LUCKI RAM--part 1&INTRODUCTION
परिकल्पना
ये टी.वी [टेक्स्ट विजियन] कहानी कलयुग के लक्ष्मन खन्ना की है जो प्रभु राम के सपने देखता है यद्यपि इस बात का फैसला हम अपने पाठकों पर छोड़ते हैं कि लक्ष्मन खन्ना की आप बीती किसी स्वपन के रूप में दिखाई जाये या हकीकत के रूप में -क्योंकि कहानी का परम उद्देश्य पाठकों को मनोरंजन परोसते हुए कुछ तथ्यों ,कुछ विषयों ,विसंगतियों से अवगत कराना है जो हमारे समाज में कोढ़ की तरह फैल चुकीं हैं और कुछ फैलती जा रहीं हैं |कहानी का एक मात्र उद्देश्य ,पाठकों के अंतर्मन में सत्य ,पुण्य ,और संमार्ग पर चलने की 'अलख 'जगाना है १
ये कोई epic नहीं ,documentary भी नहीं ,बस अपने अंतर द्वंद्वों से जूझते हुए .स्वयं को जानने, पहचानने और परखने की छोटी सी कोशिश है 1 अपने को बदलने का जरा सा प्रयास है १
मनोरंजन की दृष्टि से इसमें सभी मसाले ,सभी व्यंजन परोसे गए हैं १ कभी horror कभी terror ,कहीं action कहीं emotion ,कभी comedy कभी remedy ,कहीं luxury कहीं necessety,कभी adventure कभी literature ,कहीं mystery कहीं
history ,कभी scheme कभी scam
============Disclaimer :.इस धारावाहिक के सभी पात्र ,नाम ,स्थान काल्पनिक हैं जिनका किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई सम्बन्ध नहीं है \समानता सिर्फ संयोग से हो सकती है \कहानी में कुछ पुराणिक नामों का चरित्रण मात्र कथ्य को मार्ग दर्शनीय बनाने के लिए किया गया है \यह disclaimer कहानी के सभी पार्ट्स पर एक सामान लागू होगा अतः हर पार्ट में अलग से नहीं दिया जायेगा ताकि कहानी पड़ते वक्त पाठक की रवानगी न टूटे \
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Lucki Ram पार्ट 1
- लक्ष्मन खन्ना अपनी प्रेमिका के साथ नदी तट पर है | उसने हाथ में पकडा अस्थि-कलश झुककर नदी में बहा दिया| इसी दोरान पंडित मंत्र पढ़ता मरने वाली की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता रहा|फिर लक्ष्मन धोती पकड़ता नदी से बहार निकला|अंततः पंडित को दक्षिन| देने के बाद लक्ष्मन ने धोती बदली और शर्ट पैट पहन कर प्रेमिका मीरा के साथ तट पर ही विचरने लगा|
मीरा== व्हाट नॉन सेंस लक्की , मम्मी तो सबकी होती है ...
लक्ष्मन= नो नो आई मीन टू से ,प्रेवियस्ली यू नेवर टोल्ड मी दैट यू हैव गोट ऐ मदर ,हू लिव्स इन
हरी द्वार |दिस होली प्लेस !
मीरा== अब छोडो भी , चलो ना घूमते हैं |हरी द्वार |दिस होली प्लेस !
लक्ष्मन= मैं पूछ के रहेगा -टेल मी , मम्मी यहाँ क्यों रहटी थी |तुम मेरे को तबी क्यों बताया जब वो गोड के पास चला
गया |जब तुमरे को उनके क्रेमेशन के वास्ते मेरी जर्रूरत पड़ा |अब तुम मेरे को इसलिए बताया ना ,मजबूरी मे
बताया ना ,ताकि मैं तुमेरी मम्मी का क्रिया -क्रम यहाँ आकर कर सके |
मीरा== लक्की ,ये एक लम्बी कहानी है |
लक्ष्मन= मैं जानना मांगता ,यू नो ना ,मैं तेरे को भोत लव कर्ना मांगता |डू यू नो आज मेरे को कितना दुःख लगा |
कितना पेन हुआ इदर में [लक्ष्मन मीरा का हाथ अपने धड़कते दिल पर रखता है ]नॉव,टेल मी ,व्हाट इज द
मिस्टरी बीहाइंड दिस ?
मीरा== ओफ्फो !अब बस भी करो |नाओ-जस्ट shhuttup
लक्ष्मन= ओ के -यू बक अप...बक अप ...
मीरा== लक्की !कुछ बातें बताने की नहीं होती|
लक्ष्मन= इट मीन्स यू डोंट लव मी |
मीरा== आई डू-आई डू ,बट दिएर आर सम पर्सनल मटर्स...क्या तुमने कभी बताया कि तुम्हारी फॅमिली में क्या
प्रॉब्लम है ...क्यूँ तुम लोग झाडू की तरह तिनका तिनका बिखरे पड़े हो |
लक्ष्मन= ओह गोड ! ये मजमा कई को लगेला |
मीरा== अपनी बारी आई तो बात बदल गए |
Lअक्ष्मन= कम ओंन कम ओन्न ...देखते हैं [लक्ष्मन मीरा को भीड़ की तरफ खींचता है ]कोई राडा दीखता है |
[मीरा लक्ष्मन के पीछे -पीछे खिंचती है ]
लक्ष्मन= ए भाई ए भाई ,पीछू हटने का है, काहे को खाली पीली भंकस करेला |
[लक्ष्मन भीढ़ को खदेड़ कर मजमे की वजह देखता है |वहां एक ज्योतिषी अपना दरबार लगाये बैठा था ]
आदमी= तू कोन बे [एक युवक चिंघाढ़ता है ]
लक्ष्मन= तमीज से .तमीज से... धडाक[लक्ष्मन का घूँसा युवक को padta है ]तमीज से बोलने का है नहीं तो दांत तोड़
डालेगा ...
मीरा== लक्की ,बिहऐव यौर सेल्फ |
लक्ष्मन= ए भाई, तुम काहे को फढ़ लगाये ला ...किदर का मदारी तुम ...अबी सांप -नेवले का गेम दिखायेगा ..सांप
नवेला फोड़ेगा या नवेला सांप फोड़ेगा ...तुम लोगों को सट्टा लगवाएगा ...१ का १०,सांप पर १ का १० ...नेवले
पर १ का ४ ,१ का ४ ...
मीरा== लक्की लक्की -कम ओन्न [मीरा उसे भीड से दूर खींचती है]
[मजमे में बैठा ज्योतिषी उन्हें एकटक घूरता चला जाता है |उसकी निगाहें उनके माथे पर ही टिकी रहती हैं
जबकि लक्ष्मन मीरा के साथ मजमे से बाहर खिंचता चला जाता है कि--
पंडित== असंभव !अचरज !घोर अचरज !पिछले सात जन्मों के दुश्मन एक साथ ...लिए हाथों में हाथ
[लक्ष्मन मीरा के हाथ छूटते हैं और चेहरे स्लो मोशन में बाबा कि तरफ मुड़ते हैं ]
लक्ष्मन= व्हाट व्हाट -क्या बोला तुम [लक्ष्मन बाबा कि तरफ बढता है]...पिछले सात जन्मं के दुश्मन हम ..यू मीन
एनेमीज
पंडित== हाँ !और इस जनम में भी ये लड़की तुम्हारी दुश्मन बनने जा रही है ...देखना तुम्हारी हत्या करने जा रही है
लक्ष्मन= पंडित ०००
मीरा== हं ००० [मीरा हकबका कर चारों तरफ देखती है ]
[लोग भी दोनों प्रेमियों को हमदर्दी भरी निगाहों से देखने लगते हैं ]
पंडित== लक्ष्मन!तुम हद से हद सात दिन के मेहमान हो |उसके बाद मोत...
लक्ष्मन = हे हे 1 मैं तुमरे को अपना नाम कब बताया ?
पंडित = मैं सब जानता हूँ |ये मदारी हरिद्वार का जाना माना विद्वान् है जिसे भूत -भविष्य का ज्ञान है |लोग मेरे पास पता
नहीं कहाँ कहाँ से आते हैं ,ऐसे थोडी नां हम पंडित शुक्राचार्य कहलाते हैं |
लक्ष्मन= मैं बी सब जानता |शुकर के दिन अचार लेके पैदा हो गए ...और बन गए शुकर अचार ...पण मैं तुम्हेंरे को छोड़े
गा नहीं ...छोडेगा नहीं ...कैसे कैसे ख्वाब देखा मैं ...कैसे कैसे ड्रीम सीक्वंस में duet गाया मैं...मीरा संग सात
जनम का गोडपरोमिस किया मैं ...और तुमने पल में ही कचरा कर डाला ...हमेंरे को सात जन्मों का दुश्मन
बना डाला--काए कू |
पंडित= क्योंकि पहली बार तुमने ही मीरा की हत्या की थी |फिर अगले जनम में इसने तुम्हारी हत्या की और अपना
बदला लिया |बस ...फिर ये दुश्मनी बड़ती ही गयी|
मीरा== दुश्मनी बढनी ही थी तो एकाएक प्रेम में कैसे बदल गयी ?
पंडित= प्रेम ने तुम्हे करीब लाना था ,तुम्हे मिलाना था ...ताकि सही वक्त आने पर रानी लकोंति फिर से अपना इंतकाम
ले सके |
मीरा== अब ये रानी लकोंति कौन है ?
पंडित== सबसे पहले जनम में यही तुम्हारा नाम था |
लक्ष्मन= ओ भाई गंगू रामसे |दो चार सो ले और पीछा छोड़ मेरा [लक्ष्मन पर्स निकालता है ]लगता हैं तुम horror
फिल्में भोत देखेला है ...मैं पैले इसका मर्डर कियेला ...फिर ये मेरा कियेला हं हं हं
पंडित== हींहीं हीं [पंडित शुक्राचार्य रहस्यमयी हंसी हंसते हैं ]
मीरा== पंडितजी !आप इतने विश्वास के साथ कैसे कह सकते हैं ?
पंडित== मेरे पास विश्वास नहीं आधार है बेटी |देखना ,तुम्हारी प्रेम कहानी का ग्रन्थ मैं ही लिखूंगा |
लक्ष्मन= और पिछले सात जन्मों से तू ही लिखेला है |टेल मी हाउ ओल्ड ऑर यू ?तुमेरा एज कितना ...४०६ साल ...या
६०५साल ...हं हं हं
पंडित== बेटी ये मेरा मजाक उड़ा रहा है |
लक्ष्मन= नो !आएम सीरियस |टेल मी अमारे पिछले जनम का स्टोरी कोन लिखेला ...तुम लिखेला तो तब ...तू कितने
बरस का ...१६ ,१७ नईं नईं नईं ...मिल ना जाएँ नैना ...इक दो बरस जरा दूर दूर रहना ...
पंडित== बेटी!ये अब भी मेरा मजाक उड़ा रहा है ..गाना गा रहा है
मीरा== पंडित जी ये मजाक नहीं उड़ा रहे |इनका अंदाज ही कुछ ऐसा है |
लक्ष्मन= यू नो पंडित !अंदाज अपना अपना |मिजाज अपना अपना |मैं जान गया तुमरे को ...मेरा अरमानी का सूट देख
... राडो की घडी देख ...तू हमरे को बकरा बनाएला है ...definitely यू नो ना, पप्पू कांट डांस साला ...अब तुम
३१०० ,२१०० से कमती क्या मांगेगा ...सर्टेनली तुम हमेरा राहू - केतु भाई लोग सीधा करना मांगता...शनि
बॉस की टेड़ी चाल ठीक ...
पंडित== खामोश [शुक्राचार्य चीत्कार करते हैं ]तेरी मोत अब तय ही समझ ऑर ...
लक्ष्मन= ऑर [लक्ष्मन खन्ना एकाएक सीरियस हो जाता है ]
पंडित== ऑर कोई खुदाई ताकत ही तुझे बचा सकती है वो भी तब ...जब ३१ भक्तों की भीड़ तेरे साथ हो ले ...
लक्ष्मन= ए ए काए को खाली पीली मगज का दही कियेला है |सीदा सीदा बोल ना ...एक ही बार बोल ना ...EMI की
माफिक इंस्टालमेंट में काए कू बात करेला |
पंडित== और अगर ऐसा हो जाता है तो तू दुनिया की सबसे खतरनाक शै हो जायेगा |लोग तुझसे डरेंगे ..तेरा खौफ
खायेंगे |
लक्ष्मन= क्यों ,क्या मैं गोड जिल/ हो जायेगा या फिर किंग्कोंग...हाहा हा ...गंगू रामसे !!
पंडित== नहीं बेटा तेरी आँखों में वो अलोकिक शक्ति होगी कि लोग तेरी आँखों में अपना अतीत देख सकेंगे |अपना past
देख सकेंगे ..अपने पाप देख सकेंगे ऑर फिर [बाबा दीर्घ सांस लेकर चुप होते हैं ]
[लक्ष्मन ऑर मीरा के चेहरे फक्क पड़ जाते हैं ]
लक्ष्मन== ऑर फिर ?
पंडित== फिर वही पापी लोग तेरे दुश्मन बन जायेंगे |तुझे ख़तम करना उनकी मजबूरी हो जायेगा ...सो शुरू होंगी तेरी
हत्या की साजिशें |
लक्ष्मन== ओ बाबा मैं तेरे पाँव पढ़ता ...अपना हेड [लक्ष्मन साष्टांग लेटता है ]तेरी चोखट पर रखता ...काए को सारी
suspense हार्रोर फिल्में मेरे अंदर डालता ...मैं तुम्हेंरे को मिक्सेर grinder नजर आता क्या |
मीरा== पर बाबा ,लोग इसे क्यों मारना चाहेंगे ?
पंडित== क्योंकि उन्हें डर होगा कि कहीं ये उनके भेद न खोल दे ,उनके राज़ किसी ऑर को न बोल दे |
मीरा== पर यह ऐसा क्यों करेगा ?
पंडित== ये ऐसा ही करेगा |प्रभु लीला का रंग इसपे ऐसा चडेगा कि यह एक एक पापी का वध करेगा ...ऑर दुश्मन
इससे बचने की खातिर इसकी हत्या ...
लक्ष्मन= मीरा !गेट अप -मूव ...भोत बड़ा छोडू है ये पंडित ..मैं इसे नेक (गर्दन ) से पकडा न ..इसको पिक्केल(अचार )
बोला न ..तबीच ये मेरी क्लास लेयेला ..अब यह प्रभु बी बीच में घुसेडेला..
[लक्ष्मन मीरा को खींचकर दूर ले जाने की कोशिश करता है ]
मीरा=== मगर ..[मीरा आस भरी निगाहों से मुड़ कर पंडित को देखती है]..कोई उपाय तो होगा पंडित जी ?
पंडित== उपाय उस उपर वाले के पास [शुक्राचार्य ऊँगली आसमान की तरफ खड़ी करते हैं ]..उपाय उस राम के पास
लक्ष्मन== बोले तो रामानंद सागर का अरुण गोविल भी मेरे भितेर(अंदर ) डाल दिया |
पंडित=== बेटा ,अगर राम इछा हुई तो तुझे मुक्ति मिलेगी |नहीं तो मौत तो तेरी पक्की ..माशूका के हाथों न मरा तो
ज़माने के हाथों मरेगा |ज़माने के हाथों न मरा तो हालातों के हाथों मरेगा ..
लक्ष्मन== रिमेम्बर !अगर तुमेरी बातों में सच्चाई हुई न ..तो मैं तुमेरा बी आके मर्डर करेगा ..फिर देखता तुम कैसे
लिखता ग्रन्थ ..कैसे लिखता हमेरे सात जन्मों की कहानी ..खड़े खड़े तबाह कर डाला तुम मेरे कू ..खड़े पैर
जिबह कर डाला तुम मेरे कू ..सारे सपने सब अरमान पल में झंड कर डाला तुम ..[लक्ष्मन का गला भर्रा
उठता है ]
16.10.09
LUCKI RAM--part 12
श्री राम = अब मैं चलूँ लक्ष्मन \
लक्ष्मन = कहाँ ?
श्री राम = सीते अकेलीं हैं ...
लक्ष्मन = ओ ०० !क्षमा प्रभु क्षमा ..मैं और मम्मी अपने स्वार्थों में इस कदर डूबे कि भाभी माँ का स्मरण ही न रहा ...
श्री राम = होता है \चलता है \चलता हूँ \
लक्ष्मन = प्लीज ,मेरी ओर से भाभी माँ के पाँव छूकर क्षमा मांग लीजियेगा \
श्री राम = तुम्हारी जगह सीते के पाँव मैं छूउं\
लक्ष्मन = ओफ्फ्फो !..[लक्ष्मन दांतों तल्ले जीभ दबाता है ,सर पर हाथ रखता है ]गलती हो गई भैया ..
श्री राम = नहीं --सीते से क्षमा मांगने का तरीका सुझा दिया मुझे \
लक्ष्मन = व्हाट !
श्री राम = हं ०० !सतयुग में कुछ गलतियाँ ,कुछ पाप हमसे भी हुए थे ,जिनकी सजा सीते जी को भुगतनी पड़ी थी \इसी बहाने शायद हमें भी प्रायश्चित करने का अवसर मिल जाये ,तभी तो कहा था अभी कि मुझे भी कलयुग में रहने की सजा मिली है
लक्ष्मन = भाई !भैया ..
लक्ष्मन राम के गले जा लगता है और सिसक सिसक कर रोने लगता है \ उसे दिलासा देते राम , अपनी आंख का आंसू पोंछते कहते हैं -
श्री राम = लक्ष्मन ,पाप का बोझ कभी पीछा नहीं छोड़ता \युगों युगों तक आत्मा कचोटती रहती है ..सीते ने कभी मुझसे शिकायत नहीं की ..पर शायद तुम्हारे बहाने आज मुझे भी क्षमादान मिल जाये \शायद ०० ?
लक्ष्मन = तभी आपको मुझ जैसे पापी के भीतर रहने की सजा मिली है
श्री राम = शायद ! सीते ने ही रास्ता दिखाया कि जाओ माँ के पास जाओ ..सतयुग में दुनिया के लिए पत्नी को त्यागा था ..इस युग में दुनिया के लिए पत्नी तुम्हे त्यागती है \
लक्ष्मन = ऐसा कहतीं हैं वो ?
श्री राम = मुख से तो कुछ नहीं बोलीं परन्तु ऑंखें उनकी स्पष्ट कह रहीं थीं कि इस युग में अग्नि परीक्षा राम को देनी होगी \उस युग में लक्ष्मन के रथ पर बन में भेजा था ,इस युग में मैं तुम्हे लक्ष्मन रुपी रथ में भेज रहीं हूँ \यह बनवास आपको बिन सीते ही भोगना होगा \
लक्ष्मन = भाई प्लीज चुप हो जाइये ..प्लीज प्लीज [हाथ जोड़ता ,रोता लक्ष्मन राम के सीने में मुंह छिपाता है ]
श्री राम = आज बोलने दो लक्ष्मन ..युगों के पश्चाताप ने आज गुबार बन बहना है ..उस युग से युगों युगों तक 'सीते वियोग ' ही सहना है ...
लक्ष्मन = सॉरी भाई सॉरी ..आज जाना कि आपके दुःख के आगे मेरा दुःख कुछ नहीं \मैं सात जन्मों से अपनी मीरा को पाने की छह में भटक रहा हूँ जबकि आप युगों युगों से मैया सीता से क्षमादान पाने को तरस रहें हैं ..मैं भ्पूल गया था भैया कि माता सीता मंदिरों ,कैलेंडरों में आपके साथ नजर जरूर आती हैं पर वो हकीकत में आपके साथ नहीं हैं आपसे प्यासा कोई नर नहीं यहाँ ..राम से प्यासा कोई वर नहीं यहाँ आपके चरणों की सोगंध भैया ..मैं बदलूँगा ..दुनिया बदलेगी ..जो नहीं बदलेगा उसकी दुनिया बदल दी जायेगी ..हर घर में राम होगा ,घर घर में राम होगा ,हर नर में राम होगा ,नर नर में राम होगा ..भैया भैया ...[लक्ष्मन एकाएक भावुकता के भंवर से बाहर निकलता ,राम को पुकारता है ]
पर श्री राम आलोप हो चुके होतें हैं !
लक्ष्मन = काश !पत्नी प्रेम की यह दास्तान हमारे बच्चे समझ पाते ..पर उन्हें तो affairs ,one night stand,live-in रिलेशनशिप ही हैं भाते \सात फेरों के बंधन ,सात जन्मों के वचन क्या हम हैं निभाते \हम तो बस जरा जरा सी बात पर तलाक तक हैं पहुँच जाते ..हैं ०० भैया ,आपने गौर नहीं किया मैं बदल गया ..मैं बदलना शुरू हो गया \मैंने काफी टाइम से आयेला ,गयेला भी नहीं किया \क्यों न बदलूँ..जिसके भीतर जब हो राम ..तो मेरा तेरा का क्या अब काम ..पर भाई .दुनिया के लिए मैं अभी भी आयेला ,गयेला ही रहेगा ..बम्बई का टपोरी ताकि उन्हें लगे जब एक टपोरी के अंदर राम रह सकतें हैं तो उनमे क्यों नहीं \
तभी राम्लुभावन खाना लेकर आता है ओर लक्ष्मन की तंद्रा टूटती है \
रामलुभावन = खाना \गरमागरम खाना \
फिर वो खिचडी की प्लेट टेबल पर रखता है \
राम लुभावन =सर १खन खा लीजिये \आधे घंटे में बत्ती बुझ जायेगी \
लक्ष्मन = बत्ती तो अब जाकर जली ..इदर दिमाग में ..इदर सीने में ..[कहता लक्ष्मन वो जहरीली खिचडी खाने बैठता है ]
..... TO BE CONTINUED
लक्ष्मन = कहाँ ?
श्री राम = सीते अकेलीं हैं ...
लक्ष्मन = ओ ०० !क्षमा प्रभु क्षमा ..मैं और मम्मी अपने स्वार्थों में इस कदर डूबे कि भाभी माँ का स्मरण ही न रहा ...
श्री राम = होता है \चलता है \चलता हूँ \
लक्ष्मन = प्लीज ,मेरी ओर से भाभी माँ के पाँव छूकर क्षमा मांग लीजियेगा \
श्री राम = तुम्हारी जगह सीते के पाँव मैं छूउं\
लक्ष्मन = ओफ्फ्फो !..[लक्ष्मन दांतों तल्ले जीभ दबाता है ,सर पर हाथ रखता है ]गलती हो गई भैया ..
श्री राम = नहीं --सीते से क्षमा मांगने का तरीका सुझा दिया मुझे \
लक्ष्मन = व्हाट !
श्री राम = हं ०० !सतयुग में कुछ गलतियाँ ,कुछ पाप हमसे भी हुए थे ,जिनकी सजा सीते जी को भुगतनी पड़ी थी \इसी बहाने शायद हमें भी प्रायश्चित करने का अवसर मिल जाये ,तभी तो कहा था अभी कि मुझे भी कलयुग में रहने की सजा मिली है
लक्ष्मन = भाई !भैया ..
लक्ष्मन राम के गले जा लगता है और सिसक सिसक कर रोने लगता है \ उसे दिलासा देते राम , अपनी आंख का आंसू पोंछते कहते हैं -
श्री राम = लक्ष्मन ,पाप का बोझ कभी पीछा नहीं छोड़ता \युगों युगों तक आत्मा कचोटती रहती है ..सीते ने कभी मुझसे शिकायत नहीं की ..पर शायद तुम्हारे बहाने आज मुझे भी क्षमादान मिल जाये \शायद ०० ?
लक्ष्मन = तभी आपको मुझ जैसे पापी के भीतर रहने की सजा मिली है
श्री राम = शायद ! सीते ने ही रास्ता दिखाया कि जाओ माँ के पास जाओ ..सतयुग में दुनिया के लिए पत्नी को त्यागा था ..इस युग में दुनिया के लिए पत्नी तुम्हे त्यागती है \
लक्ष्मन = ऐसा कहतीं हैं वो ?
श्री राम = मुख से तो कुछ नहीं बोलीं परन्तु ऑंखें उनकी स्पष्ट कह रहीं थीं कि इस युग में अग्नि परीक्षा राम को देनी होगी \उस युग में लक्ष्मन के रथ पर बन में भेजा था ,इस युग में मैं तुम्हे लक्ष्मन रुपी रथ में भेज रहीं हूँ \यह बनवास आपको बिन सीते ही भोगना होगा \
लक्ष्मन = भाई प्लीज चुप हो जाइये ..प्लीज प्लीज [हाथ जोड़ता ,रोता लक्ष्मन राम के सीने में मुंह छिपाता है ]
श्री राम = आज बोलने दो लक्ष्मन ..युगों के पश्चाताप ने आज गुबार बन बहना है ..उस युग से युगों युगों तक 'सीते वियोग ' ही सहना है ...
लक्ष्मन = सॉरी भाई सॉरी ..आज जाना कि आपके दुःख के आगे मेरा दुःख कुछ नहीं \मैं सात जन्मों से अपनी मीरा को पाने की छह में भटक रहा हूँ जबकि आप युगों युगों से मैया सीता से क्षमादान पाने को तरस रहें हैं ..मैं भ्पूल गया था भैया कि माता सीता मंदिरों ,कैलेंडरों में आपके साथ नजर जरूर आती हैं पर वो हकीकत में आपके साथ नहीं हैं आपसे प्यासा कोई नर नहीं यहाँ ..राम से प्यासा कोई वर नहीं यहाँ आपके चरणों की सोगंध भैया ..मैं बदलूँगा ..दुनिया बदलेगी ..जो नहीं बदलेगा उसकी दुनिया बदल दी जायेगी ..हर घर में राम होगा ,घर घर में राम होगा ,हर नर में राम होगा ,नर नर में राम होगा ..भैया भैया ...[लक्ष्मन एकाएक भावुकता के भंवर से बाहर निकलता ,राम को पुकारता है ]
पर श्री राम आलोप हो चुके होतें हैं !
लक्ष्मन = काश !पत्नी प्रेम की यह दास्तान हमारे बच्चे समझ पाते ..पर उन्हें तो affairs ,one night stand,live-in रिलेशनशिप ही हैं भाते \सात फेरों के बंधन ,सात जन्मों के वचन क्या हम हैं निभाते \हम तो बस जरा जरा सी बात पर तलाक तक हैं पहुँच जाते ..हैं ०० भैया ,आपने गौर नहीं किया मैं बदल गया ..मैं बदलना शुरू हो गया \मैंने काफी टाइम से आयेला ,गयेला भी नहीं किया \क्यों न बदलूँ..जिसके भीतर जब हो राम ..तो मेरा तेरा का क्या अब काम ..पर भाई .दुनिया के लिए मैं अभी भी आयेला ,गयेला ही रहेगा ..बम्बई का टपोरी ताकि उन्हें लगे जब एक टपोरी के अंदर राम रह सकतें हैं तो उनमे क्यों नहीं \
तभी राम्लुभावन खाना लेकर आता है ओर लक्ष्मन की तंद्रा टूटती है \
रामलुभावन = खाना \गरमागरम खाना \
फिर वो खिचडी की प्लेट टेबल पर रखता है \
राम लुभावन =सर १खन खा लीजिये \आधे घंटे में बत्ती बुझ जायेगी \
लक्ष्मन = बत्ती तो अब जाकर जली ..इदर दिमाग में ..इदर सीने में ..[कहता लक्ष्मन वो जहरीली खिचडी खाने बैठता है ]
..... TO BE CONTINUED
lucki Ram part 11
लक्ष्मन भुन भुनाता हुआ बाहर निकलता है \पीछे पीछे श्री राम भी प्रकाश पुंज के रूप में बाहर आते हैं
बाहर लक्ष्मन मुंह फुलाए खडा है \राम उसके कंधे पर हाथ रखते हैं \
श्री राम = जो तुमने देखा लक्ष्मन ...वो मैंने भी तो देखा ..ऑंखें तो मेरी ही हैं \
लक्ष्मन = वो सब मैं जानता भाई ..पण मेरे कू भी तो बताइए कि मैं अपनी मुंडी कब देखेगा ...मैं जब जब mirror देखेगा लोगां के पाप दिखेगा different different सांप दिखेगा
श्री राम = मुझे भी यही दिखेगा \क्या तुम चाहते हो कि भैया राम भी यह सब गन्दगी देखें \
लक्ष्मन = नो नो !नेवर !मैं कबी नहीं चाहेगा कि भगवान् राम ये सब गन्दगी देखें ..पण मैं क्या करूं कोई रास्ता भी तो सुझाइए
श्री राम = रास्ता है \
लक्ष्मन = आईला १
श्री राम = जब जब तुम्हे पाप नजर आये ,जहाँ जहाँ तुम्हे सांप नजर आये तुम उसे मिटाते जाओ \
लक्ष्मन = यू मीन मर्डर !
श्री राम = वध ...
लक्ष्मन = वध-- ओ के दिस इज नोट मर्डर ..वध बोले तो हत्या ,कत्ल .खून ,बट नोट मर्डर ...यू नो ब्रदर दिस इज नोट कलयुग ...इदर आई० पी ०सी ० [इंडियन पीनल कोड] के किसी भी सेक्शन में वध वाला क्लॉज़ नहीं है ...एक वध की सजा १४ साल की सजा या फिर ऐ०००० [लक्ष्मन जीभ बाहर निकाल कर दिखाता है ]फांसी ०० !टू बी hanged टिल डेथ \समझे ?
श्री राम = समझूं तो तब जब तुम कुछ कहने दो...मैं कहने जा रहा था वध किसी समस्या का हल नहीं तुम्हे लोगों को बदलना है .. किसी को उसके किये की सजा दिलवानी है तो किसी का मन बदलना हैउसकी आत्मा बदलनी है ताकि वो पुनः पाप के मार्ग पर न जाये \
लक्ष्मन = आप क्या सोचता वो लोग मेरे कू छोड़े गा जो अपनी अपनी dokumentary मेरी आँखों में देखेगा ?
श्री राम = यही तो मैं चाहता हूँ कि पापी घबराकर तुम्हारे पास आये \अपने किये का पश्चाताप करें \अगर वो न आ पायें तो तुम उनके पास जाओ उन्हें सजा दिलवाओ \
लक्ष्मन = ऐ भाई ...दिस इज इंडिया !इदर् हर तीस मिनट में रेप होता और एवरेज ५ साल में रपिस्ट को सजा मिलता \इदर हर साठ मिनट में मर्डर होता और १३ साल में murderer को सजा मिलता वो भी तब जब मामला हाई प्रोफाइल हो \मीडिया पीपुल पीछे पड़ा हो -otherwise तो मामला पेंडिंग ही लटक जाता ..या विक्टिम चला जाता या accused ..और आप कहतें हैं ऐसे लोगां को मैं कानून के हाथों सजा दिलवाए ..आप देखिये गा अबी दोनों डॉ ० मेरे कू सजा देने के वास्ते पहुँचता ही होएंगा ,बस रास्ते में ही होएंगा ,यू नो ये मेरा इंडिया ..मेरा भारत महान ,सो में नब्बे बईमान \
श्री राम = मुझे दुःख है कि मेरे लक्ष्मन की भी वही सोच है जो एक आम आदनी की सोच है
लक्ष्मन = तो आप क्या चाहता ?
श्री राम = मैं जानता हूँ अब तक तुम नाकामयाब रहे हो ..आजीविका कमाने के लिए किसी भी काम में तुम्हारा दिल नहीं लगा ..तुम कई बार कहते रहे हो कि लक्ष्मन सतयुग का आदमी है जो गलती से कलयुग में पैदा हो गया ...तुमसे जिया नहीं जा रहा इस दुनिया में ...
लक्ष्मन = भाई ,आप क्या चाहता ?
श्री राम = ...तुम्हे अपने कार्य से संतुष्टि नहीं थी वो क्या कहते थे अंग्रेजी में
लक्ष्मन = ज ज जॉब satisfaction [इन्ही शब्दों के साथ ही लक्ष्मन सोच्मगन हो उठता है ]
श्री राम = ...तुम दुनिया के लिए कुछ karnaa चाहते थे \तुम्हे dharti पर पाप ,दुराचार ,अत्याचार ,भ्रष्टआचार और शुक्राचार्य ..
लक्ष्मन = व्हाट !आप जानता उस मदारी ...
श्री राम = चुप्प ...बहुत महान व्यक्तित्व है वो ...और भविष्य में तुम उनके लिए कोई अपमानजनक शब्द नहीं बोलोगे \वो धरती पर तुम्हारी ही कहानी लिखने आये हैं \
लक्ष्मन = जैसे बाल्मीकी जी ने आपकी लिखी थी\
श्री राम = ...और उनके पूर्वजों ने ही तुम्हारे पूर्व जन्मों की कहानियां लिखी ...
लक्ष्मन = आईला १मेरे लिए कोई ग्रन्थ लिखेला ..बोले तो अगले किसी युग में मैं भी पूजा जायेगा \
श्री राम = इस जनम में वो तुम्हारे ही कुकर्मों की कहानी लिखने आये हैं \तुम जरूर जाने जाओगे बशर्ते की अपने पूर्व जन्मों के पापों से बाहर निकलो
लक्ष्मन = आप जानते वो मेरे को क्या बोले ?
श्री राम = वो बोले क्या ...वो तो होना भी शुरू हो गया ..उसके लिए तो हमने धरती पर जनम भी ले लिया और लक्ष्मन के रूप में चोला भी धारण कर लिया \
लक्ष्मन = इट मीन्स मेरे पर जो भी मुसीबतें आएँगी ,,जो भी दुःख आयेंगे ..
श्री राम =वो राम भोगेगा \
लक्ष्मन = व्हाट ![लक्ष्मन उछलता है ]यू नो वो मदारी ..सॉरी..वो शुक्र चरया मेरे कू बोले कि मीरा ऑर मैं जनम जनम के दुश्मन ..कबी मीरा मेरे कू मारा..कबी मैं मीरा कू मारा ..मीन्स ..आप मुझे बचायेंगे इस सबसे ?
श्री राम = मैं वो भी भोगूँगा \
लक्ष्मन = मतलब भगवान् होकर भी आप, मुझे बचायेंगे नहीं --भोगेंगे \
श्री राम = मैं भोगने आया हूँ ,बचाने नहीं \मैं बदलने आया हूँ बनाने नहीं
लक्ष्मन = मतलब ?
श्री राम =हर किसी को बचाने की ताकत मुझमे नहीं \न ही हर किसी को बनाने की ताकत मुझमे है \हर कोई धरती पर बचने लगे तो धरती पर कोई मरेगा नहीं और धरती पर बोझ बढता जायेगा \ हर कोई 'बनने ' लगे तो जो बनना [development] है वो कब बनेगा ?कोन बनाएगा ?
लक्ष्मन = समझ गया भाई !लक्ष्मन आपकी नजर में हर कोई ही है \हर किसी ही है हं ०० काहे का मैं लक्की ,काहे का मैं लक्ष्मन \
श्री राम = लक्ष्मन विषय का मर्म समझो ...मुझे कलयुग में रहने की सजा मिली है =अगर चाहते हो कि मैं तुम्हारी अनकहीं से पाप न देखूं तो पाप मिटाओ ..अगर चाहते हो ,मैं तुम्हारे पूर्व जन्मों के कुकर्म नो भोगूँ, तो अपने कर्म बनाओ ..और मुझे
बचाओ ..बेकार की बहस न बढाओ\मनुष्यों की लडाई मनुष्य बनकर ही लड़ी जा सकती है और वो मनुष्य तुम हो-- तुम \
लक्ष्मन = सार्री भैया ..मैं भूल गया था कि प्रभु से बहस नहीं की जाती [लक्ष्मन पहली बार संजीदा होता है ]उनका तो सिर्फ हुकम माना जाता है ..मुझे क्या करना होगा ?
श्री राम = पहले तुम बदलो ..उसके बाद लोगों को बदलो \
लक्ष्मन = जो न बदले ...जो मुझे बदलना चाहे ...जो बदला लेना चाहे ?
श्री राम = उसकी दुनिया बदल डालो ..फिर भी न माने तो ,उसका लोक बदल डालो \प्रेम और युद्घ में सब जायज है \
लक्ष्मन = यू मीन --वध!नोट मर्डर बट वध
श्री राम = वध आखिरी हथियार है वो भी तब ..जब कोई चारा न रहे \कोई और चारा न बचे ..कोई और सहारा न बचे \
लक्ष्मन = आपकी आज्ञा सर आँखों पर ...आज के बाद लक्ष्मन का सबसे बड़ा यही है अरमान ,जब कोई कहे ,मेरा भारत महान ,पर तब ,जब सो में नब्बे राम !
बाहर लक्ष्मन मुंह फुलाए खडा है \राम उसके कंधे पर हाथ रखते हैं \
श्री राम = जो तुमने देखा लक्ष्मन ...वो मैंने भी तो देखा ..ऑंखें तो मेरी ही हैं \
लक्ष्मन = वो सब मैं जानता भाई ..पण मेरे कू भी तो बताइए कि मैं अपनी मुंडी कब देखेगा ...मैं जब जब mirror देखेगा लोगां के पाप दिखेगा different different सांप दिखेगा
श्री राम = मुझे भी यही दिखेगा \क्या तुम चाहते हो कि भैया राम भी यह सब गन्दगी देखें \
लक्ष्मन = नो नो !नेवर !मैं कबी नहीं चाहेगा कि भगवान् राम ये सब गन्दगी देखें ..पण मैं क्या करूं कोई रास्ता भी तो सुझाइए
श्री राम = रास्ता है \
लक्ष्मन = आईला १
श्री राम = जब जब तुम्हे पाप नजर आये ,जहाँ जहाँ तुम्हे सांप नजर आये तुम उसे मिटाते जाओ \
लक्ष्मन = यू मीन मर्डर !
श्री राम = वध ...
लक्ष्मन = वध-- ओ के दिस इज नोट मर्डर ..वध बोले तो हत्या ,कत्ल .खून ,बट नोट मर्डर ...यू नो ब्रदर दिस इज नोट कलयुग ...इदर आई० पी ०सी ० [इंडियन पीनल कोड] के किसी भी सेक्शन में वध वाला क्लॉज़ नहीं है ...एक वध की सजा १४ साल की सजा या फिर ऐ०००० [लक्ष्मन जीभ बाहर निकाल कर दिखाता है ]फांसी ०० !टू बी hanged टिल डेथ \समझे ?
श्री राम = समझूं तो तब जब तुम कुछ कहने दो...मैं कहने जा रहा था वध किसी समस्या का हल नहीं तुम्हे लोगों को बदलना है .. किसी को उसके किये की सजा दिलवानी है तो किसी का मन बदलना हैउसकी आत्मा बदलनी है ताकि वो पुनः पाप के मार्ग पर न जाये \
लक्ष्मन = आप क्या सोचता वो लोग मेरे कू छोड़े गा जो अपनी अपनी dokumentary मेरी आँखों में देखेगा ?
श्री राम = यही तो मैं चाहता हूँ कि पापी घबराकर तुम्हारे पास आये \अपने किये का पश्चाताप करें \अगर वो न आ पायें तो तुम उनके पास जाओ उन्हें सजा दिलवाओ \
लक्ष्मन = ऐ भाई ...दिस इज इंडिया !इदर् हर तीस मिनट में रेप होता और एवरेज ५ साल में रपिस्ट को सजा मिलता \इदर हर साठ मिनट में मर्डर होता और १३ साल में murderer को सजा मिलता वो भी तब जब मामला हाई प्रोफाइल हो \मीडिया पीपुल पीछे पड़ा हो -otherwise तो मामला पेंडिंग ही लटक जाता ..या विक्टिम चला जाता या accused ..और आप कहतें हैं ऐसे लोगां को मैं कानून के हाथों सजा दिलवाए ..आप देखिये गा अबी दोनों डॉ ० मेरे कू सजा देने के वास्ते पहुँचता ही होएंगा ,बस रास्ते में ही होएंगा ,यू नो ये मेरा इंडिया ..मेरा भारत महान ,सो में नब्बे बईमान \
श्री राम = मुझे दुःख है कि मेरे लक्ष्मन की भी वही सोच है जो एक आम आदनी की सोच है
लक्ष्मन = तो आप क्या चाहता ?
श्री राम = मैं जानता हूँ अब तक तुम नाकामयाब रहे हो ..आजीविका कमाने के लिए किसी भी काम में तुम्हारा दिल नहीं लगा ..तुम कई बार कहते रहे हो कि लक्ष्मन सतयुग का आदमी है जो गलती से कलयुग में पैदा हो गया ...तुमसे जिया नहीं जा रहा इस दुनिया में ...
लक्ष्मन = भाई ,आप क्या चाहता ?
श्री राम = ...तुम्हे अपने कार्य से संतुष्टि नहीं थी वो क्या कहते थे अंग्रेजी में
लक्ष्मन = ज ज जॉब satisfaction [इन्ही शब्दों के साथ ही लक्ष्मन सोच्मगन हो उठता है ]
श्री राम = ...तुम दुनिया के लिए कुछ karnaa चाहते थे \तुम्हे dharti पर पाप ,दुराचार ,अत्याचार ,भ्रष्टआचार और शुक्राचार्य ..
लक्ष्मन = व्हाट !आप जानता उस मदारी ...
श्री राम = चुप्प ...बहुत महान व्यक्तित्व है वो ...और भविष्य में तुम उनके लिए कोई अपमानजनक शब्द नहीं बोलोगे \वो धरती पर तुम्हारी ही कहानी लिखने आये हैं \
लक्ष्मन = जैसे बाल्मीकी जी ने आपकी लिखी थी\
श्री राम = ...और उनके पूर्वजों ने ही तुम्हारे पूर्व जन्मों की कहानियां लिखी ...
लक्ष्मन = आईला १मेरे लिए कोई ग्रन्थ लिखेला ..बोले तो अगले किसी युग में मैं भी पूजा जायेगा \
श्री राम = इस जनम में वो तुम्हारे ही कुकर्मों की कहानी लिखने आये हैं \तुम जरूर जाने जाओगे बशर्ते की अपने पूर्व जन्मों के पापों से बाहर निकलो
लक्ष्मन = आप जानते वो मेरे को क्या बोले ?
श्री राम = वो बोले क्या ...वो तो होना भी शुरू हो गया ..उसके लिए तो हमने धरती पर जनम भी ले लिया और लक्ष्मन के रूप में चोला भी धारण कर लिया \
लक्ष्मन = इट मीन्स मेरे पर जो भी मुसीबतें आएँगी ,,जो भी दुःख आयेंगे ..
श्री राम =वो राम भोगेगा \
लक्ष्मन = व्हाट ![लक्ष्मन उछलता है ]यू नो वो मदारी ..सॉरी..वो शुक्र चरया मेरे कू बोले कि मीरा ऑर मैं जनम जनम के दुश्मन ..कबी मीरा मेरे कू मारा..कबी मैं मीरा कू मारा ..मीन्स ..आप मुझे बचायेंगे इस सबसे ?
श्री राम = मैं वो भी भोगूँगा \
लक्ष्मन = मतलब भगवान् होकर भी आप, मुझे बचायेंगे नहीं --भोगेंगे \
श्री राम = मैं भोगने आया हूँ ,बचाने नहीं \मैं बदलने आया हूँ बनाने नहीं
लक्ष्मन = मतलब ?
श्री राम =हर किसी को बचाने की ताकत मुझमे नहीं \न ही हर किसी को बनाने की ताकत मुझमे है \हर कोई धरती पर बचने लगे तो धरती पर कोई मरेगा नहीं और धरती पर बोझ बढता जायेगा \ हर कोई 'बनने ' लगे तो जो बनना [development] है वो कब बनेगा ?कोन बनाएगा ?
लक्ष्मन = समझ गया भाई !लक्ष्मन आपकी नजर में हर कोई ही है \हर किसी ही है हं ०० काहे का मैं लक्की ,काहे का मैं लक्ष्मन \
श्री राम = लक्ष्मन विषय का मर्म समझो ...मुझे कलयुग में रहने की सजा मिली है =अगर चाहते हो कि मैं तुम्हारी अनकहीं से पाप न देखूं तो पाप मिटाओ ..अगर चाहते हो ,मैं तुम्हारे पूर्व जन्मों के कुकर्म नो भोगूँ, तो अपने कर्म बनाओ ..और मुझे
बचाओ ..बेकार की बहस न बढाओ\मनुष्यों की लडाई मनुष्य बनकर ही लड़ी जा सकती है और वो मनुष्य तुम हो-- तुम \
लक्ष्मन = सार्री भैया ..मैं भूल गया था कि प्रभु से बहस नहीं की जाती [लक्ष्मन पहली बार संजीदा होता है ]उनका तो सिर्फ हुकम माना जाता है ..मुझे क्या करना होगा ?
श्री राम = पहले तुम बदलो ..उसके बाद लोगों को बदलो \
लक्ष्मन = जो न बदले ...जो मुझे बदलना चाहे ...जो बदला लेना चाहे ?
श्री राम = उसकी दुनिया बदल डालो ..फिर भी न माने तो ,उसका लोक बदल डालो \प्रेम और युद्घ में सब जायज है \
लक्ष्मन = यू मीन --वध!नोट मर्डर बट वध
श्री राम = वध आखिरी हथियार है वो भी तब ..जब कोई चारा न रहे \कोई और चारा न बचे ..कोई और सहारा न बचे \
लक्ष्मन = आपकी आज्ञा सर आँखों पर ...आज के बाद लक्ष्मन का सबसे बड़ा यही है अरमान ,जब कोई कहे ,मेरा भारत महान ,पर तब ,जब सो में नब्बे राम !