13.10.09

LUCKI RAM Part 4

माँ जी =बेटा आ रहा है ..कोई नहीं कोई नहीं ..अभी देर है ...मैं खड़ी हूँ ,खड़ी हूँ बेटा ..take your own time
भक्त ==माँ जी [वो जेब से ५०० की गड्डी निकालता है ]मेरे साथ चलिए \मैं भी आपका बेटा ही हूँ \
माजी =बेटा पैसा तो बहुत है \बेटे भी बहुत हैं \पैसे वाले बेटे भी बहुत हैं ..पर हर मर्ज़ की पैसा दवा नहीं
युवक =माँ जी आज की दुनिया में पैसा संकट मोचन है \दुःख भंजन है [पैसे देता वो माँ को कहता है ]
माँ जी ==बेटा[ नोटों की गड्डी देखते हुए ]इसका काम तो खरीदना  है ..फिर भी हर कोई इसके हाथों बिका है \ बिके जा रहा है \
युवक =माँ जी आप लक्ष्मी का अपमान कर रहीं हैं ..पैसा सब कुछ कर सकता है \
माँ जी =बेटा तेरे पास बहुत पैसा है ?[गड्डी लोटाते हुए ]
युवक = सब आपकी ही मेहर है ..आपकी दया से सब कुछ है \
माँ जी =फिर तो कोई दुःख भी न होगा ?
युवक = व व व वो वो ००
माँ जी =तेरी आवाज़ ही बता रही है कि तेरे दुःख में तेरा पैसा काम न आया \आया तो बस राम का नाम ही काम आया \
युवक = माँ जी /इश्वर आस्था का प्रतीक है \हमारी आत्मा का साबुन है \इश्वर का नाम लेकर हम अपने कुकर्मों को धो सकते हैं
माँ जी = चुप चुप \ज्यादा बातें मत कर \भगवान हमारे अंदर है हमारे अंदर मंदिर है ..वो अभी आयेंगे ..उस मंदिर से निकलकर इस मंदिर में आयेंगे ..हमारे रोम रोम में समायेंगे ..तेरे तन में राम मान में राम.. रोम रोम में रामरे..
युवक = माँ जी कब तक ये किताबी बातें करती रहेंगी \
माँ जी = बेटे मेरे [उसकी ठुड्डी पुचकारते हुए ]मैं तो चार कदम चल भी नहीं सकती \फिर भी इतने दिनों से यहाँ खड़ी हूँ -क्यों
युवक = वववो वो ००
माँ जी = मुझे तो यह भी नहीं पता मैं यहाँ पहुंची कैसे \किसने पहुँचाया -फिर भी मैं पहुंची \क्यों ?
अयुवक = अ अ अब इस बारे में मैं क्या बताऊँ \
माँ जी =शुगर मुझे है ,ब्लड preessure मुझे है ..हार्ट पे शुंट मैं ..जोड़ों का दर्द मुझे ..ऑर भी सो बीमारियाँ \मडिकल साइंस वाले मुझे बीमारियों का encyclooedia कहते हैं \फिर भी मैं यहाँ खड़ी हूँ -क्यों ?
युवक = अब मैं क्या बताऊँ [पसीना पोंछते हुए ]
माँ जी =चल मेरी छोड़ -अपनी बता \तेरी गाड़ी बाहर रोड पर खड़ी है ..तू पिछले ७२ घंटों से बजना खाए पिए यहाँ पड़ा है ..ततैये कि तरह  मेरे आगे पीछे भिन भिना रहा है ..क्या देखने के लिए खडा है ..ये बुडिया मरती कब है ,गिरती कब है
युवक ==नो नो \सच बात तो यह है कि आपको देखकर पता नहीं कहाँ से हिम्मत आ गई \सच पूछिए तो न ही भूख का पता पड़ा ,न ही प्यास को मालूम चला \
माँ जी =क्यों ?
युवक == कोई तो ताकत है  जिसकी बदौलत आप खड़ी है / कोई तो शक्ति है जिसकी बदौलत आप अडी है क्योंकि...
माँ जी =वही तो हस्ती है जो मंदिर में खड़ी है \मूर्ती बन कर जडी है \पर कभी तो ...आज नहीं तो कल   कल नहीं तो अगले
 साल ..साल नहीं तो अगले काल ..कभी तो वो पिघलेगा \माँ कि ममता के आँचल में कभी तो आकर घुलेगा \
सभीभक्त=माँ माँ !हम आपके साथ हैं \
       तीन चार लोग ऑर आतें हैं ऑर भक्तों कि भीड़ में जुड़ जाते हैं \
      अगले दो दिनों में भीड़ ऑर बाद जाती है \
       पंडित शुक्राचार्य के मुताबिक ३१ भक्तों की भीड़ जरूरी थी \
       ऑर दो दिन बाद ---
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माँ जी = सुनो! उनसे पूछ कर आना ,अहिल्या को जानते हैं ?
युवक ==अहिल्या !
माँ जी = जाओ पूछो \देखना जरूर चौक  जायेंगे \फिर दोडे दोडे आयेंगे \
         [एक भक्त भागता हुआ मंदिर में जाता है \दंडवत होकर प्रभु से पूछता है ...
भक्त == भगवन!व व वो पूछ रहीं हैं -क क क्या आप अहिल्या को जानते हैं ?
श्री राम=भगवान् कोई जवाब नहीं देते \
         तभी दूसरा भक्त आकर दंडवत होकर पूछता है ..
भक्त २ =प प प्रभु !वो जानना चाहतीं हैं ,आप ही हैं न वो ,जिन्होंने अहिल्या में प्राण फूंके थे !उ उ उसे पत्थर की शिला से स्त्री बनाया था ?
श्री राम=प्रभु राम फिर कोई जवाब नहीं देते \
भक्त ३= व व वो कह रहीं हैं अ अ अगर कोशल्या अहिल्या बन कर दिखाए तो ,फिर तो पहचान लेंगे न आप ?
          टन..टन ..मंदिर में घंटा बज उठता है \मूर्ती डोल उठती है\
भक्त ४= प्रभु !कुछ कीजिये ..वो देखिये ..कौशल्या बनी शिला ..कौशल्या बनी अहिल्या १
        कड़ाक...badamm ..गर्जना ..बिजली चमकती है ऑर "कौशल्या बनी अहिल्या" की प्रतिध्वनि ध्वनित होती आकाश लोक में पहुँचती है ..
       मंदिर में चारों तरफ घंटे -घड़ियाल स्वतः ही बज उठते हैं
       भक्तगण हर्षनाद कर उठते हैं \
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          आकाश लोक में ब्रह्म विष्णु महेश चिंतित नजर आते हैं \
विष्णु (अचंभित )= ब्रह्मदेव !मृत्यु लोक डोल क्यों रहा है ?लगता है आपकी सृष्टि पर घोर विपदा आने वाली है \
ब्रह्म                 =  विष्णुदेव ..वो घोर विपदा आपके राम के ऊपर आ रही है \माता कौशल्या अहिल्या बनने जा रही है \
विष्णु               = नहीं ०० !राम ऑर कौशल्या अब कहाँ ..सतयुग में राम का चोला तो हमने ही धारण किया था ताकि अधर्म का नाश कर सकें \नाम के तो लाखों राम हैं जहाँ में .
ब्रह्म                  =   क्या अधर्म का नाश हो चूका था?
विष्णु               = निः संदेह |

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