[हॉस्पिटल में ICCU का द्वार खुलता है ऑर डॉक्टर बाहर निकलता है ]
मीरा =क्या पोसिशन है डोक्टर ?
डॉक्टर == सॉरी [वो इंकार में गर्दन हिलाता है ]नो इम्प्रूवमेंट !नो मूवमेंट ! बॉडी अभी भी कोमा में है /कोई हरकत नहीं ऑर ऑंखें ...[फिर डॉक्टर अफ़सोस भरी मुद्रा में गर्दन हिलाता निकल जाता है \मीरा दोनों हाथों में चेहरा छिपा कर फफक उठती है ]
दिव्या = ओ मेरी भाभी !ओ ओ [लक्ष्मन कि बहन दिव्या आकर उसे तस्सली देती है ]रोना नहीं \सब ठीक हो जायेगा \
[मीरा उसकी बाहों में फफक उठती है जबकि दिव्या रहस्यमयी आँखों से सोचती है ...
दिव्या = लक्की भैया!आप तो अब ऊपर ही जाओ \बिन आँखों के वैसे भी क्या करेंगे जीकर \मीरा की भी जिंदगी ख़राब करेंगे\सोचो--आप अगर मर जाते हैं तो कितने लोग लक्की हो जायेंगे \मुझे माँ वाला मकान मिल जायेगा -माँ के बद्पूरी प्रोपर्टी मेरी हो जायेगी \मीरा को भी -कोई नया मोहन मिल जायेगा
चीं००[तभी मुख्या द्वार खुलता है ऑर माँ भीतर कदम रखती है \राम किसी कोम दिखाई नहीं पड़ते \]
मम्मी = लक्की !लक्की देख कोन आया है !भगवान् राम आये हैं बेटा !
दिव्या =[बुडिया पगला गई हैं ]मन ही मन बुद बुदाती दिव्या माँ को बोलती है ==कहाँ गई थी आप ?५ दिन से आपकी कोई खबर नहीं -पता नहीं कहाँ घूमती रहती हैं आप ?
मम्मी === आओ राम !बेटा आओ [उसके शब्द नजर अंदाज करती मम्मी आई सी सी कक्ष की तरफ बड़ती है जबकि राम दिव्या के बीच में से निकलते हैं [
दिव्या == हैं ००० मुझे ऐसा क्यों लगा कि मेरे भीतर कुछ हलचल हुई है \हट ००वहम है तेरा
चीं ०० [मम्मी ऑर राम भीतर प्रविष्ट होते हैं ]
[अंदर आई सी सी यू बेड पर लक्ष्मन मृतप्राय पड़ा है कंप्यूटर पर ब्लड प्रेशर .ई सी जी ,हार्ट बीट्स सब मद्धिम नजर आ रहीं है \पूरे सर पर पट्टियाँ बंधी हैं ]
मम्मी = लक्की लक्की मैं आ गयी बेटा \देख कोन आये हैं \श्री राम आये हैं \
[तभी राम लक्ष्मन के सामने खड़े होते हैं ऑर प्रकाश पुंज में तब्दील हो जाते हैं \वार्ड में मोजूद नर्सों ऑर मरीजों को यह दृश्य दिखाई नहीं देता \प्रकाश पुंज कि किरणें लक्की में प्रवाहित होने लगती हैं \
हं ०००[एकाएक लक्ष्मन को झटका लगता है फिर उसका शरीर फड फडाने लगता है \]
नर्से = डॉक्टर डॉक्टर !मीराकल [वो बाहर भागती है ]पेशंट को होश आ रहा है \
[देखा देखि कक्ष में काफी लोग घुस जाते हैं \दिव्या का रंग पीला पड़ने लगता है ]
मम्मी === लक्की !लक्की [खुश होती माँ की आँखें भीगती हैं ]
लक्ष्मन == म .. म म मम्मा हे र र राम [लक्ष्मन के मास्क में से आवाजें टूट टूट कर निकलती हैं फिर हाथ पैर फड फडाने लगते हैं ]
[फटाक ...धडाक...फिर उसके चारों ऑर लगी ड्रिप्स, मास्क हटना शुरू हो जाते हैं और लक्ष्मन उठ कर बैठने लगता है
साथ ही वो चेहरे की पट्टियाँ खोलने लगता है ]
तभी दोनों डोक्टोर्स अंदर घुसते हैं
डॉक्टर = स्टाप इट!अभी पट्टियाँ खुलने का समय ..
लक्ष्मन == मम्मी !किदर है तू ..मेरे कू तेरे कू देखना मांगता \
मम्मी === बच्चे रुक !मैं इधर ही तेरे पास [मम्मी उसे कलेजे से लगाती है ]
लक्ष्मन = तुम वो राम राम बी कुछ बोली थी न १रिमेम्बेर ! जय श्री राम !
डॉक्टर = बेटे टांके अभी कच्चे हैं \कच्ची आँखों पर सीधी रौशनी पड़ी तो तुम्हारी eye sight जा सकती है \
लक्ष्मन = मैं जानता मेरी आँखों में कांच घुसेला...मैं देखा कि मैं तब नहीं देखा ...मैं समज गया म अब सूरदास होएला ..मेरा आई sight अब खलास ...total finish ,फिर बी मैं देखेगा --मन की आँखों से --मम्मी को देखेगा \
[सामने खड़े श्री राम के नेत्र भी सजल हो उठते हैं जबकि लक्ष्मन अपनी पट्टी उतार देता है ]
डॉक्टर = सब बाहर निकलो lights off \पेशुंट के लिए lights हार्म फुल
[मीरा एक कोने में दुबक जाती है [उसकी आँखों में शुक्राचार्य के शब्द गूंजने लगते हैं \बाकी सब बाहर चले जाते हैं ]
लक्ष्मन = मेरे कू मालूम पट्टी के पीछु बी अँधेरा आगे बी अँधेरा ...अंधे के चारों तरफ अँधेरा ही अँधेरा ..मम्मी मेरे कू कुछ नहीं दीखेला \
मम्मी = अँधेरा है बेटा ...मुझे भी कुछ देखाई नहीं दे रहा [माँ दुर खड़ी सिसकती है ]
तभी राम उसके समक्ष पहुँचते हैं \प्रकाश पुंज लक्ष्मन को दिखता है \
लक्ष्मन =मम्मा ..ये गोल गोल lights क्या ..मेरे कू seven color रेनबो दीखेला ..
डॉक्टर = डॉ० देव -लगता है आँखों के साथ साथ पेशंट का दिमाग भी हिल गया है \आपको भी रेनबो दिख रहा है ?
डॉ ० देवा =नो !सिवाय घुप्प अँधेरे के तो कुछ भी नहीं
तभी राम उसके करीब पहुँचते हैं \
लक्ष्मन = मम्मा !रेनबो पास आयेला है ..आप कौन जी [उधर राम लक्ष्मन को बांहों में भींच लेते हैं ]..मम्मा ये हाई वोल्टेज रेनबो मेरे को जकडे ला ..४४० वोल्ट इलेक्ट्रिसिटी ..ह र र र ००० ..मम्मा मैं काम्पेला क्यूँ हूँ ...आई ऍम शिवेरिंग ..मम्मी सम बॉडी shaking मी ..शोककिंग मी ..ओ भाई पॉवर हाउस !हू आर यू ?
श्री राम == तुंमहारा राम और तुम... मेरे लखन मेरे लखन
लक्ष्मन = आईला !सुभाष घई की राम लखन कौन देखेला ..कौन मेरे कानां में फ़ुस फ़ुस करेला ..हैं ०० jackie shroff !
तभी प्रकाश पुंज की रौशनी लक्ष्मन की आँखों में घुसती है \लक्ष्मन को पुंज में ही श्री राम के दर्शन होते हैं और उसी क्षण उसकी ऑंखें नाम पड़ना शुरू हो जाती है |
माँ दूर दुबकी सिसकियाँ भारती है
मीरा की ऑंखें लक्ष्मन के शब्दों से ही झिल मिलाने लगती हैं \
वो समझ जाती है
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