14.10.09

Luckki Ram Part 7

  माँ जी == आप उर्दू अछी बोलतें हैं फरमान -अरमान \और भगवान् होकर भी "मैं" बोलतें हैं \हम बोला काजिये \आखिर आप राम हैं \भगवान् राम \
श्री राम == बहुत मीठी जबान है उर्दू ..बोलने में अच्छा लगता है .रही बात "मैं " की--तो "मैं" तो रहेगी ही |"हम" तो कभी बन ही न पाए "हम "|"हम"तो हिन्दू मुस्लिम के एक होने से बनेंगे |"ही एंड मी " जब एक होंगे,तभी बनेंगे"हम"
|अब कहिये ?
माजी === आप घर घर में फेरा लगायेंगे \घर घर में समायेंगे \
श्री राम = क्या ऐसा मुमकिन है ?[राम रहस्यमयी मुद्रा में मुस्कुरातें हैं ]
कोशल्या = क्यों मुमकिन नहीं - आप ऐसा करेंगे तो मेरा यकीन है कि घर घर से पाप घटेगा \अभिशाप हटेगा \दुःख दर्द कटेगा \
श्री राम = माते क्या आप धरती पर पूरी तरह दिन की कल्पना कर सकती हैं \मतलब रात हो ही न \
माँ जी =  नहीं !ऐसा हो ही नहीं सकता \
श्री राम = आप चाहती हैं धरती पर कोई भी भूखा न रहे
माँ जी == चाहती तो हूँ --पर ऐसा भी नहीं हो सकता \
श्री राम =  इसी तरह दुःख के बिना सुख भी अधूरा है \पाप के बिना पुण्य बेकार है \दुःख नहीं होगा तो सुख का मजा किसे आएगा \पाप नहीं होगा तो पुण्य का मोल किसे समझ आएगा \माता आप चाहती हैं की शेर भी हिरन हो जाये और हिरन भी हिरन ही रहे \ऐसा न तो कभी सतयुग में हुआ और न ही उसके बाद के किसी युग में हुआ \
माँ जी =  हुम्म [कोशल्या स्वीकृति में गर्दन हिलाती है ]
श्री राम = सतयुग में भी श्री रावण को विभीषण ने कितना समझाया पर क्या उन्होंने अपनी हठ छोड़ी|
माँ जी =   कहते तो आप ठीक हैं \
श्री राम = माते | कोई भूखा न रहेगा तो कर्म ही क्यों करेगा \कोई मजदूर ही न रहेगा तो भवन निर्माण कौन करेगा| वैसे मैं आपका अभिप्राय समझ रहा हूँ \आप धरती से दुराचार ,अत्याचार ,भ्रष्टाचार जैसे कई व्याधियां (बीमारियाँ )door करना चाहतीं हैं \जो धीरे धीरे ही होंगी \किसी उपाय से ही होंगी \रही बात मेरे घर घर में फेरा लगाने का -तो इससे कुछ नहीं होने वाला \
माँ जी == कमाल है !राम बोलेंगे तो क्या लोग नहीं मानेंगे \
श्री राम = माते !आप चाहती हैं राम घर घर जाकर सत्संग करें =अनुनय -विनय करें...
माँ जी == मैं ऐसा भी नहीं चाहती \
श्री राम = ...तो मैं आप से वादा करता हूँ जिस घर में सब सच्चे होंगे \सब निष्कपट ,चरित्रवान और मर्यादा पुरषोतम होंगे \मैं उस घर में अवश्य जाऊँगा \
माँ जी =  ऐसा तो कोई घर ही नहीं मिलना इस कलयुग में
     [  दोनों हॉस्पिटल के नजदीक पहुँच जाते हैं ]
श्री राम =  अगर मैं पाप और दुष्कर्म से भरे घर में जाऊँगा ,तो क्या उस घर  के लोगों में परिवर्तन आ जायेगा \
माँ जी == मुश्किल है -लोगों को ऐसी आदतें पड़ गई हैं कि पैसा ही परमेश्वर नजर आता है \चरित्र ,नैतिकता तो गुजरे जमाने कि बात लगती है -हुम्म लगता है इस समस्या का कोई हल है ही नहीं \
श्री राम ==[ मुस्कराते हुए ]हल तो है माते
           [माँ जी चोँक कर श्री राम को देखती हैं ]
श्री राम =  हाँ माते! हल है|और उसिलिये ही आपने हमें मंदिर से बाहर बुलवाया है |ब्रह्मलोक तक ढोल बजाया है|
मम्मी == सच !हल है समस्या का -क्या
श्री राम = लक्ष्मन |हमारा लक्ष्मन |
मम्मी == लक्ष्मन !!वो खायेला,पियेला..वव  वो क्या करेगा ..उसे तो पढाते पढाते टीचर अनपढ़ हो गए .पर उसकी हमेरी तुमेरी नहीं सुधरी ..
श्री राम== आप चलिए तो -सतयुग के राम लक्ष्मन तो कुछ कर न पाए |शायद सतयुग के रांम ऑर कलयुग के लक्ष्मन ही मिलकर कुछ कर दिखाएँ |
मम्मी ==  सच !यानि उम्मीद अभी बाकी है \
श्री राम == उमीद्पर ही दुनिया है माते
मम्मी ==  पर ऐसा होगा कैसे ?
श्री राम == साम दाम दंड भेद ! 

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