14.10.09

lucki Ram part 9



          मीरा समझ जाती है कि मिराकल हो चुका है \
          तभी लक्ष्मन अपने पीछे लगे स्विच बोर्ड पर लगे कुछ स्विच ऑन करता है\
डॉ०देव  == डॉ ०० मदान !ये तो देख रहा है !
डॉ ० मदान=हू !strange !अंधों से भी अच्छा देख रहा है \अँधेरे में ही स्विच ढूँढ लिए जो कि हमें तुम्हे  दिखाई नहीं दे रहे \
डॉ ०देव == ऑर स्विच बोर्ड उसने उसी रेनबो में ही देखा ...जो हमें नहीं दिखा
डॉ०मदान = यू मीन मिराक्लेही गया \
डॉ ० देव == ओफ़्फ़्कौर्से                    
          तभी लाइट जलती है और लक्ष्मन हैरत से अपने आप को श्री राम की बांहों में पाता है\
श्री राम =  लक्ष्मन !तुम यह दुनिया अब सतयुग के राम की आँखों से देखोगे \और मैं --तुम्हारे शरीर में यह कलयुग भोगूँगा \आँखें मेरी होंगी और शरीर तुम्हारा \
         अपने कानों में गूंजती इस आकाशवाणी से लक्ष्मन खन्ना कंप कंपाना शुरू हो जाता है \तभी डॉ ० उसे व्हील चेयर पर बिठाते हैं और नेत्र चिकत्सा कक्ष में ले जाते हैं \
डॉ ० देवा = आओ लक्ष्मन तुम्हारी ऑंखें चेक करनी हैं \
        दोनों डॉ ०उसे एक computerised आई टेस्टिंग मशीन पर बिठाते हैं\एक डॉ ०मशीन के एक तरफ अपनी आँखें टिकाता है ऑर दूसरी तरफ लक्ष्मन अपनी आँखें टिकाता है \
        डॉ ० को शुरू -शुरू में स्याह अँधेरा दिखता है \फिर एकाएक लक्ष्मन की पुतलियाँ  सफ़ेद दिखाई देनी शुरू हो जाती हैं \
डॉ ० == ओ माय गोड !आई pupil एकाएक व्हाइट हो गया [डॉ चोँक कर चेहरा हटाता हैफिर देखता है ]
        सफ़ेद परदे पर सहसा एक ऑपरेशन थिएटर का रंगीन दृश्य नाचता है जहाँ ऑपरेशन टेबल पर किसी का ऑपरेशन हो रहा होता है \
डॉ ० मदान = हेलो बबलू \this इस  डॉ मदान \बबलू we are going to operate you ...
डॉ ० मदान = बबलू ![लक्ष्मन के सामने से चेहरा हटाता है ऑर मन ही मन बडबडाता है ]गोड!ये तो मेरी ही आवाज है \६ महीने पहले मैंने ही तो बबलू का ऑपरेशन किया था !ऑपरेशन कहाँ था वो ...वो तो म म  मर्डर   नो !
         मदान फिर अपना चेहरा लक्ष्मन के सामने मशीन पर रखता है
डॉ ०मदान = बबलू आँखें खोलो बेटा \
        बबलू का पूरा शरीर हरी चादर से ढका होता है चादर के एक सुराख़ में सिर्फ उसकी एक आंख नजर आ रही होती है ..फटाक ...सहसा उसकी वही आँख खुलती है \
डॉ ० मदन = बबलू अभी हम लोकल अनेस्थेसिया दे रहें हैं \उसके बाद तुम्हे कोई दर्द महसूस नहीं होगा \फिर हम आसानी से आपका मयोपिया का  ऑपरेशनकरेंगे \उसके बाद आपको चश्मा नहीं लगाना पड़ेगा \राईट ?
 बबलू = राईट !चादर के नीचे से बबलू की दबी दबी सी आवाज आती है \
       फिर एक स्पेसिअलिस्ट अनेस्थेसिया मशीन के पास जाताहै \
डॉ ० मदान = डॉ ० देवा [मदान पास खड़े देवा के कान में फुसफुसाता है ]अब तम्हारा काम है पता है न ?
डॉ ० देवा =   ओ के \[देवा मदन के कान में फुसफुसाता है]मैं अभी अनेस्थ्सिया का रेगुलेटर फुल वोलूम[volume] पर कर दूंगा ऑर बबलू मर ...ऑर नाम आयेगा specalist रमाकांत पर कि उसने overdose दे दी \
        दोनों डॉ ० के पास खड़ी नर्सें व सहायक उनकी सरगोशियाँ नहीं सुन पाते\ वैसे भी उन सब ने मास्क पहन रखे होते हैं \
        रमाकांत एक काले रंग का मास्क लेकर बबलू के पास पहुँचता है ऑर बबलू के चेहरे का हरा फ्लाप उठाकर काला मास्क उसकी नाक के आगे रखता है \उधर डॉ ०देव मशीन के पास चला जाता है
रमाकांत = बबलू \ज़रा गहरी सांस लो --डॉ ० देवा आप ज़रा रेड स्विच ऑन करना
डॉ ० देवा = ओ के \[कहता डॉ ० रेगुलेटर घुमा देता है ..५ अंक पर नजर आती सुई १३ अंक पर पहुँच जाती है \साथ ही वो रेड स्विच ऑन कर देता हैउधर बबलू गहरी सांस लेता है ऑर गैस उसकी नाक द्वारा बॉडी में जा पहुँचती है \
           डॉ ० देवा रेगुलेटर नोर्मल करता वापिस पहुँचता है
डॉ मदान = बबलू \आँख बंद करो बेटा \
           बबलू की आंख बंद नहीं होती \सिवाय दोनों डॉ ० के कोई नहीं जान पता कि बबलू की आंख नहीं ,आँखें सदा सदैव के लिए बंद हो चुकी हैं \
 डॉ ० मदान = राईट! आंख बंद नहीं कर पा रहा ,मतलब बेहोशी का सही असर है \now we can operate
           उसके बाद दोनों डॉ ० ऑपरेशन करने में जुट जाते हैं \एक मुर्दे का ऑपरेशन जिसे कभी चश्मा न लगाना  पड़े \
          मदान अपना चेहरा एकाएक लक्ष्मन के सामने से हटाता है ऑर खोफ्फ़ से कंपने लगता है \
लक्ष्मन = काय कू काम्पेला ..मेरी आँखों में ऐसेच  क्या देखेला कि मिर्गी पड़ेली \
डॉ ० मदान = व व वो म म मैं अभी आया ...तुम हिलना नहीं हिलना नहीं
लक्ष्मन =  मैं काए कू हिलेगा ...पटना हीले कलकत्ता हीले ००० दिल्ली  हीलेला ...ओ मोरी ००० लचके जब नजरिया ...ओ सारी दुनिया हीलेला ..जय श्री राम !
         डॉ ० मदान देवा के केबिन में पहुँचता है
डॉ ० मदान =  देव देव !वो लक्ष्मन की आँखों में बबलू का पूरा ऑपरेशन दिखाई दे रहा है डॉ ० देवा =    व्हाट ![वो उछलकर खडा होता है ]
डॉ ० मदान =  हाँ !याद है ऑपरेशन के दोरान एकाएक ही नर्से चीख पड़ी थी --पेशंट की पल्स बीटगायब है ऑर हमने बबलू को dead दिक्लयेर कर दिया था \
डॉ ० देवा =     हाँ ऑर सारा दोष रमाकांत पर ही आया था -वो आज भी judicial कस्टडी में है \जबकि हमने आधे घंटे बाद ही बबलू की आँखों के दोनों कोर्नेया निकाल लिए थे ऑर मंत्री वागले की आँखों में ट्रांस प्लांट कर दिए थे \नतीजे में हमें ५ ५ लाख इनाम में मिले थे ...ऑर तुम कह रहे हो यह सब तुम्हे लक्ष्मन की आँखों में दिखाई दिया \
डॉ ० मदान = हाँ हाँ -तुम भी चलकर देखो \अपने जिन पापों को हम कर के भूल भी चुकें हैं वो पाप उन पराई आँखों में दिखाई दे रहें हैं
डॉ ० देवा ==  नो !नो १
        दोनों डॉ ० तेज क़दमों से वार्ड की तरफ भागते हैं \
डॉ मदान  = देवा !ये आदमी खतरनाक है हमारे लिए ...कुछ करना होगा ...बबलू जैसा ही कुछ करना होगा ..अभी दो चार दिन ये हॉस्पिटल में ही रहेगा \
दो ० देवा   = चुप !अभी किसी नतीजे पर पहुंचना ठीक नहीं \
        दोनों कक्ष में पहुँचते हैं ऑर देवा लक्ष्मन की आँखों के समक्ष बैठता है \
        अंधकार के बाद सफ़ेद पर्दा आ जाता है ऑर पाहते ही दृश्य में देवा अपना पहलु बदलने लगता है [सीन उसके अपने ओ पी डीरूम का ही होता है ...

lucki Ram part 8

     [हॉस्पिटल में ICCU का द्वार खुलता है ऑर डॉक्टर बाहर निकलता है ]
मीरा       =क्या पोसिशन है डोक्टर ?
डॉक्टर ==  सॉरी [वो इंकार में गर्दन हिलाता है ]नो इम्प्रूवमेंट !नो मूवमेंट ! बॉडी  अभी भी कोमा  में है /कोई हरकत नहीं ऑर ऑंखें ...[फिर डॉक्टर अफ़सोस भरी मुद्रा में गर्दन हिलाता निकल जाता है  \मीरा दोनों हाथों में चेहरा छिपा कर फफक उठती है ]
दिव्या      = ओ मेरी भाभी !ओ ओ [लक्ष्मन कि बहन दिव्या आकर उसे तस्सली देती है ]रोना नहीं \सब ठीक हो जायेगा \
      [मीरा उसकी बाहों में फफक उठती है जबकि दिव्या रहस्यमयी  आँखों से सोचती है ...
दिव्या      = लक्की भैया!आप तो अब ऊपर ही जाओ \बिन आँखों के वैसे भी क्या करेंगे जीकर \मीरा की भी जिंदगी ख़राब करेंगे\सोचो--आप अगर मर जाते हैं तो कितने लोग लक्की हो जायेंगे \मुझे माँ वाला मकान मिल जायेगा -माँ के बद्पूरी प्रोपर्टी मेरी हो जायेगी \मीरा को भी -कोई नया मोहन मिल जायेगा
            चीं००[तभी मुख्या द्वार खुलता है ऑर माँ भीतर कदम रखती है \राम किसी कोम दिखाई नहीं पड़ते \]
मम्मी     = लक्की !लक्की देख कोन आया है !भगवान् राम आये हैं बेटा !
दिव्या     =[बुडिया पगला गई हैं ]मन ही मन बुद बुदाती दिव्या माँ को बोलती है ==कहाँ गई थी आप ?५ दिन से आपकी कोई खबर नहीं -पता नहीं कहाँ घूमती रहती हैं आप ?
मम्मी === आओ राम !बेटा आओ [उसके शब्द नजर अंदाज करती मम्मी आई सी सी कक्ष की तरफ बड़ती है जबकि राम दिव्या के बीच में से निकलते हैं [
दिव्या    == हैं ००० मुझे ऐसा क्यों लगा कि मेरे भीतर कुछ हलचल हुई है \हट ००वहम है तेरा
          चीं ०० [मम्मी ऑर राम भीतर प्रविष्ट होते हैं ]
          [अंदर आई सी सी यू बेड पर लक्ष्मन मृतप्राय पड़ा है कंप्यूटर पर ब्लड प्रेशर .ई सी जी ,हार्ट बीट्स सब मद्धिम नजर आ रहीं है \पूरे सर पर पट्टियाँ बंधी हैं ]
मम्मी     = लक्की लक्की मैं आ गयी बेटा \देख कोन आये हैं \श्री राम आये हैं \
          [तभी राम लक्ष्मन के सामने खड़े होते हैं ऑर प्रकाश पुंज में तब्दील हो जाते हैं \वार्ड में मोजूद नर्सों ऑर मरीजों को यह दृश्य दिखाई नहीं देता \प्रकाश पुंज कि किरणें लक्की में प्रवाहित होने लगती हैं \
        हं ०००[एकाएक लक्ष्मन को झटका  लगता है फिर उसका शरीर फड फडाने लगता है \]
नर्से        = डॉक्टर डॉक्टर !मीराकल [वो बाहर भागती है ]पेशंट को होश आ रहा है \
         [देखा देखि कक्ष में काफी लोग घुस जाते हैं \दिव्या का रंग पीला पड़ने लगता है ]
मम्मी === लक्की !लक्की [खुश होती माँ की आँखें भीगती हैं ]
लक्ष्मन  == म .. म म मम्मा हे र र राम [लक्ष्मन के मास्क में से आवाजें टूट टूट कर निकलती हैं फिर हाथ पैर फड  फडाने लगते हैं ]
       [फटाक ...धडाक...फिर उसके चारों ऑर लगी ड्रिप्स, मास्क हटना शुरू हो जाते हैं और लक्ष्मन उठ कर बैठने लगता है
साथ ही वो चेहरे की पट्टियाँ खोलने लगता है ]
       तभी दोनों डोक्टोर्स अंदर घुसते हैं
डॉक्टर   = स्टाप इट!अभी पट्टियाँ खुलने का समय ..
लक्ष्मन == मम्मी !किदर है तू ..मेरे कू तेरे कू देखना मांगता \
मम्मी === बच्चे रुक !मैं इधर ही तेरे पास [मम्मी उसे कलेजे से लगाती है ]
लक्ष्मन   = तुम वो राम राम बी कुछ बोली थी न १रिमेम्बेर ! जय श्री राम !
डॉक्टर    = बेटे टांके अभी कच्चे हैं \कच्ची आँखों पर सीधी  रौशनी  पड़ी तो तुम्हारी eye sight जा सकती है \
लक्ष्मन    = मैं जानता मेरी आँखों में कांच घुसेला...मैं देखा कि मैं तब नहीं देखा ...मैं समज गया म अब  सूरदास होएला ..मेरा आई sight अब खलास ...total finish ,फिर बी मैं देखेगा --मन की आँखों से --मम्मी को देखेगा \
        [सामने खड़े श्री राम के नेत्र भी सजल हो उठते हैं जबकि लक्ष्मन अपनी पट्टी उतार देता है ]
डॉक्टर    = सब बाहर निकलो lights off \पेशुंट के लिए lights हार्म फुल
       [मीरा एक कोने में दुबक जाती है [उसकी आँखों में शुक्राचार्य के शब्द गूंजने लगते हैं \बाकी सब बाहर चले जाते हैं ]
लक्ष्मन    = मेरे कू मालूम पट्टी के पीछु बी अँधेरा आगे बी अँधेरा ...अंधे के चारों तरफ अँधेरा ही अँधेरा ..मम्मी मेरे कू कुछ नहीं दीखेला \
मम्मी    = अँधेरा है बेटा ...मुझे भी कुछ देखाई नहीं दे रहा [माँ दुर  खड़ी सिसकती है ]
        तभी राम उसके समक्ष पहुँचते हैं \प्रकाश पुंज लक्ष्मन को दिखता है \
लक्ष्मन   =मम्मा ..ये गोल गोल lights क्या ..मेरे कू seven color रेनबो दीखेला ..
डॉक्टर   = डॉ० देव -लगता है आँखों के साथ साथ पेशंट का दिमाग भी हिल गया है \आपको भी रेनबो दिख रहा है ?
डॉ ० देवा =नो !सिवाय घुप्प अँधेरे के तो कुछ भी नहीं
        तभी राम उसके करीब पहुँचते हैं \
लक्ष्मन  = मम्मा !रेनबो पास आयेला है ..आप कौन जी [उधर राम लक्ष्मन को बांहों में भींच लेते हैं ]..मम्मा ये हाई वोल्टेज रेनबो मेरे को जकडे ला ..४४० वोल्ट इलेक्ट्रिसिटी ..ह र र र ००० ..मम्मा मैं काम्पेला क्यूँ हूँ ...आई ऍम शिवेरिंग ..मम्मी सम बॉडी shaking मी ..शोककिंग मी ..ओ भाई पॉवर हाउस !हू आर यू ?
श्री राम == तुंमहारा राम और तुम... मेरे लखन मेरे लखन
लक्ष्मन  =  आईला !सुभाष घई की राम लखन कौन देखेला ..कौन मेरे कानां में फ़ुस फ़ुस करेला ..हैं ०० jackie shroff !
         तभी प्रकाश पुंज की रौशनी लक्ष्मन की आँखों में घुसती है \लक्ष्मन को पुंज में ही श्री राम के दर्शन होते हैं और उसी क्षण उसकी ऑंखें नाम पड़ना शुरू हो जाती है |
        माँ दूर दुबकी सिसकियाँ भारती है
       मीरा की ऑंखें लक्ष्मन के शब्दों से ही झिल मिलाने लगती हैं \
       वो समझ जाती है

lucki Ram part 6

श्री राम ==सीते !ये हम कहाँ आ गए [राम अपने वजूद को टटोलते हैरत में देखते हैं ]
सीता जी=प्रभु !आप कलयुग में हैं १भग्वान बनकर पूजे जाते हैं यहाँ पर\[सीता जी इठलाते हुए कहती हैं ]
         [उनकी यह वाणी मंदिर में मोजूद भक्तओं  को सुनाई नहीं पड़ती जबकि बाहर छड़ी के सहारे खड़ी माता उन्हें एक हाथ के इशारे से बुलाती है \जैसे कोई बच्चा नन्हे हाथों से अपनी माँ को बुलाता है \
श्री राम == यह कौन देवी है सीते ?[प्रभु राम बाहर देखतें हैं ]
सीता जी = प्रभु !यह आपकी माता हैं \माता कौशल्या ! अहिल्या बनने के लिए बाहर खड़ी हैं \
श्री राम == असंभव !राम के होते कौशल्या अहिल्या बनेंगी --कदापि नहीं \
सीता जी = प्रभु !जाइए \व्यर्थ की बातों में समय न गवाइए..देखो !कितने मनुहार-बलिहार से आपको बुला रहीं हैं[सीता जी का स्वर  भीगता  है ]
श्री राम == अवश्य !हम चलते हैं [राम मूर्ती में से बाहर निकलते enlarge होतें हैं ]
सीता जी = रूकिये |माँ के पास जायेंगे तो राजा राम बन कर जायेंगे |
श्री राम == तात्पर्य ?[राम अचरज से अपने आपको निहारतें हैं ]
सीता जी = वस्त्र-आभूषण उतार कर जाइए |माँ के समक्ष पुत्र बन कर पहुँचिये \
श्री राम == ओह !अवश्य !आप साथ नहीं चलेंगी ?
सीता जी = नहीं मैं फिर कभी |आप जाइए |मैं door से ही आपका वार्तालाप श्रवन कर लूंगी |
श्री राम == और बीच बीच में सलाह भी deti रहिएगा ..पता नहीं माता कौशल्या क्या चाहतीं हैं ..अ अ और मुझे bhay भी लग रहा है |
सीता जी = जी ०० |
         [प्रभु राम मूर्ती से बाहर निकलते हैं ऑर रaस्ते में ही उनका रूप साधारण मनुष्य में तब्दील होता जाता है |वो कोट pant में नजर आतें हैं |वो माँ के समक्ष पहुँचते हैं और हाथ जोड़ते हैं ]
श्री राम== प्रणाम माते [राम चरण स्पर्श करते हैं ]
माजी === टाइम मिल गया \बहुत देर से दर पे आँखें लगी थी |
श्री राम = टाइम ![अचरज से ]
माँ जी == समय मिल गया आपको ?
श्री राम = ओह !टाइम अभिप्राय -समय [राम एका एक माँ की छड़ी खींचते हैं ऑर माँ के आगोश में समाते चले जातें हैं ]
श्री राम =क्षमा माते क्षमा !मुझे नहीं पता था आप इतने दिनों से मेरी प्रतीक्षा कर रहीं हैं |
माँ जी == युगों युगों से बेटा ..युगों युगों से इंतजार हो रहा है तुम्हारा ..एक एक जन को ,एक एक तन को जरूरत है आपकी |
      [प्रभु राम आलिंगन से निकलकर माँ की आँखों में झांकते हैं |फिर आँखों आँखों में ही आंसुओं की गहरी झील में खो जाते हैं ]
============
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श्री राम = आज्ञा दीजिये माते |
माँ जी == सबसे पहले उन भक्तों का उद्धार keejiye जो तुम्हारी राह में पलकें बिछाये खड़ें हैं |
श्री राम =  तथास्तु [राम हाथ खडा  करतें हैं ऑर प्रकाश पुंज सभी भक्तों को रोशन करता चला जाता है ]
भक्तगण = जय श्री राम !जय श्री राम ..का जय घोष मंदिर में होने लगता है
श्री राम = क्या आज्ञा है माते ?
कोशल्या = लक्ष्मन को जानते हो ?
श्री राम = अवश्य |वो हमारे अनुज भ्राता हैं और ..
माँ[अधीरता से ]=..इस समय अस्पताल में अंतिम साँसें ले रहें हैं \
श्री राम = असंभव !हमारे लक्ष्मन का कलयुग में क्या काम..औष्धल्य में क्या काम \
मा        = नहीं राम नहीं !आपका लक्ष्मन कलयुग में ही है \कलयुग का ही है \
श्री राम = यह तो अति प्रस्सनता की बात है |पर क्या हुआ उन्हें ?
माँ जी == वही जो राम के बिना हर लक्ष्मन को होता है \उस युग में भी कभी गुम हो जाते थे \कभी सूर्पनखा की नाक काट देते थे \कभी मूर्छित हो जाते थे \
         [राम माँ के साथ निकलते हैं \माँ छड़ी के बिना चलने लगती है ]
श्री राम == अभिप्राय-- हमारा लक्ष्मन मूर्छा अवस्था में है |अचेतन अवस्था में है\ औषधालय में है !कदापि नहीं !आपने हमें इस समाचार से वंचित रखा !आपने किंचित मात्र भी ...
माँ जी == राम, राम, बेटा ध्यान  रहे  रिमोट का ज़माना है \अगर आप बार बार किंचित ,वंचित ,कदा पि  करते रहेंगे तो किसी को समझ न आएगा -और फिर भक्क से हमारा चैनल पहले टी.वी से गायब होगा ..ऑर फिर मेमोरी से उड़ा दिया जायेगा \
श्री राम == चैनल ?रिमोट ?अभिप्राय ?
माँ जी ==  बेटा ,इन शब्दों की हिंदी आजतक किसी को नहीं पता सो आपसे निवेदन है कि सरल भाषा का ही प्रयोग करें \नहीं तो जब आपकी मुलाकात हयेला ,करेला , से होगी न ..[माँ मुंह में ही बुड बुड करती है ]तो ऑर दिक्कत हो जाणी है ,आपने   जब वुई मेट कि जगह कहना है 'क्यूँ वुई मेट 'समझे ?
श्री राम = अवश्य |समझ गया माते |
माँ जी == ओ .के .
श्री राम = अ अ ओ के |और क्या क्या चाहतीं हैं आप ?
माँ जी == चाहने से कभी कुछ मिला है किसीको ..जो मुझे मिल जायेगा
श्री राम = आप मेरा इम्तिहान ले रहीं हैं \
माँ जी == मेरी इतनी मजाल  \
श्री राम = हुम्म!तो आप हमें चुनोती दे रहीं हैं ?
माँ जी == मेरी इतनी हिम्मत कि श्री राम को चुंनोती दूं \
श्री राम = तो फिर कहिये न \
माँ जी == बिनती है --पूरी करेंगे \
श्री राम = अवश ..
माँ जी == सोच समझ कर हाँ कीजियेगा ..कहीं ऐसा न हो ,आप माता कौशल्या के शब्द-जाल में फंस जाएँ \जैसे माता ककयी के शब्द जाल में जा फंसे  थे\
श्री  राम = वो भी माता थी \आप भी माता हैं \वो पुत्र ही क्या जो माता का कहा poora न करे\माँ का फरमान , पुत्र का अरमान  |

Luckki Ram Part 7

  माँ जी == आप उर्दू अछी बोलतें हैं फरमान -अरमान \और भगवान् होकर भी "मैं" बोलतें हैं \हम बोला काजिये \आखिर आप राम हैं \भगवान् राम \
श्री राम == बहुत मीठी जबान है उर्दू ..बोलने में अच्छा लगता है .रही बात "मैं " की--तो "मैं" तो रहेगी ही |"हम" तो कभी बन ही न पाए "हम "|"हम"तो हिन्दू मुस्लिम के एक होने से बनेंगे |"ही एंड मी " जब एक होंगे,तभी बनेंगे"हम"
|अब कहिये ?
माजी === आप घर घर में फेरा लगायेंगे \घर घर में समायेंगे \
श्री राम = क्या ऐसा मुमकिन है ?[राम रहस्यमयी मुद्रा में मुस्कुरातें हैं ]
कोशल्या = क्यों मुमकिन नहीं - आप ऐसा करेंगे तो मेरा यकीन है कि घर घर से पाप घटेगा \अभिशाप हटेगा \दुःख दर्द कटेगा \
श्री राम = माते क्या आप धरती पर पूरी तरह दिन की कल्पना कर सकती हैं \मतलब रात हो ही न \
माँ जी =  नहीं !ऐसा हो ही नहीं सकता \
श्री राम = आप चाहती हैं धरती पर कोई भी भूखा न रहे
माँ जी == चाहती तो हूँ --पर ऐसा भी नहीं हो सकता \
श्री राम =  इसी तरह दुःख के बिना सुख भी अधूरा है \पाप के बिना पुण्य बेकार है \दुःख नहीं होगा तो सुख का मजा किसे आएगा \पाप नहीं होगा तो पुण्य का मोल किसे समझ आएगा \माता आप चाहती हैं की शेर भी हिरन हो जाये और हिरन भी हिरन ही रहे \ऐसा न तो कभी सतयुग में हुआ और न ही उसके बाद के किसी युग में हुआ \
माँ जी =  हुम्म [कोशल्या स्वीकृति में गर्दन हिलाती है ]
श्री राम = सतयुग में भी श्री रावण को विभीषण ने कितना समझाया पर क्या उन्होंने अपनी हठ छोड़ी|
माँ जी =   कहते तो आप ठीक हैं \
श्री राम = माते | कोई भूखा न रहेगा तो कर्म ही क्यों करेगा \कोई मजदूर ही न रहेगा तो भवन निर्माण कौन करेगा| वैसे मैं आपका अभिप्राय समझ रहा हूँ \आप धरती से दुराचार ,अत्याचार ,भ्रष्टाचार जैसे कई व्याधियां (बीमारियाँ )door करना चाहतीं हैं \जो धीरे धीरे ही होंगी \किसी उपाय से ही होंगी \रही बात मेरे घर घर में फेरा लगाने का -तो इससे कुछ नहीं होने वाला \
माँ जी == कमाल है !राम बोलेंगे तो क्या लोग नहीं मानेंगे \
श्री राम = माते !आप चाहती हैं राम घर घर जाकर सत्संग करें =अनुनय -विनय करें...
माँ जी == मैं ऐसा भी नहीं चाहती \
श्री राम = ...तो मैं आप से वादा करता हूँ जिस घर में सब सच्चे होंगे \सब निष्कपट ,चरित्रवान और मर्यादा पुरषोतम होंगे \मैं उस घर में अवश्य जाऊँगा \
माँ जी =  ऐसा तो कोई घर ही नहीं मिलना इस कलयुग में
     [  दोनों हॉस्पिटल के नजदीक पहुँच जाते हैं ]
श्री राम =  अगर मैं पाप और दुष्कर्म से भरे घर में जाऊँगा ,तो क्या उस घर  के लोगों में परिवर्तन आ जायेगा \
माँ जी == मुश्किल है -लोगों को ऐसी आदतें पड़ गई हैं कि पैसा ही परमेश्वर नजर आता है \चरित्र ,नैतिकता तो गुजरे जमाने कि बात लगती है -हुम्म लगता है इस समस्या का कोई हल है ही नहीं \
श्री राम ==[ मुस्कराते हुए ]हल तो है माते
           [माँ जी चोँक कर श्री राम को देखती हैं ]
श्री राम =  हाँ माते! हल है|और उसिलिये ही आपने हमें मंदिर से बाहर बुलवाया है |ब्रह्मलोक तक ढोल बजाया है|
मम्मी == सच !हल है समस्या का -क्या
श्री राम = लक्ष्मन |हमारा लक्ष्मन |
मम्मी == लक्ष्मन !!वो खायेला,पियेला..वव  वो क्या करेगा ..उसे तो पढाते पढाते टीचर अनपढ़ हो गए .पर उसकी हमेरी तुमेरी नहीं सुधरी ..
श्री राम== आप चलिए तो -सतयुग के राम लक्ष्मन तो कुछ कर न पाए |शायद सतयुग के रांम ऑर कलयुग के लक्ष्मन ही मिलकर कुछ कर दिखाएँ |
मम्मी ==  सच !यानि उम्मीद अभी बाकी है \
श्री राम == उमीद्पर ही दुनिया है माते
मम्मी ==  पर ऐसा होगा कैसे ?
श्री राम == साम दाम दंड भेद !