श्री राम ==सीते !ये हम कहाँ आ गए [राम अपने वजूद को टटोलते हैरत में देखते हैं ]
सीता जी=प्रभु !आप कलयुग में हैं १भग्वान बनकर पूजे जाते हैं यहाँ पर\[सीता जी इठलाते हुए कहती हैं ]
[उनकी यह वाणी मंदिर में मोजूद भक्तओं को सुनाई नहीं पड़ती जबकि बाहर छड़ी के सहारे खड़ी माता उन्हें एक हाथ के इशारे से बुलाती है \जैसे कोई बच्चा नन्हे हाथों से अपनी माँ को बुलाता है \
श्री राम == यह कौन देवी है सीते ?[प्रभु राम बाहर देखतें हैं ]
सीता जी = प्रभु !यह आपकी माता हैं \माता कौशल्या ! अहिल्या बनने के लिए बाहर खड़ी हैं \
श्री राम == असंभव !राम के होते कौशल्या अहिल्या बनेंगी --कदापि नहीं \
सीता जी = प्रभु !जाइए \व्यर्थ की बातों में समय न गवाइए..देखो !कितने मनुहार-बलिहार से आपको बुला रहीं हैं[सीता जी का स्वर भीगता है ]
श्री राम == अवश्य !हम चलते हैं [राम मूर्ती में से बाहर निकलते enlarge होतें हैं ]
सीता जी = रूकिये |माँ के पास जायेंगे तो राजा राम बन कर जायेंगे |
श्री राम == तात्पर्य ?[राम अचरज से अपने आपको निहारतें हैं ]
सीता जी = वस्त्र-आभूषण उतार कर जाइए |माँ के समक्ष पुत्र बन कर पहुँचिये \
श्री राम == ओह !अवश्य !आप साथ नहीं चलेंगी ?
सीता जी = नहीं मैं फिर कभी |आप जाइए |मैं door से ही आपका वार्तालाप श्रवन कर लूंगी |
श्री राम == और बीच बीच में सलाह भी deti रहिएगा ..पता नहीं माता कौशल्या क्या चाहतीं हैं ..अ अ और मुझे bhay भी लग रहा है |
सीता जी = जी ०० |
[प्रभु राम मूर्ती से बाहर निकलते हैं ऑर रaस्ते में ही उनका रूप साधारण मनुष्य में तब्दील होता जाता है |वो कोट pant में नजर आतें हैं |वो माँ के समक्ष पहुँचते हैं और हाथ जोड़ते हैं ]
श्री राम== प्रणाम माते [राम चरण स्पर्श करते हैं ]
माजी === टाइम मिल गया \बहुत देर से दर पे आँखें लगी थी |
श्री राम = टाइम ![अचरज से ]
माँ जी == समय मिल गया आपको ?
श्री राम = ओह !टाइम अभिप्राय -समय [राम एका एक माँ की छड़ी खींचते हैं ऑर माँ के आगोश में समाते चले जातें हैं ]
श्री राम =क्षमा माते क्षमा !मुझे नहीं पता था आप इतने दिनों से मेरी प्रतीक्षा कर रहीं हैं |
माँ जी == युगों युगों से बेटा ..युगों युगों से इंतजार हो रहा है तुम्हारा ..एक एक जन को ,एक एक तन को जरूरत है आपकी |
[प्रभु राम आलिंगन से निकलकर माँ की आँखों में झांकते हैं |फिर आँखों आँखों में ही आंसुओं की गहरी झील में खो जाते हैं ]
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श्री राम = आज्ञा दीजिये माते |
माँ जी == सबसे पहले उन भक्तों का उद्धार keejiye जो तुम्हारी राह में पलकें बिछाये खड़ें हैं |
श्री राम = तथास्तु [राम हाथ खडा करतें हैं ऑर प्रकाश पुंज सभी भक्तों को रोशन करता चला जाता है ]
भक्तगण = जय श्री राम !जय श्री राम ..का जय घोष मंदिर में होने लगता है
श्री राम = क्या आज्ञा है माते ?
कोशल्या = लक्ष्मन को जानते हो ?
श्री राम = अवश्य |वो हमारे अनुज भ्राता हैं और ..
माँ[अधीरता से ]=..इस समय अस्पताल में अंतिम साँसें ले रहें हैं \
श्री राम = असंभव !हमारे लक्ष्मन का कलयुग में क्या काम..औष्धल्य में क्या काम \
मा = नहीं राम नहीं !आपका लक्ष्मन कलयुग में ही है \कलयुग का ही है \
श्री राम = यह तो अति प्रस्सनता की बात है |पर क्या हुआ उन्हें ?
माँ जी == वही जो राम के बिना हर लक्ष्मन को होता है \उस युग में भी कभी गुम हो जाते थे \कभी सूर्पनखा की नाक काट देते थे \कभी मूर्छित हो जाते थे \
[राम माँ के साथ निकलते हैं \माँ छड़ी के बिना चलने लगती है ]
श्री राम == अभिप्राय-- हमारा लक्ष्मन मूर्छा अवस्था में है |अचेतन अवस्था में है\ औषधालय में है !कदापि नहीं !आपने हमें इस समाचार से वंचित रखा !आपने किंचित मात्र भी ...
माँ जी == राम, राम, बेटा ध्यान रहे रिमोट का ज़माना है \अगर आप बार बार किंचित ,वंचित ,कदा पि करते रहेंगे तो किसी को समझ न आएगा -और फिर भक्क से हमारा चैनल पहले टी.वी से गायब होगा ..ऑर फिर मेमोरी से उड़ा दिया जायेगा \
श्री राम == चैनल ?रिमोट ?अभिप्राय ?
माँ जी == बेटा ,इन शब्दों की हिंदी आजतक किसी को नहीं पता सो आपसे निवेदन है कि सरल भाषा का ही प्रयोग करें \नहीं तो जब आपकी मुलाकात हयेला ,करेला , से होगी न ..[माँ मुंह में ही बुड बुड करती है ]तो ऑर दिक्कत हो जाणी है ,आपने जब वुई मेट कि जगह कहना है 'क्यूँ वुई मेट 'समझे ?
श्री राम = अवश्य |समझ गया माते |
माँ जी == ओ .के .
श्री राम = अ अ ओ के |और क्या क्या चाहतीं हैं आप ?
माँ जी == चाहने से कभी कुछ मिला है किसीको ..जो मुझे मिल जायेगा
श्री राम = आप मेरा इम्तिहान ले रहीं हैं \
माँ जी == मेरी इतनी मजाल \
श्री राम = हुम्म!तो आप हमें चुनोती दे रहीं हैं ?
माँ जी == मेरी इतनी हिम्मत कि श्री राम को चुंनोती दूं \
श्री राम = तो फिर कहिये न \
माँ जी == बिनती है --पूरी करेंगे \
श्री राम = अवश ..
माँ जी == सोच समझ कर हाँ कीजियेगा ..कहीं ऐसा न हो ,आप माता कौशल्या के शब्द-जाल में फंस जाएँ \जैसे माता ककयी के शब्द जाल में जा फंसे थे\
श्री राम = वो भी माता थी \आप भी माता हैं \वो पुत्र ही क्या जो माता का कहा poora न करे\माँ का फरमान , पुत्र का अरमान |
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