13.10.09

LUCKI RAM Part 3

मीरा == तुम्हे लगता है ज्योतिषी की बातों में कोई सचाई है ...लक्की बचो !![एकाएक मीरा चीत्कार करती है ]
      [लक्ष्मन की गाड़ी एकाएक बाएं लेन से हाई वे की तरफ मुडती है कि आगे जाता ट्रक अपना लेन बदलता है \ट्रक के पीछे सरिये लदे हैं जो पीछे से काफी बाहर निकल रहें हैं \लक्ष्मन काफी हद गाड़ी कण्ट्रोल करने की कोशिश करता है मगर ...
            नो ०० !छनाक...विंड स्क्रीन टूट जाती है ..शीशे के टुकड़े उसकी आँखों में जा घुसते हैं \दो तीन सरिये भी बॉडी में घुसते हैं
कुछ सरिये छत में जा गड़ते हैं \मीरा को खरोंच भी नहीं आती क्योंकि दूसरी तरफ के सरिये पैसेंजर डोर को बाहर ही बाहर से छूते चले जाते हैं \गाड़ी का अगला बोनेट ट्रक के नीचे जा घुसता है \
मीरा ==हेल्प !हेल्प !...[मीरा भरे गले से चीत्कार करती है \फिर कैट्स [एंबुलेंस ] का नंबर मिलाती है ]
मीरा ==ओ गोड !ज्योतिषी ने ठीक कहा था !पर उसने तो कहा था लक्ष्मन की हत्या में करूंगी ..पर ये तो एक्सीडेंट ..कहीं ऐसा तो नहीं मेरे हाथों फिर कभी इसकी हत्या हो ..नहीं ००० !
              [दस मिनट बाद लक्ष्मन हॉस्पिटल ले जाया जा रहा होता है \
          हॉस्पिटल में लक्ष्मन को amaर gency में ले जाया जाता है \मीरा फोन पर हरीदार निकली मम्मी को खबर करती है \
लक्ष्मन के भाई अनुज ऑर बहन दिव्या को खबर करती है \
         आधे घंटे बाद ----
डॉक्टर =आई ऍम सॉरी मम !बहुत दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि पेशट की आँखें टोटल डैमेज हो गयी हैं \एक सरिया दिल को छीलता गुजरा है \खून काफी बह गया है \बचना मुश्किल है ऑर देखना-- नामुमकिन \भगवान ही बचाए तो बचाए \
मीरा ==नो ०० गोड !तुम इतने पत्थर नहीं हो सकते \
        फिर तमाम रिश्तेदार पहुँचने लगते हैं \लक्ष्मन का भाई अनुज पहुँचता है \बहन दिव्या पहुँचती है \
        कुछ देर बाद लक्ष्मन कोमा में चला जाता है \उसकी सांसें गुम होने लगती हैं \डोक्टोर्स उसे वेंतिलटर पर छोड़ देते हैं \
        दवा बेकार है दुआ जरूरी है \
        दो घंटे  तक मम्मी वहां नहीं पहुँचती \
        दो दिन तक भी मम्मी वहां नहीं पहुँचती \
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      [आकाश में एकाएक बिजली कड़कती है \हाईवे पर एक छोटा सा मंदिर रोशन नजर आता है \उसी रौशनी में ही एक बूडी औरत छड़ी के सहआरे खड़ी नजर आती है \उसके गिर्द चार छह श्रद्धालू डेरा लगाए बैठें हैं \बोदी ओरत बेहद रहस्यमयी आँखों से मंदिर में खड़ी राम ऑर सीता की मूर्ती देख रही है यद्यपि इतने अँधेरे में उसे नजर कुछ नहीं आता ,पर रह रह कर कड़कती
बिजली के दोरान ही वो राम सीता की झलक पा लेती है ऑर हलके से मुस्कराकर चेहरा फेर लेती है \कहती कुछ नहीं \
      तभी एक भक्त उसके पास पहुँचता है \
भक्त ==माँ जी ,पिछले तीन दिनों से आप इस छड़ी के सहारे भगवान राम के सामने खड़ी हैं -आखिर बात क्या है ?
माँ जी =हं हं ०० वो सब जानते हैं \आप उन्हें जानते हैं ?
भक्त ==उन्हें कौन नहीं जानता \वो भगवान राम हैं \उन्हें सब जानते हैं
माँ जी =उन्हें सब जानते हैं तो वो भी सब जानते हैं \देखना --वो एक न एक दिन जरूर बाहर आयेंगे \
भक्त ==बाहर आयेंगे !मंदिर से निकलकर !!
भक्त २ =तब तक आप खड़ी रहेंगी \तीन दिन हो गए \कितने दिन खड़ी रहेंगी आप ?
        सभी भक्त उठकर माँ जी को घेर लेते हैं ऑर हैरत भरी नजरों से निहारते हैं
भक्त ३=अम्मा कितने दिन खड़ी हो लेगी तू ?
माँ जी = मास दो मास..साल दो साल ..युग दो युग ..युगों युगों तक \
भक्त ==अम्मा तू पागल है \तू मर जावेगी !
माँ जी =यही तो देखना है बेटा कब तक अपनी माँ को खडा रखता है \
भक्त १२=बेटा =कोन बेटा !?
माँ जी =वो राम ..वो मेरा बेटा है\
भक्त ==ऑर आप ?
माँ जी =मैं-मैं उसकी माँ -कौशल्या खन्ना
       [सब अलग अलग बोलते हैं ..लगता है बुडिया बौरा गई है ..शायद इस कौशल्या का कोई बेटा नहीं तभी राम को अपना बेटा मान बैठी है ..चलो भाई घर चलें खामखा इस माता के चकर में यहीं पड़े रहे ..न प्रॉब्लम बताती है न ही कोई मदद लेती है
दो तीन सुर =माँ जी माजी  कुछ तो बोलो शायद हम आपकी कुछ मदद कर सकें ?
       [तभी बिजली कड़कती है \माँ की आँखों में हॉस्पिटल का दृश्य नाचता है जहाँ लक्ष्मन कोमा में पड़ा है \उसकी आँखों में बम विस्फोट के स्प्लिंतेर्स(टुकड़े ) घुसे हैं \आँखें पूरी तरह अपनी रौशनी खो बैठी हैं \डॉक्टरों ने जवाब दे दिया है \वो एक्सीडेंट को बम विस्फोट समझती है \
माँ जी ==हं हं [माँ रहस्यमयि हंसी हंसती पुनः राम की तरफ देखती है ]

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