्मन अपने सामने से देवा को परे हटाता है] खाला जी का बाइस्कोप लागेला क्या ..ये तुम आई टेस्ट करेला या कुछ ऑर ?... मुंडी दुखेला मेरा \
डॉ ० देवा = ओह ![डॉ झेंपता हुआ उठता है ऑर मदान के साथ बाहर निकलता है ]
डॉ ० मदान = देखा ?
डॉ ० देवा   = आर यार !उसने तो मुझे मारिया दिखा दी \वो धक्का न देता तो मैंने पांच मिनट में ही अपनी  ब्लू फिल्म देख कर ही उठना था \
डॉ ० मदान = अब ?
डॉ ० देवा   = तुम ठीक कहते हो ...उसे रस्ते से हटाना ही होगा ...जब हम अपने कुकर्म उसकी आँखों में देख सकते हैं तो वो भी तो देखता होगा \जानता होगा \वो कभी भी हमें कानून के शिकंजे में फंसा सकता है \
डॉ मदान =   क्या ज़माना आ गया है पहले इस अंधे के देखने के बांदे थे अब इन आँखों में ज़माना दिखता है \कोई भी अपना इतिहास ,अपना पाप देख सकता है \
डॉ ० देवा = सो आँखों वाला अँधा ...ये मिराकल है तो बेहद घातक मिराकल है ...मुजरिम कानून से बच जाये ,भगवान से बच जाये ..पर इससे कैसे बचेगा \
डॉ ० मदान = ये तो पूरी दुनिया के सामने हमें नंगा करेगा \
डॉ ० देवा   =  मेरी मनो आज ही इसे इंजेक्शन दे देते हैं\
डॉ मदान  =  नहीं !रात को खाने में खिचडी आएगी \उससे इसे ऐसी नींद आएगी ऐसी नींद आएगी ...कि चिता पर भी न खुलेगी \
डॉ देवा   = ये ठीक रहेगा \खिचडी में जहर ...ऑर शक राम लुभावन पर ...सच !राम नाम के कैसे कैसे बन्दे हमारे काम आ रहें हैं  ..पहले रमाकांत अब राम लुभावन
next day =========
        लक्ष्मन खन्ना बाथरूम में घुसता है १उस्के हाथ में शेविंग किट है १वो शेव की तयारी करता है १
लक्ष्मन  = हूँ ०० शेव बहुत बढ गया ..दाड़ी बोले तो darha बनेला \वन वीक बी तो हुए ला
        इन्ही शब्दों के साथ वो अपनी ठुड्डी पर पानी मलता है ऑर क्रीम लगा कर ब्रश करने लगता है \धीरे धीरे झाग बनती जाती है \अंततः वो rajor उठाकर mirror में देखता है ऑर फिर rajor चलने लगता है कि उसकी आँखों में कोई दृश्य नाचता है
        mirror फ़िल्मी परदे के रूप में नजर आने लगता है \
        पहले दृश्य में वो बबलू की मोत का पूरा दृश्य दोनों आँखों से देखता है ..
लक्ष्मन   = आईला !उई ००० [कहीं razor अटकता है शायद ]ओ गोड !क्या कियेला मेरे कू ...
        तभी दूसरी फिल्म मारिया वाली चलनी शुरू हो जाती है ...वो अपने कपडे उतर रही होती है
लक्ष्मन   = ...ब्लू फिल्म दिखायेला \नो ०००
        फिर सीन ख़तम हो जाता है तो उसे समझ आता है कि इसी दोरान ही उसने डॉ ० देवा को मशीन से परे धकेल दिया था ,नहीं तो वो डॉ ० पूरा सीन देख कर ही उठता
लक्ष्मन    = उई वो ...हुश ..[अपनी आँखों में चलते दृश्यों की वजह से वो अपना चेहरा नहीं देख पाता अतः शेव करने में दिक्कत होती है ]
लक्ष्मन  =  भाई भाई !ये तुम क्या किया मेरे को [अपना सीना ठोकता वो बोलता है ताकि भीतर बैठे राम बाहर निकलें ]
श्री राम  =  क्या हुआ लक्ष्मन [उसके कानो में आकाश वाणी होती है ]
लक्ष्मन  =  कमाल है अपने हमाम में मेरे कू लोगां के हमाम दिखेला ...वो डॉ मदान बबलू का मर्डर कियेला मैं देखा ...नर्से मारिया अपने कपडे उतार ....
श्री राम  =  शी००० !
लक्ष्मन  =  भाई शी ००० से क्या होएंगा ..मेरे कू अपुन की मुंडी तो दिखेली ही नहीं ..ये देखो शेव बी न कर पाया मैं ..चार जगह ब्लेड लागेला ...ठुड्डी ब्लीड करेला ...ऑर आप बोलता शी ०० चुप करेला मैं ...भाई मैं चुप नहीं करेगा ....मेरी मुंडी लोगां का बाइस्कोप बनेला ...
श्री राम   = शांत लक्ष्मन शांत ...पहले स्नानघर से तो बाहर निकलो \
लक्ष्मन   = स्नानघर !?ओ येस-बोले तो हमाम ...फिर बोले तो वाश रूम
       लक्ष्मन भुन भुनाता हुआ बाहर निकलता है \पीछे पीछे श्री राम भी प्रकाश पुंज के रूप में बाहर निकलते हैं\
    

14.10.09

lucki Ram part 9



          मीरा समझ जाती है कि मिराकल हो चुका है \
          तभी लक्ष्मन अपने पीछे लगे स्विच बोर्ड पर लगे कुछ स्विच ऑन करता है\
डॉ०देव  == डॉ ०० मदान !ये तो देख रहा है !
डॉ ० मदान=हू !strange !अंधों से भी अच्छा देख रहा है \अँधेरे में ही स्विच ढूँढ लिए जो कि हमें तुम्हे  दिखाई नहीं दे रहे \
डॉ ०देव == ऑर स्विच बोर्ड उसने उसी रेनबो में ही देखा ...जो हमें नहीं दिखा
डॉ०मदान = यू मीन मिराक्लेही गया \
डॉ ० देव == ओफ़्फ़्कौर्से                    
          तभी लाइट जलती है और लक्ष्मन हैरत से अपने आप को श्री राम की बांहों में पाता है\
श्री राम =  लक्ष्मन !तुम यह दुनिया अब सतयुग के राम की आँखों से देखोगे \और मैं --तुम्हारे शरीर में यह कलयुग भोगूँगा \आँखें मेरी होंगी और शरीर तुम्हारा \
         अपने कानों में गूंजती इस आकाशवाणी से लक्ष्मन खन्ना कंप कंपाना शुरू हो जाता है \तभी डॉ ० उसे व्हील चेयर पर बिठाते हैं और नेत्र चिकत्सा कक्ष में ले जाते हैं \
डॉ ० देवा = आओ लक्ष्मन तुम्हारी ऑंखें चेक करनी हैं \
        दोनों डॉ ०उसे एक computerised आई टेस्टिंग मशीन पर बिठाते हैं\एक डॉ ०मशीन के एक तरफ अपनी आँखें टिकाता है ऑर दूसरी तरफ लक्ष्मन अपनी आँखें टिकाता है \
        डॉ ० को शुरू -शुरू में स्याह अँधेरा दिखता है \फिर एकाएक लक्ष्मन की पुतलियाँ  सफ़ेद दिखाई देनी शुरू हो जाती हैं \
डॉ ० == ओ माय गोड !आई pupil एकाएक व्हाइट हो गया [डॉ चोँक कर चेहरा हटाता हैफिर देखता है ]
        सफ़ेद परदे पर सहसा एक ऑपरेशन थिएटर का रंगीन दृश्य नाचता है जहाँ ऑपरेशन टेबल पर किसी का ऑपरेशन हो रहा होता है \
डॉ ० मदान = हेलो बबलू \this इस  डॉ मदान \बबलू we are going to operate you ...
डॉ ० मदान = बबलू ![लक्ष्मन के सामने से चेहरा हटाता है ऑर मन ही मन बडबडाता है ]गोड!ये तो मेरी ही आवाज है \६ महीने पहले मैंने ही तो बबलू का ऑपरेशन किया था !ऑपरेशन कहाँ था वो ...वो तो म म  मर्डर   नो !
         मदान फिर अपना चेहरा लक्ष्मन के सामने मशीन पर रखता है
डॉ ०मदान = बबलू आँखें खोलो बेटा \
        बबलू का पूरा शरीर हरी चादर से ढका होता है चादर के एक सुराख़ में सिर्फ उसकी एक आंख नजर आ रही होती है ..फटाक ...सहसा उसकी वही आँख खुलती है \
डॉ ० मदन = बबलू अभी हम लोकल अनेस्थेसिया दे रहें हैं \उसके बाद तुम्हे कोई दर्द महसूस नहीं होगा \फिर हम आसानी से आपका मयोपिया का  ऑपरेशनकरेंगे \उसके बाद आपको चश्मा नहीं लगाना पड़ेगा \राईट ?
 बबलू = राईट !चादर के नीचे से बबलू की दबी दबी सी आवाज आती है \
       फिर एक स्पेसिअलिस्ट अनेस्थेसिया मशीन के पास जाताहै \
डॉ ० मदान = डॉ ० देवा [मदान पास खड़े देवा के कान में फुसफुसाता है ]अब तम्हारा काम है पता है न ?
डॉ ० देवा =   ओ के \[देवा मदन के कान में फुसफुसाता है]मैं अभी अनेस्थ्सिया का रेगुलेटर फुल वोलूम[volume] पर कर दूंगा ऑर बबलू मर ...ऑर नाम आयेगा specalist रमाकांत पर कि उसने overdose दे दी \
        दोनों डॉ ० के पास खड़ी नर्सें व सहायक उनकी सरगोशियाँ नहीं सुन पाते\ वैसे भी उन सब ने मास्क पहन रखे होते हैं \
        रमाकांत एक काले रंग का मास्क लेकर बबलू के पास पहुँचता है ऑर बबलू के चेहरे का हरा फ्लाप उठाकर काला मास्क उसकी नाक के आगे रखता है \उधर डॉ ०देव मशीन के पास चला जाता है
रमाकांत = बबलू \ज़रा गहरी सांस लो --डॉ ० देवा आप ज़रा रेड स्विच ऑन करना
डॉ ० देवा = ओ के \[कहता डॉ ० रेगुलेटर घुमा देता है ..५ अंक पर नजर आती सुई १३ अंक पर पहुँच जाती है \साथ ही वो रेड स्विच ऑन कर देता हैउधर बबलू गहरी सांस लेता है ऑर गैस उसकी नाक द्वारा बॉडी में जा पहुँचती है \
           डॉ ० देवा रेगुलेटर नोर्मल करता वापिस पहुँचता है
डॉ मदान = बबलू \आँख बंद करो बेटा \
           बबलू की आंख बंद नहीं होती \सिवाय दोनों डॉ ० के कोई नहीं जान पता कि बबलू की आंख नहीं ,आँखें सदा सदैव के लिए बंद हो चुकी हैं \
 डॉ ० मदान = राईट! आंख बंद नहीं कर पा रहा ,मतलब बेहोशी का सही असर है \now we can operate
           उसके बाद दोनों डॉ ० ऑपरेशन करने में जुट जाते हैं \एक मुर्दे का ऑपरेशन जिसे कभी चश्मा न लगाना  पड़े \
          मदान अपना चेहरा एकाएक लक्ष्मन के सामने से हटाता है ऑर खोफ्फ़ से कंपने लगता है \
लक्ष्मन = काय कू काम्पेला ..मेरी आँखों में ऐसेच  क्या देखेला कि मिर्गी पड़ेली \
डॉ ० मदान = व व वो म म मैं अभी आया ...तुम हिलना नहीं हिलना नहीं
लक्ष्मन =  मैं काए कू हिलेगा ...पटना हीले कलकत्ता हीले ००० दिल्ली  हीलेला ...ओ मोरी ००० लचके जब नजरिया ...ओ सारी दुनिया हीलेला ..जय श्री राम !
         डॉ ० मदान देवा के केबिन में पहुँचता है
डॉ ० मदान =  देव देव !वो लक्ष्मन की आँखों में बबलू का पूरा ऑपरेशन दिखाई दे रहा है डॉ ० देवा =    व्हाट ![वो उछलकर खडा होता है ]
डॉ ० मदान =  हाँ !याद है ऑपरेशन के दोरान एकाएक ही नर्से चीख पड़ी थी --पेशंट की पल्स बीटगायब है ऑर हमने बबलू को dead दिक्लयेर कर दिया था \
डॉ ० देवा =     हाँ ऑर सारा दोष रमाकांत पर ही आया था -वो आज भी judicial कस्टडी में है \जबकि हमने आधे घंटे बाद ही बबलू की आँखों के दोनों कोर्नेया निकाल लिए थे ऑर मंत्री वागले की आँखों में ट्रांस प्लांट कर दिए थे \नतीजे में हमें ५ ५ लाख इनाम में मिले थे ...ऑर तुम कह रहे हो यह सब तुम्हे लक्ष्मन की आँखों में दिखाई दिया \
डॉ ० मदान = हाँ हाँ -तुम भी चलकर देखो \अपने जिन पापों को हम कर के भूल भी चुकें हैं वो पाप उन पराई आँखों में दिखाई दे रहें हैं
डॉ ० देवा ==  नो !नो १
        दोनों डॉ ० तेज क़दमों से वार्ड की तरफ भागते हैं \
डॉ मदान  = देवा !ये आदमी खतरनाक है हमारे लिए ...कुछ करना होगा ...बबलू जैसा ही कुछ करना होगा ..अभी दो चार दिन ये हॉस्पिटल में ही रहेगा \
दो ० देवा   = चुप !अभी किसी नतीजे पर पहुंचना ठीक नहीं \
        दोनों कक्ष में पहुँचते हैं ऑर देवा लक्ष्मन की आँखों के समक्ष बैठता है \
        अंधकार के बाद सफ़ेद पर्दा आ जाता है ऑर पाहते ही दृश्य में देवा अपना पहलु बदलने लगता है [सीन उसके अपने ओ पी डीरूम का ही होता है ...

lucki Ram part 8

     [हॉस्पिटल में ICCU का द्वार खुलता है ऑर डॉक्टर बाहर निकलता है ]
मीरा       =क्या पोसिशन है डोक्टर ?
डॉक्टर ==  सॉरी [वो इंकार में गर्दन हिलाता है ]नो इम्प्रूवमेंट !नो मूवमेंट ! बॉडी  अभी भी कोमा  में है /कोई हरकत नहीं ऑर ऑंखें ...[फिर डॉक्टर अफ़सोस भरी मुद्रा में गर्दन हिलाता निकल जाता है  \मीरा दोनों हाथों में चेहरा छिपा कर फफक उठती है ]
दिव्या      = ओ मेरी भाभी !ओ ओ [लक्ष्मन कि बहन दिव्या आकर उसे तस्सली देती है ]रोना नहीं \सब ठीक हो जायेगा \
      [मीरा उसकी बाहों में फफक उठती है जबकि दिव्या रहस्यमयी  आँखों से सोचती है ...
दिव्या      = लक्की भैया!आप तो अब ऊपर ही जाओ \बिन आँखों के वैसे भी क्या करेंगे जीकर \मीरा की भी जिंदगी ख़राब करेंगे\सोचो--आप अगर मर जाते हैं तो कितने लोग लक्की हो जायेंगे \मुझे माँ वाला मकान मिल जायेगा -माँ के बद्पूरी प्रोपर्टी मेरी हो जायेगी \मीरा को भी -कोई नया मोहन मिल जायेगा
            चीं००[तभी मुख्या द्वार खुलता है ऑर माँ भीतर कदम रखती है \राम किसी कोम दिखाई नहीं पड़ते \]
मम्मी     = लक्की !लक्की देख कोन आया है !भगवान् राम आये हैं बेटा !
दिव्या     =[बुडिया पगला गई हैं ]मन ही मन बुद बुदाती दिव्या माँ को बोलती है ==कहाँ गई थी आप ?५ दिन से आपकी कोई खबर नहीं -पता नहीं कहाँ घूमती रहती हैं आप ?
मम्मी === आओ राम !बेटा आओ [उसके शब्द नजर अंदाज करती मम्मी आई सी सी कक्ष की तरफ बड़ती है जबकि राम दिव्या के बीच में से निकलते हैं [
दिव्या    == हैं ००० मुझे ऐसा क्यों लगा कि मेरे भीतर कुछ हलचल हुई है \हट ००वहम है तेरा
          चीं ०० [मम्मी ऑर राम भीतर प्रविष्ट होते हैं ]
          [अंदर आई सी सी यू बेड पर लक्ष्मन मृतप्राय पड़ा है कंप्यूटर पर ब्लड प्रेशर .ई सी जी ,हार्ट बीट्स सब मद्धिम नजर आ रहीं है \पूरे सर पर पट्टियाँ बंधी हैं ]
मम्मी     = लक्की लक्की मैं आ गयी बेटा \देख कोन आये हैं \श्री राम आये हैं \
          [तभी राम लक्ष्मन के सामने खड़े होते हैं ऑर प्रकाश पुंज में तब्दील हो जाते हैं \वार्ड में मोजूद नर्सों ऑर मरीजों को यह दृश्य दिखाई नहीं देता \प्रकाश पुंज कि किरणें लक्की में प्रवाहित होने लगती हैं \
        हं ०००[एकाएक लक्ष्मन को झटका  लगता है फिर उसका शरीर फड फडाने लगता है \]
नर्से        = डॉक्टर डॉक्टर !मीराकल [वो बाहर भागती है ]पेशंट को होश आ रहा है \
         [देखा देखि कक्ष में काफी लोग घुस जाते हैं \दिव्या का रंग पीला पड़ने लगता है ]
मम्मी === लक्की !लक्की [खुश होती माँ की आँखें भीगती हैं ]
लक्ष्मन  == म .. म म मम्मा हे र र राम [लक्ष्मन के मास्क में से आवाजें टूट टूट कर निकलती हैं फिर हाथ पैर फड  फडाने लगते हैं ]
       [फटाक ...धडाक...फिर उसके चारों ऑर लगी ड्रिप्स, मास्क हटना शुरू हो जाते हैं और लक्ष्मन उठ कर बैठने लगता है
साथ ही वो चेहरे की पट्टियाँ खोलने लगता है ]
       तभी दोनों डोक्टोर्स अंदर घुसते हैं
डॉक्टर   = स्टाप इट!अभी पट्टियाँ खुलने का समय ..
लक्ष्मन == मम्मी !किदर है तू ..मेरे कू तेरे कू देखना मांगता \
मम्मी === बच्चे रुक !मैं इधर ही तेरे पास [मम्मी उसे कलेजे से लगाती है ]
लक्ष्मन   = तुम वो राम राम बी कुछ बोली थी न १रिमेम्बेर ! जय श्री राम !
डॉक्टर    = बेटे टांके अभी कच्चे हैं \कच्ची आँखों पर सीधी  रौशनी  पड़ी तो तुम्हारी eye sight जा सकती है \
लक्ष्मन    = मैं जानता मेरी आँखों में कांच घुसेला...मैं देखा कि मैं तब नहीं देखा ...मैं समज गया म अब  सूरदास होएला ..मेरा आई sight अब खलास ...total finish ,फिर बी मैं देखेगा --मन की आँखों से --मम्मी को देखेगा \
        [सामने खड़े श्री राम के नेत्र भी सजल हो उठते हैं जबकि लक्ष्मन अपनी पट्टी उतार देता है ]
डॉक्टर    = सब बाहर निकलो lights off \पेशुंट के लिए lights हार्म फुल
       [मीरा एक कोने में दुबक जाती है [उसकी आँखों में शुक्राचार्य के शब्द गूंजने लगते हैं \बाकी सब बाहर चले जाते हैं ]
लक्ष्मन    = मेरे कू मालूम पट्टी के पीछु बी अँधेरा आगे बी अँधेरा ...अंधे के चारों तरफ अँधेरा ही अँधेरा ..मम्मी मेरे कू कुछ नहीं दीखेला \
मम्मी    = अँधेरा है बेटा ...मुझे भी कुछ देखाई नहीं दे रहा [माँ दुर  खड़ी सिसकती है ]
        तभी राम उसके समक्ष पहुँचते हैं \प्रकाश पुंज लक्ष्मन को दिखता है \
लक्ष्मन   =मम्मा ..ये गोल गोल lights क्या ..मेरे कू seven color रेनबो दीखेला ..
डॉक्टर   = डॉ० देव -लगता है आँखों के साथ साथ पेशंट का दिमाग भी हिल गया है \आपको भी रेनबो दिख रहा है ?
डॉ ० देवा =नो !सिवाय घुप्प अँधेरे के तो कुछ भी नहीं
        तभी राम उसके करीब पहुँचते हैं \
लक्ष्मन  = मम्मा !रेनबो पास आयेला है ..आप कौन जी [उधर राम लक्ष्मन को बांहों में भींच लेते हैं ]..मम्मा ये हाई वोल्टेज रेनबो मेरे को जकडे ला ..४४० वोल्ट इलेक्ट्रिसिटी ..ह र र र ००० ..मम्मा मैं काम्पेला क्यूँ हूँ ...आई ऍम शिवेरिंग ..मम्मी सम बॉडी shaking मी ..शोककिंग मी ..ओ भाई पॉवर हाउस !हू आर यू ?
श्री राम == तुंमहारा राम और तुम... मेरे लखन मेरे लखन
लक्ष्मन  =  आईला !सुभाष घई की राम लखन कौन देखेला ..कौन मेरे कानां में फ़ुस फ़ुस करेला ..हैं ०० jackie shroff !
         तभी प्रकाश पुंज की रौशनी लक्ष्मन की आँखों में घुसती है \लक्ष्मन को पुंज में ही श्री राम के दर्शन होते हैं और उसी क्षण उसकी ऑंखें नाम पड़ना शुरू हो जाती है |
        माँ दूर दुबकी सिसकियाँ भारती है
       मीरा की ऑंखें लक्ष्मन के शब्दों से ही झिल मिलाने लगती हैं \
       वो समझ जाती है

lucki Ram part 6

श्री राम ==सीते !ये हम कहाँ आ गए [राम अपने वजूद को टटोलते हैरत में देखते हैं ]
सीता जी=प्रभु !आप कलयुग में हैं १भग्वान बनकर पूजे जाते हैं यहाँ पर\[सीता जी इठलाते हुए कहती हैं ]
         [उनकी यह वाणी मंदिर में मोजूद भक्तओं  को सुनाई नहीं पड़ती जबकि बाहर छड़ी के सहारे खड़ी माता उन्हें एक हाथ के इशारे से बुलाती है \जैसे कोई बच्चा नन्हे हाथों से अपनी माँ को बुलाता है \
श्री राम == यह कौन देवी है सीते ?[प्रभु राम बाहर देखतें हैं ]
सीता जी = प्रभु !यह आपकी माता हैं \माता कौशल्या ! अहिल्या बनने के लिए बाहर खड़ी हैं \
श्री राम == असंभव !राम के होते कौशल्या अहिल्या बनेंगी --कदापि नहीं \
सीता जी = प्रभु !जाइए \व्यर्थ की बातों में समय न गवाइए..देखो !कितने मनुहार-बलिहार से आपको बुला रहीं हैं[सीता जी का स्वर  भीगता  है ]
श्री राम == अवश्य !हम चलते हैं [राम मूर्ती में से बाहर निकलते enlarge होतें हैं ]
सीता जी = रूकिये |माँ के पास जायेंगे तो राजा राम बन कर जायेंगे |
श्री राम == तात्पर्य ?[राम अचरज से अपने आपको निहारतें हैं ]
सीता जी = वस्त्र-आभूषण उतार कर जाइए |माँ के समक्ष पुत्र बन कर पहुँचिये \
श्री राम == ओह !अवश्य !आप साथ नहीं चलेंगी ?
सीता जी = नहीं मैं फिर कभी |आप जाइए |मैं door से ही आपका वार्तालाप श्रवन कर लूंगी |
श्री राम == और बीच बीच में सलाह भी deti रहिएगा ..पता नहीं माता कौशल्या क्या चाहतीं हैं ..अ अ और मुझे bhay भी लग रहा है |
सीता जी = जी ०० |
         [प्रभु राम मूर्ती से बाहर निकलते हैं ऑर रaस्ते में ही उनका रूप साधारण मनुष्य में तब्दील होता जाता है |वो कोट pant में नजर आतें हैं |वो माँ के समक्ष पहुँचते हैं और हाथ जोड़ते हैं ]
श्री राम== प्रणाम माते [राम चरण स्पर्श करते हैं ]
माजी === टाइम मिल गया \बहुत देर से दर पे आँखें लगी थी |
श्री राम = टाइम ![अचरज से ]
माँ जी == समय मिल गया आपको ?
श्री राम = ओह !टाइम अभिप्राय -समय [राम एका एक माँ की छड़ी खींचते हैं ऑर माँ के आगोश में समाते चले जातें हैं ]
श्री राम =क्षमा माते क्षमा !मुझे नहीं पता था आप इतने दिनों से मेरी प्रतीक्षा कर रहीं हैं |
माँ जी == युगों युगों से बेटा ..युगों युगों से इंतजार हो रहा है तुम्हारा ..एक एक जन को ,एक एक तन को जरूरत है आपकी |
      [प्रभु राम आलिंगन से निकलकर माँ की आँखों में झांकते हैं |फिर आँखों आँखों में ही आंसुओं की गहरी झील में खो जाते हैं ]
============
============
श्री राम = आज्ञा दीजिये माते |
माँ जी == सबसे पहले उन भक्तों का उद्धार keejiye जो तुम्हारी राह में पलकें बिछाये खड़ें हैं |
श्री राम =  तथास्तु [राम हाथ खडा  करतें हैं ऑर प्रकाश पुंज सभी भक्तों को रोशन करता चला जाता है ]
भक्तगण = जय श्री राम !जय श्री राम ..का जय घोष मंदिर में होने लगता है
श्री राम = क्या आज्ञा है माते ?
कोशल्या = लक्ष्मन को जानते हो ?
श्री राम = अवश्य |वो हमारे अनुज भ्राता हैं और ..
माँ[अधीरता से ]=..इस समय अस्पताल में अंतिम साँसें ले रहें हैं \
श्री राम = असंभव !हमारे लक्ष्मन का कलयुग में क्या काम..औष्धल्य में क्या काम \
मा        = नहीं राम नहीं !आपका लक्ष्मन कलयुग में ही है \कलयुग का ही है \
श्री राम = यह तो अति प्रस्सनता की बात है |पर क्या हुआ उन्हें ?
माँ जी == वही जो राम के बिना हर लक्ष्मन को होता है \उस युग में भी कभी गुम हो जाते थे \कभी सूर्पनखा की नाक काट देते थे \कभी मूर्छित हो जाते थे \
         [राम माँ के साथ निकलते हैं \माँ छड़ी के बिना चलने लगती है ]
श्री राम == अभिप्राय-- हमारा लक्ष्मन मूर्छा अवस्था में है |अचेतन अवस्था में है\ औषधालय में है !कदापि नहीं !आपने हमें इस समाचार से वंचित रखा !आपने किंचित मात्र भी ...
माँ जी == राम, राम, बेटा ध्यान  रहे  रिमोट का ज़माना है \अगर आप बार बार किंचित ,वंचित ,कदा पि  करते रहेंगे तो किसी को समझ न आएगा -और फिर भक्क से हमारा चैनल पहले टी.वी से गायब होगा ..ऑर फिर मेमोरी से उड़ा दिया जायेगा \
श्री राम == चैनल ?रिमोट ?अभिप्राय ?
माँ जी ==  बेटा ,इन शब्दों की हिंदी आजतक किसी को नहीं पता सो आपसे निवेदन है कि सरल भाषा का ही प्रयोग करें \नहीं तो जब आपकी मुलाकात हयेला ,करेला , से होगी न ..[माँ मुंह में ही बुड बुड करती है ]तो ऑर दिक्कत हो जाणी है ,आपने   जब वुई मेट कि जगह कहना है 'क्यूँ वुई मेट 'समझे ?
श्री राम = अवश्य |समझ गया माते |
माँ जी == ओ .के .
श्री राम = अ अ ओ के |और क्या क्या चाहतीं हैं आप ?
माँ जी == चाहने से कभी कुछ मिला है किसीको ..जो मुझे मिल जायेगा
श्री राम = आप मेरा इम्तिहान ले रहीं हैं \
माँ जी == मेरी इतनी मजाल  \
श्री राम = हुम्म!तो आप हमें चुनोती दे रहीं हैं ?
माँ जी == मेरी इतनी हिम्मत कि श्री राम को चुंनोती दूं \
श्री राम = तो फिर कहिये न \
माँ जी == बिनती है --पूरी करेंगे \
श्री राम = अवश ..
माँ जी == सोच समझ कर हाँ कीजियेगा ..कहीं ऐसा न हो ,आप माता कौशल्या के शब्द-जाल में फंस जाएँ \जैसे माता ककयी के शब्द जाल में जा फंसे  थे\
श्री  राम = वो भी माता थी \आप भी माता हैं \वो पुत्र ही क्या जो माता का कहा poora न करे\माँ का फरमान , पुत्र का अरमान  |

Luckki Ram Part 7

  माँ जी == आप उर्दू अछी बोलतें हैं फरमान -अरमान \और भगवान् होकर भी "मैं" बोलतें हैं \हम बोला काजिये \आखिर आप राम हैं \भगवान् राम \
श्री राम == बहुत मीठी जबान है उर्दू ..बोलने में अच्छा लगता है .रही बात "मैं " की--तो "मैं" तो रहेगी ही |"हम" तो कभी बन ही न पाए "हम "|"हम"तो हिन्दू मुस्लिम के एक होने से बनेंगे |"ही एंड मी " जब एक होंगे,तभी बनेंगे"हम"
|अब कहिये ?
माजी === आप घर घर में फेरा लगायेंगे \घर घर में समायेंगे \
श्री राम = क्या ऐसा मुमकिन है ?[राम रहस्यमयी मुद्रा में मुस्कुरातें हैं ]
कोशल्या = क्यों मुमकिन नहीं - आप ऐसा करेंगे तो मेरा यकीन है कि घर घर से पाप घटेगा \अभिशाप हटेगा \दुःख दर्द कटेगा \
श्री राम = माते क्या आप धरती पर पूरी तरह दिन की कल्पना कर सकती हैं \मतलब रात हो ही न \
माँ जी =  नहीं !ऐसा हो ही नहीं सकता \
श्री राम = आप चाहती हैं धरती पर कोई भी भूखा न रहे
माँ जी == चाहती तो हूँ --पर ऐसा भी नहीं हो सकता \
श्री राम =  इसी तरह दुःख के बिना सुख भी अधूरा है \पाप के बिना पुण्य बेकार है \दुःख नहीं होगा तो सुख का मजा किसे आएगा \पाप नहीं होगा तो पुण्य का मोल किसे समझ आएगा \माता आप चाहती हैं की शेर भी हिरन हो जाये और हिरन भी हिरन ही रहे \ऐसा न तो कभी सतयुग में हुआ और न ही उसके बाद के किसी युग में हुआ \
माँ जी =  हुम्म [कोशल्या स्वीकृति में गर्दन हिलाती है ]
श्री राम = सतयुग में भी श्री रावण को विभीषण ने कितना समझाया पर क्या उन्होंने अपनी हठ छोड़ी|
माँ जी =   कहते तो आप ठीक हैं \
श्री राम = माते | कोई भूखा न रहेगा तो कर्म ही क्यों करेगा \कोई मजदूर ही न रहेगा तो भवन निर्माण कौन करेगा| वैसे मैं आपका अभिप्राय समझ रहा हूँ \आप धरती से दुराचार ,अत्याचार ,भ्रष्टाचार जैसे कई व्याधियां (बीमारियाँ )door करना चाहतीं हैं \जो धीरे धीरे ही होंगी \किसी उपाय से ही होंगी \रही बात मेरे घर घर में फेरा लगाने का -तो इससे कुछ नहीं होने वाला \
माँ जी == कमाल है !राम बोलेंगे तो क्या लोग नहीं मानेंगे \
श्री राम = माते !आप चाहती हैं राम घर घर जाकर सत्संग करें =अनुनय -विनय करें...
माँ जी == मैं ऐसा भी नहीं चाहती \
श्री राम = ...तो मैं आप से वादा करता हूँ जिस घर में सब सच्चे होंगे \सब निष्कपट ,चरित्रवान और मर्यादा पुरषोतम होंगे \मैं उस घर में अवश्य जाऊँगा \
माँ जी =  ऐसा तो कोई घर ही नहीं मिलना इस कलयुग में
     [  दोनों हॉस्पिटल के नजदीक पहुँच जाते हैं ]
श्री राम =  अगर मैं पाप और दुष्कर्म से भरे घर में जाऊँगा ,तो क्या उस घर  के लोगों में परिवर्तन आ जायेगा \
माँ जी == मुश्किल है -लोगों को ऐसी आदतें पड़ गई हैं कि पैसा ही परमेश्वर नजर आता है \चरित्र ,नैतिकता तो गुजरे जमाने कि बात लगती है -हुम्म लगता है इस समस्या का कोई हल है ही नहीं \
श्री राम ==[ मुस्कराते हुए ]हल तो है माते
           [माँ जी चोँक कर श्री राम को देखती हैं ]
श्री राम =  हाँ माते! हल है|और उसिलिये ही आपने हमें मंदिर से बाहर बुलवाया है |ब्रह्मलोक तक ढोल बजाया है|
मम्मी == सच !हल है समस्या का -क्या
श्री राम = लक्ष्मन |हमारा लक्ष्मन |
मम्मी == लक्ष्मन !!वो खायेला,पियेला..वव  वो क्या करेगा ..उसे तो पढाते पढाते टीचर अनपढ़ हो गए .पर उसकी हमेरी तुमेरी नहीं सुधरी ..
श्री राम== आप चलिए तो -सतयुग के राम लक्ष्मन तो कुछ कर न पाए |शायद सतयुग के रांम ऑर कलयुग के लक्ष्मन ही मिलकर कुछ कर दिखाएँ |
मम्मी ==  सच !यानि उम्मीद अभी बाकी है \
श्री राम == उमीद्पर ही दुनिया है माते
मम्मी ==  पर ऐसा होगा कैसे ?
श्री राम == साम दाम दंड भेद ! 

13.10.09

LuckiRam-part 5

ब्रह्म ===== असत्य |अधर्म   का नाश अगर सतयुग में हो चुका होता तो आप कभी दूसरी बार भगवन क्रिशन का अवतार नहीं लेते
विष्णु ==== त त तब तो हमने पाप का नाश करना था --पापी कंस को मारकर \
ब्रह्म[हंसते हैं]= आहा!रावण को मारकर ,अधर्म का नाश हो गया /कंस को मारकर पाप का नाश हो गया |आप नहीं जानते यह कलयुग है कलयुग -पाप ऑर अधर्म तो यहाँ कदम कदम पर हैं ही |घात-प्रतिघात ,इर्ष्या -द्वेष ,छल -कपट भी हर घर में फल फूल रहें हैं |हर पेड़ की डाल पर पनप रहें हैं ..डाली डाली शूल खिला है ..चड्डी पहनकर पाप चला है
विष्णु ==== आप तो पोथा बांचने  बैठ गए |इतनी लम्बी कथा पढेंगे तो कौशल्या माता अहिल्या बन जाएँगी |महेश जी आप कुछ कहें |
महेश जी=== विष्णु देव हम क्या कहें |हम तो वैसे ही तहस -नहस में विश्वास करते हैं |कहो तो तांडव शुरू करें (तांडव की आरंभिक मुद्रा बनाते हुए )
विष्णु ===== बस !खुल गई आप की तीसरी आँख |जरा सी विपदा आई नहीं कि तांडव शुरू |जरा सी विपदा जब तक विध्वंस का रूप न लेले ,आपको स्वाद नहीं आता |
महेशजी==== अब हम क्या करें |हमारा मिजाज ही कुछ ऐसा है |वैसे यह विपदा कोन है ?विध्वंस इनका कोन लगता है ?
विष्णु ===== विपदा माता कौशल्या है ऑर उनके आते ही विध्वंस यहाँ होगा -हमारे ब्रह्माण्ड में
ब्रह्म ====== जी
महेशजी === असंभव ..हम अभी तांडव शुरू करते हैं |न विपदा आएगी ,न ही उनके आने पर विध्वंस  आएगा |
ब्रह्म ====== तब विनाश आएगा |प्रलय आएगी \
महेशजी === अब यह विनाश-प्रलय कौन हैं ..सभी साथ आयेंगे या अलग अलग |
विष्णु ===== आगे पीछे ही आएंगे |
महेश जी === फिर तो भिड़ा जा सकता है |इकठे आते तो दिक्कत होती |तांडव हथियार कांम करता या नहीं --पता नहीं
विष्णु ===== यह सब आपके तांडव के बाद ही आयेंगे |इसलिए आप अब चुप ही रहेंगे |खामोश |
ब्रह्म(विचलित)=विष्णु देव कुछ कीजिये |नीचे भगवान् राम चिंतित नजर आ रहें हैं |देखो !कितनी भीड़ नजर आ रही है | सब माता कौशल्या के साथ हैं |राम अकेले हैं |
विष्णु ====== पर हम करें क्या ?
ब्रह्म (अधीर )== आप को एक बार फिर मानव रूप धारण करना होगा |फिर भगवन बनकर धरती पर जाना होगा |
विष्णु ====== असंभव !कदापि नहीं |
ब्रह्म ======= क्यों ?
विष्णु ====== समस्या विकत है |
ब्रह्म ======= अगर आप किसी समस्या का समाधान नहीं ,तो आप खुद ही एक समस्या  है |
विष्णु ====== गुरुवर!आप समझते क्यों नहीं |कलयुग वालों का समाधान हम सतयुग वालों के पास नहीं है ..सुना नहीं ,अभी तो घात प्रतिघात ,इर्ष्या द्वेष ...
ब्रह्म ======== सुना क्या वो तो कहा ही हम्ने  था|
विष्णु ======= ...वगरह वगरह --इतनी तो बीमारियाँ फैल चुकी हैं |हमसे तो पाप ऑर अधर्म ही न संभले कभी |एक रावण क्या मार दिया हमने ,स्वयं को भगवान् समझ लिया |एक कंस क्या मारा कि किशन कन्हैया बन गए |अब --वहां तो घर घर में रावण है ,कंस है ..
ब्रह्म ======== महिषासुर है \जरासंध भी है और -दुर्योधन तो कुकुरमुत्ते की तरह हर गली ,कोने में पड़ा है और ...
विष्णु ======= वगरह वगेरह  भी हैं |हम जानते हैं ..जानते हैं ..आप कृपा कर हमें ऑर न डराएँ ..बस इतना जान ले किसतयुग का सिक्का अब कलयुग में नहीं चल सकता |
ब्रह्म ========= तो फिर करें क्या \हाथ पर हाथ धरके बैठें रहें |
महेशजी ====== मेरा ख्याल है हमें माता विपदा ....
विष्णु ======== माता कौशल्या !कौशल्या०००
महेश जी ====== जी जी वही वही |हमें माता वि ..कौशल्या  का यहीं इंतजार करना चाहिए |चिंता की इस बेला में शायद माता ही मुक्ति का कोई मार्ग सुझाएँ ..
विष्णु ======== वो यहाँ थोडी न आ रहीं हैं |अभी तो उनकी आकाशवाणी ही आई है |
महेशजी ======तो फिर!
ब्रह्म ========= मेरी मनो तो सब कुछ राम पर ही छोड़ दो |राम की बातें राम ही जाने |
विष्णु =======  हम भी वही सोच रहें हैं|
महेशजी ====== मैं भी |आओ चोसर खेलें
विष्णु ======== खामोश
महेशजी ====== मैं तो वैसे ही कम बोलता हूँ |न के बराबर बोलता हूँ |फिर भी जब बोलता हूँ तो ...खा ००मो ०० श श श
विष्णु ======== अब आप खामोश रह कर ही बोलेंगे |
ब्रह्म =========  तुम फिर बहस बाजी में पड़ गए \राम को होशियार करो --उन्हें कहो कि कौशल्या जी से मिलें \
विष्णु =======   पर कैसे ?
ब्रह्म =========  अरे !अपने प्राण राम कि मूर्ती में फूंको \मूर्ती बोल पड़ेगी |
विष्णु =======   और माता सीते--वो भी तो साथ खड़ी हैं |राम बोलें और सीता ना बोलीं तो राम जी से तो झगडा करेंगी |
महेशजी ======  जब सीते जी बोलेंगी ही नहीं तो झगडा कहाँ से करेंगी |
ब्रह्म =========  तो सीता जी के लिए आप लक्ष्मी जी कि मदद लें |लक्ष्मी जी के प्राण सीते जी में फूँके ...
महेशजी ======  ऑर आप दोनों बिना प्राण के पुतले बन कर खड़े हो जाएँ |
विष्णु ========  चट[चुटकी बजाते हुए ]..यह ठीक रहेगा ..हम अभी आते हैं |
            [विष्णुजी लक्ष्मीजी  को मनाने निकाल पड़ते हैं ]
महेशजी ======  आइये भगवन !भांग -धतूरा खाते हैं ,थोडी थोडी ताड़ी भी ..
ब्रह्म =========  खामोश ००
महेशजी======लगता है हमारी तीसरी आँख का डर नहीं रहा अब ...तांडव करना ही पड़ेगा |
            तभी आकाश लोक से दो प्रकाश पुंज आत्माओं के रूप में धरती कि तरफ निकलते हैं ऑर मंदिर में खड़ी राम सीता की मूर्ती में प्रविष्ट होतें हैं |
           पूरा मंदिर रोशन हो उठता है  |धरती डोलने लगती है |घड़ियाल बज उठते हैं
           बाहर खड़ी मम्मी की गर्दन मूर्ती की तरफ घूमती है |
           भक्तों की  भीड़ इस अद्भुत दृश्य को देख चकाचोंध हो जाती है
           तभी राम सीता की मूर्तियों में हलचल सी होती है

LUCKI RAM Part 4

माँ जी =बेटा आ रहा है ..कोई नहीं कोई नहीं ..अभी देर है ...मैं खड़ी हूँ ,खड़ी हूँ बेटा ..take your own time
भक्त ==माँ जी [वो जेब से ५०० की गड्डी निकालता है ]मेरे साथ चलिए \मैं भी आपका बेटा ही हूँ \
माजी =बेटा पैसा तो बहुत है \बेटे भी बहुत हैं \पैसे वाले बेटे भी बहुत हैं ..पर हर मर्ज़ की पैसा दवा नहीं
युवक =माँ जी आज की दुनिया में पैसा संकट मोचन है \दुःख भंजन है [पैसे देता वो माँ को कहता है ]
माँ जी ==बेटा[ नोटों की गड्डी देखते हुए ]इसका काम तो खरीदना  है ..फिर भी हर कोई इसके हाथों बिका है \ बिके जा रहा है \
युवक =माँ जी आप लक्ष्मी का अपमान कर रहीं हैं ..पैसा सब कुछ कर सकता है \
माँ जी =बेटा तेरे पास बहुत पैसा है ?[गड्डी लोटाते हुए ]
युवक = सब आपकी ही मेहर है ..आपकी दया से सब कुछ है \
माँ जी =फिर तो कोई दुःख भी न होगा ?
युवक = व व व वो वो ००
माँ जी =तेरी आवाज़ ही बता रही है कि तेरे दुःख में तेरा पैसा काम न आया \आया तो बस राम का नाम ही काम आया \
युवक = माँ जी /इश्वर आस्था का प्रतीक है \हमारी आत्मा का साबुन है \इश्वर का नाम लेकर हम अपने कुकर्मों को धो सकते हैं
माँ जी = चुप चुप \ज्यादा बातें मत कर \भगवान हमारे अंदर है हमारे अंदर मंदिर है ..वो अभी आयेंगे ..उस मंदिर से निकलकर इस मंदिर में आयेंगे ..हमारे रोम रोम में समायेंगे ..तेरे तन में राम मान में राम.. रोम रोम में रामरे..
युवक = माँ जी कब तक ये किताबी बातें करती रहेंगी \
माँ जी = बेटे मेरे [उसकी ठुड्डी पुचकारते हुए ]मैं तो चार कदम चल भी नहीं सकती \फिर भी इतने दिनों से यहाँ खड़ी हूँ -क्यों
युवक = वववो वो ००
माँ जी = मुझे तो यह भी नहीं पता मैं यहाँ पहुंची कैसे \किसने पहुँचाया -फिर भी मैं पहुंची \क्यों ?
अयुवक = अ अ अब इस बारे में मैं क्या बताऊँ \
माँ जी =शुगर मुझे है ,ब्लड preessure मुझे है ..हार्ट पे शुंट मैं ..जोड़ों का दर्द मुझे ..ऑर भी सो बीमारियाँ \मडिकल साइंस वाले मुझे बीमारियों का encyclooedia कहते हैं \फिर भी मैं यहाँ खड़ी हूँ -क्यों ?
युवक = अब मैं क्या बताऊँ [पसीना पोंछते हुए ]
माँ जी =चल मेरी छोड़ -अपनी बता \तेरी गाड़ी बाहर रोड पर खड़ी है ..तू पिछले ७२ घंटों से बजना खाए पिए यहाँ पड़ा है ..ततैये कि तरह  मेरे आगे पीछे भिन भिना रहा है ..क्या देखने के लिए खडा है ..ये बुडिया मरती कब है ,गिरती कब है
युवक ==नो नो \सच बात तो यह है कि आपको देखकर पता नहीं कहाँ से हिम्मत आ गई \सच पूछिए तो न ही भूख का पता पड़ा ,न ही प्यास को मालूम चला \
माँ जी =क्यों ?
युवक == कोई तो ताकत है  जिसकी बदौलत आप खड़ी है / कोई तो शक्ति है जिसकी बदौलत आप अडी है क्योंकि...
माँ जी =वही तो हस्ती है जो मंदिर में खड़ी है \मूर्ती बन कर जडी है \पर कभी तो ...आज नहीं तो कल   कल नहीं तो अगले
 साल ..साल नहीं तो अगले काल ..कभी तो वो पिघलेगा \माँ कि ममता के आँचल में कभी तो आकर घुलेगा \
सभीभक्त=माँ माँ !हम आपके साथ हैं \
       तीन चार लोग ऑर आतें हैं ऑर भक्तों कि भीड़ में जुड़ जाते हैं \
      अगले दो दिनों में भीड़ ऑर बाद जाती है \
       पंडित शुक्राचार्य के मुताबिक ३१ भक्तों की भीड़ जरूरी थी \
       ऑर दो दिन बाद ---
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माँ जी = सुनो! उनसे पूछ कर आना ,अहिल्या को जानते हैं ?
युवक ==अहिल्या !
माँ जी = जाओ पूछो \देखना जरूर चौक  जायेंगे \फिर दोडे दोडे आयेंगे \
         [एक भक्त भागता हुआ मंदिर में जाता है \दंडवत होकर प्रभु से पूछता है ...
भक्त == भगवन!व व वो पूछ रहीं हैं -क क क्या आप अहिल्या को जानते हैं ?
श्री राम=भगवान् कोई जवाब नहीं देते \
         तभी दूसरा भक्त आकर दंडवत होकर पूछता है ..
भक्त २ =प प प्रभु !वो जानना चाहतीं हैं ,आप ही हैं न वो ,जिन्होंने अहिल्या में प्राण फूंके थे !उ उ उसे पत्थर की शिला से स्त्री बनाया था ?
श्री राम=प्रभु राम फिर कोई जवाब नहीं देते \
भक्त ३= व व वो कह रहीं हैं अ अ अगर कोशल्या अहिल्या बन कर दिखाए तो ,फिर तो पहचान लेंगे न आप ?
          टन..टन ..मंदिर में घंटा बज उठता है \मूर्ती डोल उठती है\
भक्त ४= प्रभु !कुछ कीजिये ..वो देखिये ..कौशल्या बनी शिला ..कौशल्या बनी अहिल्या १
        कड़ाक...badamm ..गर्जना ..बिजली चमकती है ऑर "कौशल्या बनी अहिल्या" की प्रतिध्वनि ध्वनित होती आकाश लोक में पहुँचती है ..
       मंदिर में चारों तरफ घंटे -घड़ियाल स्वतः ही बज उठते हैं
       भक्तगण हर्षनाद कर उठते हैं \
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          आकाश लोक में ब्रह्म विष्णु महेश चिंतित नजर आते हैं \
विष्णु (अचंभित )= ब्रह्मदेव !मृत्यु लोक डोल क्यों रहा है ?लगता है आपकी सृष्टि पर घोर विपदा आने वाली है \
ब्रह्म                 =  विष्णुदेव ..वो घोर विपदा आपके राम के ऊपर आ रही है \माता कौशल्या अहिल्या बनने जा रही है \
विष्णु               = नहीं ०० !राम ऑर कौशल्या अब कहाँ ..सतयुग में राम का चोला तो हमने ही धारण किया था ताकि अधर्म का नाश कर सकें \नाम के तो लाखों राम हैं जहाँ में .
ब्रह्म                  =   क्या अधर्म का नाश हो चूका था?
विष्णु               = निः संदेह |

LUCKI RAM Part 3

मीरा == तुम्हे लगता है ज्योतिषी की बातों में कोई सचाई है ...लक्की बचो !![एकाएक मीरा चीत्कार करती है ]
      [लक्ष्मन की गाड़ी एकाएक बाएं लेन से हाई वे की तरफ मुडती है कि आगे जाता ट्रक अपना लेन बदलता है \ट्रक के पीछे सरिये लदे हैं जो पीछे से काफी बाहर निकल रहें हैं \लक्ष्मन काफी हद गाड़ी कण्ट्रोल करने की कोशिश करता है मगर ...
            नो ०० !छनाक...विंड स्क्रीन टूट जाती है ..शीशे के टुकड़े उसकी आँखों में जा घुसते हैं \दो तीन सरिये भी बॉडी में घुसते हैं
कुछ सरिये छत में जा गड़ते हैं \मीरा को खरोंच भी नहीं आती क्योंकि दूसरी तरफ के सरिये पैसेंजर डोर को बाहर ही बाहर से छूते चले जाते हैं \गाड़ी का अगला बोनेट ट्रक के नीचे जा घुसता है \
मीरा ==हेल्प !हेल्प !...[मीरा भरे गले से चीत्कार करती है \फिर कैट्स [एंबुलेंस ] का नंबर मिलाती है ]
मीरा ==ओ गोड !ज्योतिषी ने ठीक कहा था !पर उसने तो कहा था लक्ष्मन की हत्या में करूंगी ..पर ये तो एक्सीडेंट ..कहीं ऐसा तो नहीं मेरे हाथों फिर कभी इसकी हत्या हो ..नहीं ००० !
              [दस मिनट बाद लक्ष्मन हॉस्पिटल ले जाया जा रहा होता है \
          हॉस्पिटल में लक्ष्मन को amaर gency में ले जाया जाता है \मीरा फोन पर हरीदार निकली मम्मी को खबर करती है \
लक्ष्मन के भाई अनुज ऑर बहन दिव्या को खबर करती है \
         आधे घंटे बाद ----
डॉक्टर =आई ऍम सॉरी मम !बहुत दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि पेशट की आँखें टोटल डैमेज हो गयी हैं \एक सरिया दिल को छीलता गुजरा है \खून काफी बह गया है \बचना मुश्किल है ऑर देखना-- नामुमकिन \भगवान ही बचाए तो बचाए \
मीरा ==नो ०० गोड !तुम इतने पत्थर नहीं हो सकते \
        फिर तमाम रिश्तेदार पहुँचने लगते हैं \लक्ष्मन का भाई अनुज पहुँचता है \बहन दिव्या पहुँचती है \
        कुछ देर बाद लक्ष्मन कोमा में चला जाता है \उसकी सांसें गुम होने लगती हैं \डोक्टोर्स उसे वेंतिलटर पर छोड़ देते हैं \
        दवा बेकार है दुआ जरूरी है \
        दो घंटे  तक मम्मी वहां नहीं पहुँचती \
        दो दिन तक भी मम्मी वहां नहीं पहुँचती \
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      [आकाश में एकाएक बिजली कड़कती है \हाईवे पर एक छोटा सा मंदिर रोशन नजर आता है \उसी रौशनी में ही एक बूडी औरत छड़ी के सहआरे खड़ी नजर आती है \उसके गिर्द चार छह श्रद्धालू डेरा लगाए बैठें हैं \बोदी ओरत बेहद रहस्यमयी आँखों से मंदिर में खड़ी राम ऑर सीता की मूर्ती देख रही है यद्यपि इतने अँधेरे में उसे नजर कुछ नहीं आता ,पर रह रह कर कड़कती
बिजली के दोरान ही वो राम सीता की झलक पा लेती है ऑर हलके से मुस्कराकर चेहरा फेर लेती है \कहती कुछ नहीं \
      तभी एक भक्त उसके पास पहुँचता है \
भक्त ==माँ जी ,पिछले तीन दिनों से आप इस छड़ी के सहारे भगवान राम के सामने खड़ी हैं -आखिर बात क्या है ?
माँ जी =हं हं ०० वो सब जानते हैं \आप उन्हें जानते हैं ?
भक्त ==उन्हें कौन नहीं जानता \वो भगवान राम हैं \उन्हें सब जानते हैं
माँ जी =उन्हें सब जानते हैं तो वो भी सब जानते हैं \देखना --वो एक न एक दिन जरूर बाहर आयेंगे \
भक्त ==बाहर आयेंगे !मंदिर से निकलकर !!
भक्त २ =तब तक आप खड़ी रहेंगी \तीन दिन हो गए \कितने दिन खड़ी रहेंगी आप ?
        सभी भक्त उठकर माँ जी को घेर लेते हैं ऑर हैरत भरी नजरों से निहारते हैं
भक्त ३=अम्मा कितने दिन खड़ी हो लेगी तू ?
माँ जी = मास दो मास..साल दो साल ..युग दो युग ..युगों युगों तक \
भक्त ==अम्मा तू पागल है \तू मर जावेगी !
माँ जी =यही तो देखना है बेटा कब तक अपनी माँ को खडा रखता है \
भक्त १२=बेटा =कोन बेटा !?
माँ जी =वो राम ..वो मेरा बेटा है\
भक्त ==ऑर आप ?
माँ जी =मैं-मैं उसकी माँ -कौशल्या खन्ना
       [सब अलग अलग बोलते हैं ..लगता है बुडिया बौरा गई है ..शायद इस कौशल्या का कोई बेटा नहीं तभी राम को अपना बेटा मान बैठी है ..चलो भाई घर चलें खामखा इस माता के चकर में यहीं पड़े रहे ..न प्रॉब्लम बताती है न ही कोई मदद लेती है
दो तीन सुर =माँ जी माजी  कुछ तो बोलो शायद हम आपकी कुछ मदद कर सकें ?
       [तभी बिजली कड़कती है \माँ की आँखों में हॉस्पिटल का दृश्य नाचता है जहाँ लक्ष्मन कोमा में पड़ा है \उसकी आँखों में बम विस्फोट के स्प्लिंतेर्स(टुकड़े ) घुसे हैं \आँखें पूरी तरह अपनी रौशनी खो बैठी हैं \डॉक्टरों ने जवाब दे दिया है \वो एक्सीडेंट को बम विस्फोट समझती है \
माँ जी ==हं हं [माँ रहस्यमयि हंसी हंसती पुनः राम की तरफ देखती है ]

7.10.09

LuckiRam-part 2

 [लक्ष्मन मीरा को लेकर अपनी मारुती ८०० में बैठता है ऑर दिल्ली के लिए निकलता है ]
                 [दोनों  गाड़ी  में बैठे हैं |लक्ष्मन ड्राइव कर रहा है |दोनों की आँखों में आंसूओ की झील नजर आ रही है |]
ट्रिन ट्रिन...[तभी लक्ष्मन का मोबाइल बजता है |उसकी मदर की कॉल आई होती है ]
लक्ष्मन==मम्मी मम्मी [वो कॉल रस्सीव करता है ]किदर है तुम ?
मम्मी ==सुन !वो न मुझे देख रहें हैं |अभी अभी बाहर गए हैं|
लक्ष्मन ==क कोन देखा तुमेरे को |किदर को निकला वो मेन ?
मम्मी===वो जो सामने हैं न फोटू वाले |
लक्ष्मन==मम्मी मम्मी वो साईं बाबा जी का कलेंडर है |तुमेरे को लगता वो तुमेरे को देखेला है ,वो अखा दुनिया को देखेला है
             वो कहीं नहीं जाते |कलेंडर में ही रहते हैं|
मम्मी == हट !झूठ बोलता है /वो मैं अभी अभी बाहर निकली वो मेरे मेरे पीछे पीछे आये /वो तेरे पापा जी हैं ...
लक्ष्मन==ओ गोड !क्या करूं इस मॉम का /पापा की मो़त के बाद पगला गई है /कभी साईं बाबा जी को पापा बोलती है ...कबी
             बेटी को बहु बोलती ..बैठे बैठे गायब हो जाती ..ढूँढो तो पता चलता एक कि० मी ० दूर हलवाई के पास बैठी..कबी वो
             लोगां इसको घर छोड़ने आ रहे होते ,कबी ये किसीके साथ जा रयेली होती ..लगता है सारी हिस्ट्री सारी मिस्टरी मेरे
             ही घर में घुसेली /
मम्मी ==क्या बुड बुड कर रहा है ..सुनाई नहीं दे रहा
लक्ष्मन==तुम अब किदर मम्मी ?
मम्मी ==मैं ऑटो में ...आ रही हूँ ..तेरे पास
लक्ष्मन==ऑटो में !..दिल्ली टू हरिद्वाए !!..साथ कोन तुमेरे ?
मम्मी ==ड्राईवर है /ऑर तेरे पापा जी /
लक्ष्मन==पापा जी !यू मीन साईं बाबा जी !!..वो किदर ?
मम्मी ==ऑटो के पीछे हैं ..साइकिल पर
लक्ष्मन==ओ मम्मा ..तुम फोन जरा ड्राईवर को दो /
मम्मी ==वो ऑटो कैसे चलाएगा ..
[मीरा की आँखें इस वार्तालाप पर भ्हीग जाती हैं लक्ष्मन भी इधर उधर सर झटकता है ]
मम्मी ==...पता है अभी ऑटो वाले ने क्या किया ..इसने न मेरी पीठ के पीछे से मेरी हड्डी निकाल ली ऑर टयेर [व्हील ]में
              लगा ली ...मेरी हड्डी नहीं है अब ,मैं हिल भी नहीं पा रही ..
लक्ष्मन==उसने डिग्गी में से 'पाना ' निकाला होएंगा ऑर टयेर  बदला होएंगा ,तुमने हड्डी गायब समझ ली /तुम फोन जरा
              ड्राईवर को दो ,वो तुमेरे को घर छोडेगा ऑर मैं आ रहा हूँ बस ..ये देख, घर के बाहर ही खडेला हूँ /
मम्मी ==झूठ  बोलता हैं माँ से ..मैं फोन काटली/मैं हरिद्वार आयेली /आयेला आयेला बहुत करता न तू /पर आता कब?
लक्ष्मन==ओ गोड गोड ![लक्ष्मन भीगी आँखों से अपना माथा पीटता है ]
              [लक्ष्मन फोन ऑफ करके डशबोर्ड पर फेंकता है ]
मीरा ==लक्ष्मन इस सबके पीछे वजह क्या है ?
लक्ष्मन==मीरा घर टूटेला न...तो ऐसा ही होएला /सब तिनका तिनका बिखरेला है /हर घर की अयोध्या लंका  बनेला है /
मीरा ==इसके पीछे भी तो कहानी होगी कोई ?
लक्ष्मन==घर घर की यही कहानी ...jealousy,selfishness.greed,complexes ,differences...कोई घर छोड़ के जायेला ..कोई
            पग्लायेला ...कोई दुनिया छोड़ कर जायेला ...[लक्ष्मन मीरा की भीगी आँखों  में झांकता है ]...ऑर कोई सात जन्मों की दुश्मन से दिल लगाएला है /