16.10.09

LUCKI RAM--part 12

श्री राम  = अब मैं चलूँ लक्ष्मन \
लक्ष्मन  = कहाँ ?
श्री राम  = सीते अकेलीं हैं ...
लक्ष्मन  = ओ ०० !क्षमा प्रभु क्षमा ..मैं और मम्मी अपने स्वार्थों में इस कदर डूबे कि भाभी माँ का स्मरण ही न रहा ...
श्री राम  = होता है \चलता है \चलता हूँ \
लक्ष्मन  = प्लीज ,मेरी ओर से भाभी माँ के पाँव छूकर क्षमा मांग लीजियेगा \
श्री राम  = तुम्हारी जगह सीते के पाँव मैं छूउं\
लक्ष्मन  = ओफ्फ्फो !..[लक्ष्मन दांतों तल्ले जीभ दबाता है ,सर पर हाथ रखता है ]गलती हो गई भैया ..
श्री राम  = नहीं --सीते से क्षमा मांगने का तरीका सुझा दिया मुझे \
लक्ष्मन  = व्हाट !
श्री राम = हं ०० !सतयुग में कुछ गलतियाँ ,कुछ पाप हमसे भी हुए थे ,जिनकी सजा सीते जी को भुगतनी पड़ी थी \इसी बहाने शायद हमें भी प्रायश्चित करने का अवसर मिल जाये ,तभी तो कहा था अभी कि मुझे भी कलयुग में रहने की सजा मिली है
लक्ष्मन  = भाई !भैया ..
        लक्ष्मन राम के गले जा लगता है और सिसक सिसक कर रोने लगता है \ उसे दिलासा देते राम , अपनी आंख का आंसू पोंछते कहते हैं -
श्री राम  = लक्ष्मन ,पाप का बोझ कभी पीछा नहीं छोड़ता \युगों युगों तक आत्मा कचोटती रहती है ..सीते ने कभी मुझसे शिकायत नहीं की ..पर शायद तुम्हारे बहाने आज मुझे भी क्षमादान मिल जाये \शायद ०० ?
लक्ष्मन  = तभी आपको  मुझ जैसे पापी के भीतर रहने की सजा मिली है
श्री राम  = शायद ! सीते ने ही रास्ता दिखाया कि जाओ माँ के पास जाओ ..सतयुग में दुनिया के लिए पत्नी को त्यागा था ..इस युग में दुनिया के लिए पत्नी तुम्हे त्यागती है \
लक्ष्मन  = ऐसा कहतीं हैं वो ?
श्री राम  = मुख से तो कुछ नहीं बोलीं परन्तु ऑंखें उनकी स्पष्ट कह रहीं थीं कि इस युग में अग्नि परीक्षा राम को देनी होगी \उस युग में लक्ष्मन के रथ पर बन में भेजा था ,इस युग में मैं तुम्हे लक्ष्मन रुपी रथ में भेज रहीं हूँ \यह बनवास आपको बिन सीते ही भोगना होगा \
लक्ष्मन  = भाई प्लीज चुप हो जाइये ..प्लीज प्लीज [हाथ जोड़ता ,रोता लक्ष्मन राम के सीने में मुंह छिपाता है ]
श्री राम  = आज बोलने दो लक्ष्मन ..युगों के पश्चाताप ने आज गुबार बन बहना है ..उस युग से युगों युगों तक 'सीते वियोग ' ही सहना है ...
लक्ष्मन  = सॉरी भाई सॉरी ..आज जाना कि आपके दुःख के आगे मेरा दुःख कुछ नहीं \मैं सात जन्मों से अपनी मीरा को पाने की छह में भटक रहा हूँ जबकि आप युगों युगों से मैया सीता से क्षमादान पाने को तरस रहें हैं ..मैं भ्पूल गया था भैया कि माता सीता मंदिरों ,कैलेंडरों में आपके साथ नजर जरूर  आती हैं पर वो हकीकत में आपके साथ नहीं हैं   आपसे प्यासा कोई नर नहीं यहाँ ..राम से प्यासा कोई वर नहीं यहाँ   आपके चरणों की सोगंध भैया ..मैं बदलूँगा ..दुनिया बदलेगी ..जो नहीं बदलेगा उसकी दुनिया बदल दी जायेगी ..हर घर में राम होगा ,घर घर में राम होगा ,हर नर में राम होगा ,नर नर में राम होगा ..भैया भैया ...[लक्ष्मन एकाएक भावुकता के भंवर से बाहर निकलता ,राम को पुकारता है ]
       पर श्री राम आलोप हो चुके होतें हैं !
लक्ष्मन  = काश !पत्नी प्रेम की यह दास्तान हमारे बच्चे समझ पाते ..पर उन्हें तो affairs ,one night stand,live-in रिलेशनशिप ही हैं भाते \सात फेरों के बंधन ,सात जन्मों के वचन क्या हम हैं निभाते \हम तो बस जरा जरा सी बात पर तलाक तक हैं पहुँच जाते ..हैं ०० भैया ,आपने गौर नहीं किया मैं बदल गया ..मैं बदलना शुरू हो गया \मैंने काफी टाइम से आयेला ,गयेला भी नहीं किया \क्यों न बदलूँ..जिसके भीतर जब हो राम ..तो मेरा तेरा का क्या अब काम ..पर भाई .दुनिया के लिए मैं अभी भी आयेला ,गयेला ही रहेगा ..बम्बई का टपोरी   ताकि उन्हें लगे जब एक टपोरी के अंदर राम रह सकतें  हैं तो उनमे क्यों नहीं \
        तभी राम्लुभावन खाना लेकर आता है ओर लक्ष्मन की तंद्रा टूटती है \
रामलुभावन = खाना \गरमागरम खाना \
       फिर वो खिचडी की प्लेट टेबल पर रखता है \
राम लुभावन =सर १खन खा लीजिये \आधे घंटे में बत्ती बुझ जायेगी \
लक्ष्मन  = बत्ती तो अब जाकर जली ..इदर दिमाग में ..इदर सीने में ..[कहता लक्ष्मन वो जहरीली खिचडी खाने बैठता है ]
                                                                                                                         ..... TO BE CONTINUED

lucki Ram part 11

        लक्ष्मन भुन भुनाता हुआ बाहर निकलता है \पीछे पीछे श्री राम भी प्रकाश पुंज के रूप में बाहर आते हैं
        बाहर लक्ष्मन मुंह फुलाए खडा है \राम उसके कंधे पर हाथ रखते हैं \
श्री राम  = जो तुमने देखा लक्ष्मन ...वो मैंने भी तो देखा ..ऑंखें तो मेरी ही हैं \
लक्ष्मन  =  वो सब मैं जानता भाई ..पण मेरे कू भी तो बताइए कि मैं अपनी मुंडी कब देखेगा ...मैं जब जब mirror देखेगा लोगां के पाप दिखेगा    different different सांप दिखेगा
श्री राम  =  मुझे भी यही दिखेगा \क्या तुम चाहते हो कि भैया राम भी यह सब गन्दगी देखें \
लक्ष्मन  =  नो नो !नेवर !मैं कबी नहीं चाहेगा कि भगवान् राम ये सब गन्दगी देखें ..पण मैं क्या करूं   कोई रास्ता भी तो सुझाइए
श्री राम   = रास्ता है \
लक्ष्मन  =  आईला १
श्री राम =   जब जब तुम्हे पाप नजर आये ,जहाँ जहाँ तुम्हे सांप नजर आये तुम उसे मिटाते जाओ \
लक्ष्मन  =  यू मीन मर्डर !
श्री राम  = वध ...
लक्ष्मन  = वध-- ओ के दिस  इज नोट मर्डर ..वध बोले तो हत्या ,कत्ल .खून ,बट नोट मर्डर ...यू नो ब्रदर दिस इज नोट कलयुग ...इदर आई० पी ०सी ० [इंडियन पीनल कोड] के किसी भी सेक्शन में वध वाला क्लॉज़ नहीं है ...एक वध की सजा १४ साल की सजा या फिर ऐ०००० [लक्ष्मन जीभ बाहर निकाल कर दिखाता है ]फांसी ०० !टू बी hanged टिल डेथ \समझे ?
श्री राम  = समझूं तो तब जब तुम कुछ कहने दो...मैं कहने जा रहा था वध किसी समस्या का हल नहीं   तुम्हे लोगों को बदलना है .. किसी को उसके किये की सजा दिलवानी है तो किसी का मन बदलना हैउसकी आत्मा बदलनी है ताकि वो पुनः पाप के मार्ग पर न जाये \
लक्ष्मन  = आप क्या सोचता वो लोग मेरे कू छोड़े गा जो अपनी अपनी dokumentary मेरी आँखों में देखेगा ?
श्री राम = यही तो मैं चाहता हूँ कि पापी घबराकर तुम्हारे पास आये \अपने किये का पश्चाताप करें \अगर वो न आ पायें तो तुम उनके पास जाओ    उन्हें सजा दिलवाओ \
लक्ष्मन  = ऐ भाई ...दिस इज इंडिया !इदर् हर तीस मिनट में रेप होता और एवरेज ५ साल में रपिस्ट को सजा मिलता \इदर हर साठ मिनट में मर्डर होता और १३ साल में murderer को सजा मिलता वो भी तब जब मामला हाई प्रोफाइल हो \मीडिया पीपुल पीछे पड़ा हो -otherwise तो मामला पेंडिंग ही लटक जाता ..या विक्टिम चला जाता या accused ..और आप कहतें हैं ऐसे लोगां को मैं कानून के हाथों सजा दिलवाए ..आप देखिये गा अबी दोनों डॉ ० मेरे कू सजा देने के वास्ते पहुँचता ही होएंगा ,बस रास्ते में ही होएंगा ,यू नो ये मेरा इंडिया ..मेरा भारत महान ,सो में नब्बे बईमान \
श्री राम  = मुझे दुःख है कि मेरे लक्ष्मन की भी वही सोच है जो एक आम आदनी की सोच है
लक्ष्मन  = तो आप क्या चाहता ?
श्री राम  = मैं जानता हूँ अब तक तुम नाकामयाब रहे हो ..आजीविका कमाने के लिए किसी भी काम में तुम्हारा दिल नहीं लगा ..तुम कई बार कहते रहे हो कि लक्ष्मन सतयुग का आदमी है जो गलती से कलयुग में पैदा हो गया ...तुमसे जिया नहीं जा रहा इस दुनिया में ...
लक्ष्मन  = भाई ,आप क्या चाहता ?
श्री राम  = ...तुम्हे अपने कार्य से संतुष्टि नहीं थी वो क्या कहते थे अंग्रेजी में
लक्ष्मन  = ज ज जॉब satisfaction [इन्ही शब्दों के साथ ही लक्ष्मन सोच्मगन हो उठता है ]
श्री राम  = ...तुम दुनिया के लिए कुछ karnaa चाहते थे \तुम्हे dharti पर पाप ,दुराचार ,अत्याचार ,भ्रष्टआचार और शुक्राचार्य ..
लक्ष्मन  = व्हाट !आप जानता उस मदारी ...
श्री राम  = चुप्प ...बहुत महान व्यक्तित्व है वो ...और भविष्य में तुम उनके लिए कोई अपमानजनक शब्द नहीं बोलोगे \वो धरती पर तुम्हारी ही कहानी लिखने आये हैं \
लक्ष्मन  = जैसे बाल्मीकी जी ने आपकी लिखी थी\
श्री राम  = ...और उनके पूर्वजों ने ही तुम्हारे पूर्व जन्मों  की कहानियां लिखी ...
लक्ष्मन  =  आईला १मेरे लिए कोई ग्रन्थ लिखेला ..बोले तो अगले किसी युग में मैं भी पूजा जायेगा \
श्री राम  = इस जनम में वो तुम्हारे ही कुकर्मों की कहानी लिखने आये हैं \तुम जरूर जाने जाओगे बशर्ते की अपने पूर्व जन्मों के पापों से बाहर निकलो
लक्ष्मन  = आप जानते वो मेरे को क्या बोले ?
श्री राम  = वो बोले क्या ...वो तो होना भी शुरू हो गया ..उसके लिए तो हमने धरती पर जनम भी ले लिया और लक्ष्मन के रूप में चोला भी धारण कर लिया \
लक्ष्मन  = इट मीन्स मेरे पर जो भी मुसीबतें आएँगी ,,जो भी दुःख आयेंगे ..
श्री राम  =वो राम भोगेगा \
लक्ष्मन  = व्हाट ![लक्ष्मन उछलता  है ]यू नो वो मदारी ..सॉरी..वो शुक्र चरया मेरे कू बोले कि मीरा ऑर मैं जनम जनम के दुश्मन ..कबी मीरा मेरे कू मारा..कबी मैं मीरा कू मारा ..मीन्स ..आप मुझे बचायेंगे इस सबसे ?
श्री राम  = मैं वो भी भोगूँगा \
लक्ष्मन  = मतलब भगवान् होकर भी आप, मुझे बचायेंगे  नहीं --भोगेंगे \
श्री राम  = मैं भोगने आया हूँ ,बचाने नहीं \मैं बदलने आया हूँ बनाने नहीं
लक्ष्मन  = मतलब ?
श्री राम  =हर किसी को बचाने की ताकत मुझमे नहीं \न ही हर किसी को बनाने की ताकत मुझमे है \हर कोई धरती पर बचने लगे तो धरती पर कोई मरेगा नहीं और धरती पर बोझ बढता जायेगा \ हर कोई 'बनने ' लगे तो जो बनना [development] है वो कब बनेगा ?कोन बनाएगा ?
लक्ष्मन  = समझ गया भाई !लक्ष्मन आपकी नजर में हर कोई ही है \हर किसी ही है हं ०० काहे का मैं लक्की ,काहे का मैं लक्ष्मन \
श्री राम  = लक्ष्मन विषय का मर्म समझो ...मुझे कलयुग में रहने की सजा मिली है =अगर चाहते हो कि मैं तुम्हारी अनकहीं से पाप न देखूं तो पाप मिटाओ ..अगर चाहते हो ,मैं तुम्हारे पूर्व जन्मों के कुकर्म नो भोगूँ, तो अपने कर्म बनाओ ..और मुझे
बचाओ ..बेकार की बहस न बढाओ\मनुष्यों की लडाई मनुष्य बनकर ही लड़ी जा सकती है और वो मनुष्य तुम हो-- तुम \
लक्ष्मन  = सार्री भैया ..मैं भूल गया था कि प्रभु से बहस नहीं की जाती [लक्ष्मन पहली बार संजीदा होता है ]उनका तो सिर्फ हुकम माना जाता है ..मुझे क्या करना होगा ?
श्री राम  = पहले तुम बदलो ..उसके बाद लोगों को बदलो \
लक्ष्मन  = जो न बदले ...जो मुझे बदलना चाहे ...जो बदला लेना चाहे ?
श्री राम  = उसकी दुनिया बदल डालो ..फिर भी न माने तो ,उसका लोक बदल डालो \प्रेम और युद्घ में सब जायज है \
लक्ष्मन  = यू मीन --वध!नोट मर्डर बट वध
श्री राम  = वध आखिरी हथियार है   वो भी तब ..जब कोई चारा न रहे \कोई और चारा न बचे ..कोई और सहारा न बचे \
लक्ष्मन  = आपकी आज्ञा सर आँखों पर ...आज के बाद लक्ष्मन का सबसे बड़ा यही है अरमान ,जब कोई कहे ,मेरा भारत महान ,पर तब ,जब सो में नब्बे राम !